लिंग-आधारित हिंसा के खिलाफ महिला हिंसा विरोधी पखवाड़ा – 16 दिसम्बर को जनसुनवाई के साथ होगा समाप्त

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आई एन वी सी न्यूज़
भोपाल ,

25 नवम्बर को चुनने के पीछे एक इतिहास है और वही इसकी महत्वता है। 1960 के दशक में डोमेनियन रिब्बलिक में एक तानाशाह रेफेल ट्रीजिलियो का सत्ता थी। उसके निरकुंश शासन एवं नीतियों के खिलाफ तीन बहनों- पेट्रिया,मिनरवा और मारिया (मीराबेल बहनें) ने मजबुत आंदोलन किया। उनके इस संघर्ष में उनके जीवन साथी उतनी उर्जा के साथ थे। इसका असर समाज और सरकार पर पड़ रहा था। इससे तानाशाह काफी नाराज हुआ और उनके आंदोनल को तोड़ने की हर सम्भव कोशिश करने लगा। एक विरोध प्रदर्शन के समय तीन बहनों और उनक साथियों को जेल में डाल दिया। कुछ दिनों में तीनों बहनों को छोड़ दिया परन्तु उनके साथियों को जेल में रखा था। 25नवम्बर को तीनों बहने जेल में मिलने गई। लौटते समय तानाशाह के लोगों ने उनको जिन्दा जलाकर हत्या कर दी।

उनके इस आंदोलन को उनके साथी आगे लेकर गये। 1981 में नारीवादी समूहों ने इस दिन को महिलाओं पर होने वाली हिंसा के विरोध में अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। 1991 में सेन्टर फॉर वीमेनस् ग्लोबल लीडरशीप के तत्वावधान में 25 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक 16 दिवसीय अभियान मनाना शुरू किया। क्योंकि यह माना गया कि महिलाओं पर हिंसा उनके मानवाधिकार का हनन है। इसलिए 25 नवम्बर महिला हिंसा के विरोध में अंतरराष्ट्रीय दिवस से 10 दिसम्बर तक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस 16 दिन को जोड़ा गया। 1999 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने 25 नवम्बर को अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा निवारण दिवस  के रूप में घोषित किया है।

हर वर्ष ‘‘महिलाओं पर हिंसा के विरोध में 16 दिवसीय अभियान’’ के नाम से मनाया जाने लगा है। जिसमें देश, सरकार, संस्थाएं, संगठन, शिक्षण संस्थाएं एवं व्यक्ति इन 16 दिनों में लड़कियों-महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सघन अभियान करते हैं। पिछले वर्ष 80 देशों की 5500 से अधिक संस्थाओं ने इस अभियान में भाग लिया। भोपाल में पखवाड़ा 25 नवंबर से शुरू होकर 10 दिसंबर मानव अधिकार दिवस तक चलेगा| महिला व बालिका हिंसा विरोधी पखवाड़े  का समापन निर्भया शहादत दिन 16 दिसम्बर को जनसुनवाई के माध्यम से समाप्त होगा |

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