राफेल: जब रक्षक ही भक्षक बन जाए ?

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– तनवीर जाफरी  –

फ्रांस और भारत के मध्य हुए राफेल विमान सौदे में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर एक बार फिर देश की राजनीति में उबाल पैदा हो गया है। बावजूद इसके कि इस विषय पर संसद के भीतर व बाहर कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी ओर से सफाई देने की कोशिश भी की है। परंतु जिन तीन प्रमुख सवालों को लेकर इस सौदे पर बार-बार सवाल उठाए जा रहे हैं उनका सीधा जवाब अब तक न तो प्रधानमंत्री ने दिया न ही रक्षामंत्री ने। इनमें पहला सवाल यह था कि सरकार यह बताए कि क्या वजह है कि फ्रांस से निर्धारित 126 राफेल विमानों की डील करने के बजाए केवल 36 विमानों का ही सौदा किया गया? दूसरा प्रश्र सरकार से यह पूछा जा रहा है कि भारत सरकार के प्रतिष्ठिति  नवरत्न उपक्रम हिंदोस्तान ऐयरोनेटिक लिमिटेड अर्थात् एचएएल के स्थान पर अनिल अंबानी की नवनिर्मित व गैर तुजुर्बेकार रिलायंस डिफेेस कंपनी को आफसेट पार्टनर क्यों बनाया गया और तीसरा महत्वूपर्ण प्रश्र यह कि जब पूर्व में भारत व फ्रांस के मध्य 126 विमानों की कीमत प्रति विमान की दर से 524 करोड़ रुपये तय हो चुकी थी फिर आिखर मात्र 36 विमान 1600 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से क्यों लिए गए?

केंद्र सरकार की ओर से इस विषय पर अपने बचाव में तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। यहां तक कि सवाल करने वालों पर ही सवाल खड़ा किया जा रहा है। सीधी भाषा में इस बात को यूं समझा जा सकता है कि कोई अपराधी किसी दूसरे व्यक्ति से यह कह रहा हो कि चूंकि तू स्वयं अपराधी है इसलिए तुझे मुझको अपराधी कहने का कोई अधिकार नहीं है। कम से कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत् दिनों संसद में इस टिप्पणी के तो यही मायने निकलते हैं जिसमें कि उन्होंने राहुल गांधी के राफेल पर सवाल उठाने के जवाब में यह कहा था कि ‘उलटा चोर चौकीदार को डांटे’। परंतु दरअसल देश की किसी भी सरकार द्वारा किया गया कोई भी सौदा किसी प्रश्र उठाने वाले नेता के चरित्र  से जुड़ा मामला नहीं बल्कि यह देश के करदाताओं तथा यहां की आम जनता खासतौर पर युवाओं के भविष्य से जुड़ा मामला होता है। और जब विषय रक्षा सौदे से जुड़ा हो तो इसमें देश की रक्षा हमारे सैनिकों की सुरक्षा व उनका भविष्य दोनों ही शामिल होते हैं। इसलिए उलटा चोर चौकीदार को डांटे जैसी ‘आत्मरक्षक’ कहावत सुनाने के बजाए प्रधानमंत्री को पूरी ईमानदारी से इस सौदे में हुई हर प्रकार की चूक,अनियमतता व घपले की जानकारी देश को दे देनी चाहिए।

राहुल गांधी वैसे तो ‘चौकीदार चोर है’ जैसे शब्द प्रतिदिन कई बार दोहराते ही रहते हैं। परंतु अब तो उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री का नाम लेकर ही उसके साथ चोर शब्द लगाना शुरु कर दिया है। गत् दिनों हिंदू अखबार में 24 नवंबर 2015 के एक डिफेेंस नोट का चित्र प्रकाशित किया गया। इस पत्र ने एक बार फिर राफेल सौदे में उबाल पैदा कर दिया। इस पत्र ने साफतौर पर यह साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय राफेल विमान सौदे में अधिकृत वार्ताकार दल के अतिरिक्त स्वयं भी अलग से समानांतातर स्तर पर सौदे से संबंधित बातचीत कर रहा था। इस नोट पर तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन कुमार ने तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर को एक संदेशनुमा पत्र लिखा था। इस पत्र की शब्दावली स्वयं इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए काफी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय इस सौदे में क्यों और किस हद तक अपना दखल दे रहा था? रक्षा सचिव जी कुमार लिखते हैं-‘रक्षामंत्री जी कृपया इस विषय को देखें। हमारा प्रधानमंत्री कार्यालय को यह परामर्श है कि पीएमओ के जो अधिकारी फ्रांस के साथ होने वाली वार्ता की टीम में शामिल नहीं हैं उन्हें फ्रांस सरकार के अधिकारियों के साथ समानांतर चर्चा नहीं करनी चाहिए। यदि प्रधानमंत्री कार्यालय रक्षा मंत्रालय की बातचीत से सहमत नहीं है तो हम इसमें बदलाव कर सकते हैं परंतु प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा की जाने वाली समानांतर वार्ता से सौदे में मंत्रालय और भारतीय टीम की स्थिति कमज़ोर होगी’।

इस पत्र से बिल्कुल साफ नज़र आता है कि फ्रांस से होने वाली डील में इस सौदे के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय की अधिकृत टीम के अलावा भी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कोई दल सौदे में अनधिकृत रूप से समानांतर रूप से अपना दखल दे रहा था। अब यदि इस डील के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी,यशवंत सिन्हा,शत्रुध्र सिन्हा,प्रशांत भूषण आदि देशहित में यह जानना चाहते हैं कि इस सौदे में कितनी पारदर्शिता बरती गई और इसकी परिणिती आिखर ऐसे क्यों हुई कि एक प्रतिष्ठित व तजुर्बेकार एचएएल जैसे नवरत्न उपक्रम को दरकिनार कर अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली एक नई व एक निजी कंपनी को देश की रक्षा करने वाले आधुनिक विमानों के रखरखाव की जि़म्मेदारी सौंपी गई? दरअसल राफेल विमान सौदे में हुई कथित गड़बड़ी और इससे बचने के लिए सरकार द्वारा दूसरी तरह-तरह की बातें करना और किसी भी सवाल का सटीक व संतोषजनक जवाब न दे पाना ही विपक्ष को बार-बार आक्रामक होने का मौका दे रहा है। दूसरी बात और भी साफ है कि मोदी सरकार स्वयं को बचाने के लिए जो भी कदम उठाने की कोशिश करती है उसमें वह स्वयं बार-बार उलझती भी जा रही है।

बड़े आश्चर्य की बात है कि राफेल सौदे में इतनी बड़ी अनियमितताएं सामने आ जाने के बावजूद न जाने कैसे रक्षामंत्री यह फरमाती हैं कि बोफोर्स कांग्रेस को ले डूबी थी परंतु राफेल भाजपा को पुन: सत्ता में वापस लाएगी। रक्षामंत्री का पिछले दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा किए जा रहे समानांतर दखल दिए जाने के आरोप के जवाब में सोनिया गांधी की यूपीए की चेयरमैन होने के नाते उनकी कार्यक्षेत्र पर जो प्रश्र उठाया गया वह भी अत्यंत हास्यास्पद था। जहां तक इस सौदे में सरकार द्वारा स्वयं को पाक-साफ साबित करने का प्रश्र है तो इसका एक ही उपाय है कि वह इस सौदे की जांच हेतु संयुक्त संसदीय समिति अर्थात् जेपीसी का गठन करे ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजनीति में अपने विरोधियों को नीचा दिखाने का जो एक खतरनाक दौर शुरु हुआ है वह भी देश भलीभांति देख रहा है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जो लोग सत्ता के विरुद्ध मज़बूती के साथ खड़े हुए हैं अपराध या भ्रष्टाचार करने वाले नेता केवल उसी तरफ हैं। जैसे कि देश का सबसे भ्रष्ट व्यक्ति लालू प्रसाद यादव,दूसरा सबसे बड़ा भ्रष्ट पी चिदंबरम का परिवार कहा जा सकता है। अरविंद केजरीवाल, मायावती व ममता बैनर्जी हो सकते हैं। अखिलेश यादव के समय का खनन घोटाला ही देश का सबसे बड़ा खनन घोटाला रहा हो? और जब शारदा चिटफंड घोटाले का सबसे प्रमुख आरोपी मुकुल रॉय ममता बैनर्जी का साथ छोडक़र भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाए तो गोया उसने भ्रष्टाचार से मुक्ति पाकर पवित्र गंगा में स्नान कर लिया हो। और ऐसी शत्रुतापूर्ण राजनीति के दौर में यदि राहुल गांधी अपने संवाददाता सम्मेलन में यह कहते सुने जाएं कि-‘मैं तो कहता हूं कि आप रार्बट वाड्रा व चिदंबरम की जांच कराईए आप सबको कानून के दायरे में खींचिए लेकिन राफेल की जांच भी होनी चाहिए राफेल पर भी बोलिए’ तो इसका सीधा सा अर्थ यही है कि वे इस निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं कि राफेल सौदे में ‘रक्षक ही भक्षक’ बन बैठा है।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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