राजनैतिक सभाओं कविता कतरनों को बेहद सराहा : संजीवा

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sanjeevaअनिल सिन्दूर,
आई एन वी सी,
कानपुर,

जिन्दल पुरस्कार से सम्मानित, व्यवस्था लड़ाई के पुरोधा संजीवा
कविताओं की कतरनों से प्रारंभ की संघर्ष की यात्रा
सैकड़ों मुकद्दमों के कोपभाजक बने 15 वर्षों की इस यात्रा में

अभी हाल ही में जिन्दल पुरस्कार से कानपुर निवासी व्यवस्था परिवर्तन लड़ाई के पुरोधा युवा संजीवा को सम्मानित किया गया। 6 फुट का छरहरा युवक देखने में एक साधारण सा युवक ही लगेगा लेकिन उसमें स्वतन्त्रता के बाद आयी व्यवस्था के प्रति कितनी आग धधक रही है अनुमान लगाना मुश्किल है। पन्द्रह  वर्ष पूर्व प्रारम्भ की गयी इस यात्रा की शुरूआत कैसे हुई जब इस बारे में संजीवा से एक औपचारिक भेंट वार्ता में बात की। उन्होंने बताया कि उन्हें छोटी-छोटी कवितायें लिखने का शौक था जिनकी पर्चियां बना कर वह राजनैतिक सभाओं मे वितरित करते थे। लोगों ने उन कतरनों को बेहद सराहा गया यह शौक दो वर्षों तक बदस्तूर चला। जब उनसे पूछा गया कि आपका टर्निंग पांइट क्या था। उन्होंने बताया कि मेरे घर पर डीएवी कालेज मनोविज्ञान विषय का छात्र सोमनाथ पाल रह रहा था जिसने भारत की आर्थिक नीतियों के खिलाफ आत्महत्या कर ली। इसके बाद  व्यवस्था परिवर्तन तथा आर्थिक नीतियों के खिलाफ अनगिनत नुक्कड़ नाटक किए। जिसमें शासन प्रशासन दोनो का ही कोपभाजक बना सैकड़ो मकद्दमें दर्ज किए गये दर्जनों बार जेल जाना पड़ा। लेकिन लड़ाई जारी रखी गयी। कोई ऐसी घटना जो एतिहासिक रही हो। उन्होंने बताया कि थाना नबाबगंज की घटना हैं एक अनुसूचित जाति की महिला के गुप्तांग को एक होमगार्ड महिला ने डण्डे से जख्मी कर दिया जिस पर आक्रोषित होकर उन्होंने “लड़की लुट गयी थाने में“ नुक्कड़ नाटक थाने के सामने ही किया। इस नाटक को देखने के लिए लगभग 5000 लोग एकत्रित हुए जो एक नुक्कड़ नाटक में जुटने वाली संख्या एतिहासिक कही जा सकती थी। परिणाम स्वरूप थाना प्रभारी सहित थाने के सभी अधिकारी निलम्बित किए गये। उन्होंने बताया कि हमारे नुक्कड़ नाटकों की खासियत रहती थी कि घटना आधारित नुक्कड़ नाटक वह स्वयं लिखते थे। उन्होंने नुक्कड़ नाटक का जिक्र करते हुए बताया कि कानपुर के शिक्षक पार्क में एक नुक्कड़ नाटक “वर्दी वाला कुत्ता“ आयोजित किया जिसका मुकद्दमा आज तक चल रहा है। इस समय किस विधा पर कार्य हो रहा  है। उन्होंने बताया कि कविता चित्रों पर आधारित लेखन पांच वर्षो से चल रहा है इस लेखन को विचार परिवर्तन की क्रान्ती कहा जा सकता है जिसे बहुत ज्यादा सराहा गया। पुरस्कारों के बारें में बताते हुए उन्होंने कहा वैसे तो उन्हें सेकड़ो पुरस्कारों से नवाजा गया लेकिन अभी हाल ही में जिन्दल पुरस्कार दिया गया जिसमें उन्हें 25 लाख रुपए के साथ सम्मान पत्र भेंट किया गया है। अगली योजना क्या है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही आज की व्वस्था के विरूद्ध एक फीचर फिल्म लाएगें।    

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