राष्ट्रीय मतदाता दिवस

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राष्ट्रीय मतदाता दिवसदुनिया के सबसे सशक्त लोकतांत्रिक देशों में भारत का विशिष्ट स्थान है। प्रत्येक देशवासी के लिए यह र्गव का विषय है कि वह एक विशाल लोकतांत्रिक देश का नागरिक है। यह र्सवविदित है कि जितने अधिक लोग चुनाव प्रक्रिया में शामिल होंगे, हमारा लोकतंत्र उतना ही मजबूत होगा।

आजादी के बाद देश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है, फिर भी यह देखा गया है कि चुनाव प्रक्रिया में महिलाओं और युवाओं की उदासीनता की वजह से लोक सभा, विधान सभा से लेकर पंचायतीराज संस्थाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों में मतदान प्रतिशत में अपेक्षाओं के अनुरूप बढ़ोतरी नहीं हुई। मतदाता सूची में पंजीकरण में उनकी भागीदारी भी लगभग 30 से 35 प्रतिशत रही, इसमें भी महिलाओं का पंजीकरण अक्सर कम रहता आया है।

भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूचियों में नए मतदाताओं तथा महिलाओं के नाम जुड़वाने तथा मतदान करने के प्रति आमजन का रूझान बढ़ाने के लिए ही अपने गठन की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 25 जनवरी 2011 से ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ मनाए जाने की नई शुरूआत की गई। वर्ष 1950 में स़्थापित हुए भारत निर्वाचन आयोग की इस अभिनव पहल से आज देश में होने वाले चुनाव लोकतंत्र का पावन पर्व बन गए हैं।

राज्य स़्तर पर गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर चौथा मतदाता दिवस आयोजित किया जा रहा है। स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं विश्वसनीय निर्वाचन के लक्ष्य के साथ हमारे लोकतंत्र को और अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए निर्वाचक परिवार की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी की जा रही है। आज प्रदेश में मतदाताओं की अधिकाधिक साझेदारी के प्रयास मूर्त रूप ले रहे हैं।

विधान सभा चुनाव 2013 में राज्य में 75 प्रतशित मतदान के साथ एक नया इतहिास रचा गया। इसमें हर वर्ग ने बढ़-चढक़र भागीदारी निभाई। खासकर 18 वर्ष पूर्ण करने वाले नव मतदाताओं और महिलाओं ने भी मतदाता सूची में नाम जुड़वाने से लेकर मतदान करने तक अपने उत्साह का परिचय दिया। यह पहली बार देखा गया कि लोग अपने अपने घरों से बुर्जुगों के साथ मतदान करने के लिए निकले। उन्होंने अपने आस पड़ोस के लोगों को भी मतदान करने के लिए प्रेरित किया।

मुख्य र्निवाचन अधिकारी श्री अशोक जैन के कुशल नेतृत्व में इन प्रयासों के पीछे स़्वीप  {Systematic Voters Education and Electoral Participation}र्कायक्रम की अहम भूमिका रही, जिसके तहत मतदाताओं को मताधिकार के प्रति शिक्षित किया गया और नव मतदाताओं को नाम  जुड़वाने के लिए जागरूक भी किया गया जिससे अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित हो सकी।

राज्य निर्वाचन विभाग की टीम ने चुनाव के दौरान जिलों एवं उपखंड स्तर पर स़्वीप कार्यक्रम का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करवाया। राज्य भर में बैनर, रैलियां, मानव श्रंखला बनाकर, पोस़्टरों, होॢडंग्स के जरिए लोगों को जागरूक किया गया। परिणाम यह निकला कि विधान सभा चुनाव में मतदाता और विशेषकर युवाओं और महिलाओं ने अपने मताधिकार का बखूबी इस़्तेमाल किया।

युवाओं में खासतौर पर कॉलेज छात्र-छात्राओं को मतदान के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए कॉलेजों में कैंपस एंबेसेडर बनाए। इनके जरिए नव मतदाताओं के नाम जुड़वाने, मतदान के प्रति प्रेरित करने के लिए विद्याॢथयों में मतदान प्रक्रिया के विषय पर वाद-विवाद, निबंध लेखन, नारा लेखन जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित करवाकर छात्रों में मताधिकार के प्रति जागरुकता लाई गई। इनका प्रयोग विधान सभा में खासा कामयाब रहा और मतदान के प्रतिशत बढऩे में इसकी भी खासी भूमिका रही।

राज्य में स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिर्पूण विधानसभा आम चुनाव 2013 सम्पन्न कराने के बाद अब निर्वाचन विभाग आगामी लोक सभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार राज्य में गत 16 दिसंबर से 7 जनवरी तक मतदाता सूची में नाम जुडवाने के साथ आपत्तियां और दावे मांगे गए। पुनरीक्षण र्कायक्रम में 1 जनवरी 2014 अर्हता तिथि मानते हुए ज्यादा से ज्यादा युवा व अन्य मतदाताओं को जोडऩे की विभाग द्वारा समय-समय पर अपील की गई और इलेक्टोनिक व प्रिंट मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। यहां तक कि गुरु गोविंद सिंह जयंती पर र्सावजनिक अवकाश होने के बावजूद संबंधित विभागों को खुलवाया गया और नाम जुड़वाने की प्रक्रिया को सतत् रूप से जारी रखवाया गया। इसी का परिणाम रहा कि आगे मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए लोगों में होड़ लग गई और राज्य भर से करीब 22 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपना नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया है। एक बार फिर विभाग के स्वीप कार्यक्रम ने इसमें महत्वर्पूण भूमिका निभाई है।

आगामी लोक सभा चुनाव की तैयारियों के मददेनजर मुख्य र्निवाचन अधिकारी श्री अशोक जैन की अध्यक्षता में दो बार राज्य के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेसिंग आयोजित की जा चुकी है, जिसमें ईवीएम मशीनों की एफएलसी कराने, मतदाता सूचियों के संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम, राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने एवं विभिन्न व्यवस्थाओं को और सुव्यस्थित करने के लिए विचार-विर्मश किया गया।

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* Disclaimer: The writer is a freelance journalist and the views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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