मैं तुझे
नदी के इस किनारे से
आवाज़ दे रहा हूँ
तू नदी के दूसरे किनारे
मेरी तरफ
पीठ करके खड़ी है
काश!
तेरी पीठ पर उग आतीं आँखें
पुल बन सकती मेरी आवाज़ ।
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उस लड़की का
प्रेम-गीत
भीग रहा है बारिश में
गोकुल से
नहीं आया
कोई कन्हैया
अब
गोवर्धन पर्वत
इस लड़की के सिर पर गिरेगा।
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रतनसिंहढिल्लों
जन्मस्थान – कपूरथला, पंजाब
कुछप्रमुख कृतियाँ
मारुथल, कालेकोहाँदासफ़र (दोनोंकविता-संग्रह), सरघीदाइकरार (गज़लसंग्रह), परवाज़ (प्रेसमें)
*मूल पंजाबी से अनुवाद : अर्जुन निराला