राजस्थान में यंत्र जो कचरे से बिजली पैदा करे

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आई.एन.वी.सी,,
जयपुर,,
सीकर में न केवल राजस्थान का अपितु उत्तरी भारत का पहला ऐसा संयंत्र स्थापित होने जा रहा है जो कचरे से बिजली पैदा करेगा। राज्य के उद्योग एवं आबकारी मंत्री तथा क्षेत्रीय विधायक राजेंद्र पारीक ने 1भ् अगस्त 2011 को इस संयंत्र का शिलान्यास सीकर के निकट नानी गांव में किया। बी.ओ.टी. आधार पर स्थापित होने वाले इस संयंत्र पर लगभग 13 करोड़ रूपए की लागत आएगी। यह पूरी राशि मुंबई  की एक कम्पनी  रोचेम सेपरेशन सिस्टम्स  इंडिया प्रा.लि. वहन करेगी जिसको निविदाओं के आधार पर उक्त संयंत्र स्थापित करने की जिम्मेदारी  दी गई है।

रोचेम कंपनी  द्वारा जर्मनी से आयातित कंकर्ड ब्लू वेस्ट एनर्जी सिस्टम नामक अति आधुनिक तकनीक आधारित संयंत्र लगाया जाएगा जो पूरी तरह प्रदूषण रहित एक वैज्ञानिक वैकçल्पक कचरा निस्तारक संयंत्र है। इसकी खास बात यह है कि एक साफ़ सुथरा ग्रीन जॉन विकसित कर इस संयंत्र की स्थापना की जाएगी, जिसमें कचरा एकत्र करने व स्टोरेज से लेकर सम्पूर्ण  निस्तारण तक की प्रक्रिया बिल्कुल सुरक्षित ढंग से संचालित होगी। इस प्रकार यह एक दुर्गंध रहित इकाई होगी। इस संयंत्र के लिए 100 टन कचरा प्रतिदिन सीकर शहर से उपलब्ध होगा और वर्ष भर में 7भ्00 घंटे यह प्रसंस्करण इकाई काम करेगी। इस प्रक्रियांतर्गत एक मेगावाट प्रति घंटे के हिसाब से सालभर में कुल 7 हजार  मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा जिसकी स्थानीय गि्रड के माध्यम से आपूर्ति की जाएगी।

चूंकि यह संयंत्र बी.ओ.टी. आधार पर लगाया जा रहा है, इसलिए नगरपरिषद को किसी प्रकार का पूंजी निवेश नहीं करना पड़ेगा। इस प्लांट के लिए कंम्पनी   को सात एकड़ अविकसित भूमि 30 वर्ष की लीज पर आवंटित की गई है जिससे सालाना 3भ् हजार टन कचरा उपलब्ध कराने पर नगरपरिषद को भ् लाख 2भ् हजार रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। प्रति पांच वर्ष पश्चात इस राशि में 30 प्रतिशत की वृçद्ध का भी प्रस्ताव है। संयंत्र निर्माण स्थल को विकसित करने का जिम्मा  आर.यू.आई.डी.पी. को सौंपा गया है, जिसके पास वर्तमान में सीकर शहर की सीवरेज परियोजना का भी कार्य है। आर.यू.आई.डी.पी. द्वारा लगभग 172 लाख रुपए व्यय कर संपर्क  व अंदर की सड़कें बनाने, एक लैंड फिल ट्रेंच निर्माण, एक वे ब्रिज, कार्यालय भवन, चारदीवारी, नलकूप निर्माण, वृक्षारोपण व विद्युतीकरण आदि कार्य कराए जाएंगे। इसके अलावा करीब 77 लाख रुपए खर्च कर एक जे.सी.बी. मशीन, एक कोर्पक्टोर दो ड्रोपेर  व एक लोडर खरीद कर नगरपरिषद को उपलब्ध कराए जाएंगे।

सीकर नगरपरिषद के अधिशासी अभियंता श्री बी.एल. सोनी, जो इस संयंत्र की स्थापना से जुड़े एक प्रमुख अधिकारी हैं, उन्होंने बताया कि इस संयंत्र में मेटल व कांच को छोड़कर शेष सभी तरह का कचरा कच्चे माल के रूप में काम आ सकेगा, जिसमें प्लास्टिक भी शामिल है। उन्होंने उम्मीद  जताई है कि इस संयंत्र से मार्च 2012 तक बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा। उधर कंपनी  सूत्रों का कहना है कि यह वर्ष भर चलने वाला प्लांट है और इस पर मौसम परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं

पड़ेगा। सीकर नगरपरिषद के पास वर्तमान में कचरे की छंटाई की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं है और नगरपरिषद द्वारा एकत्रित कचरा ज्यों का त्यों कंम्पनी को सौंप दिया जाएगा, जिसे कंम्पनी  द्वारा पर्यावरणीय अनुकूल तरीके से प्रसंस्कृत किया जाएगा।

कंम्पनी  सूत्रों ने जानकारी दी कि जर्मन तकनीक आधारित कंकर्ड ब्लू वेस्ट एनर्जी सिस्टम में कई चरणों वाली प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है जो ठोस काबüननिक कचरे के पाइरोलाइसिस से आरम्भ होगी। इसके बाद गैस का उत्पादन होगा, जिसे एक संशोधन चरण से गुजारा जाएगा तत्पश्चात भाप दी जाएगी और एक टार मुक्त हाई एनर्जी मान वाले हाइड्रोजन से सिन गैस का निर्माण किया जाएगा। यही गैस एक इंजिन अथवा बॉयलर के जरिए निकलने वाली भाप की मदद से बिजली पैदा करेगी। यह एक स्वच्छ समाधान है जो न केवल भारत के उत्सर्जन मापदंडों पर खरा उतरता है बल्कि विश्व स्तरीय मापदंडों के भी अनुरूप है।

सीकर में लगाया जा रहा कचरे से बिजली पैदा करने वाला यह प्लांट उत्तर भारत का पहला संयंत्र होगा, जिसके फलस्वरूप इससे नाना प्रकार के लाभ होने के साथ-साथ सीकर को एक उच्च स्तरीय पहचान मिलेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। उद्योग मंत्री कहते हैं – क्वक्वसीकर शहर को प्रदेश का एक साफ़-सुथरा और सुविधा संम्पन्न  शहर बनाने के मेरे प्रयासों में यह प्रदूषण रहित संयंत्र एक बेश कीमती इकाई के रूप में सामने आएगा।क्वक्व उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने सीकर शहर के लिए कचरा एकत्र करने की परियोजना भी स्वीकृत की है जो अभी तक केवल संभाग मुख्यालय  के जिलों में ही मंजूर है।

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