आई एन वी सी,
चंडीगढ़,
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा अपनी मासिक गोष्ठी श्रृंखला में आठवीं कड़ी के रूप में अकादमी सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्री के. सी. शर्मा, उपाध्यक्ष, हरियाणा कला परिषद, चण्डीगढ़ मुख्य अतिथि थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती उषा शर्मा, निदेशक हरियाणा कला परिषद चंडीगढ़ ने की । कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित कवि के रूप में श्री प्रांजल धर, सुप्रसिद्ध कवि व चिंतक , नई दिल्ली ने भाग लिया। मुख्य अतिथि श्री के. सी. शर्मा ने अपने सम्बोधन में लेखकों से अपील की कि वे अपनी रचनाओं को सामाजिक सरोकारों एवं जीवन के यथार्थ से जोडें़। उन्होंने पंडि़त लखमीचन्द की रचनाएं भी सुनाई। गोष्ठïी की अध्यक्षा श्रीमती उषा शर्मा ने अपने सम्बोधन में अकादमी की इस अनूठी पहल को साहित्य के विकास में एक अहम कदम बताया तथा साहित्य को युवा पीढ़ी के मार्गदर्शन का उचित माध्यम बताया व पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अपील की। उन्होंने अपने पति श्री देवीशंकर प्रभाकर की कविताओं की बानगी भी प्रस्तुत की :-
मैं और मेरा दुश्मन, दो रेलवे लाईन की पटरियां हैं ।
जो एक छोर से दूसरे छोर तक फैली हुई हैं ॥
इस दूरी को और दूर मत होने देना ।
क्योंकि इसका फायदा उठा रहे हैं हजारों लोग॥
विशेष आमंत्रित कवि श्री प्रांजल धर ने पुस्तक संस्कृति को विलुप्त होने से बचाने का आग्रह करते हुए इस विषय पर अपना एक आलेख प्रस्तुत किया। उनकी कविताओं के कुछ काव्यांश :-
इतना तो कहा जा सकता है कि
कुछ भी कहना खतरे से खाली नहीं रहा अब
इसलिए उतना ही देखो जितना दिखाई दे पहली बार में
हर दूसरी कोशिश आत्महत्या का सुनहरा आंमत्रण है
मजबूरियां उतनी
एक निर्धन नवयौवना के पास
चौबीसों घण्टे जितनी होती है
क्या इतना कुछ जोडक़र एक घर बनाया जा सकता है
अकादमी निदेशक डॉ. श्याम सखा ‘श्याम’ ने कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों का स्वागत किया। उन्होने लोक साहित्य और लोक भाषा के संरक्षण की अपील की तथा लेखकों से आग्रह किया कि वह अपनी रचनाओं में लोक भाषा के शद्ब्रदों का अधिक से अधिक प्रयोग करे। इस अवसर पर उन्होंने ‘जबान का रस’ तथा ‘राजा भोज व माघ पंडित’ नामक लोक कथाएं प्रस्तुर करते हुए उनमें निहित सामाजिक सरोकारों एवं जीवन के गूढ़ रहस्यों को रेखांकित किया । उन्होंने अपनी नई गजल ‘दिल्ली दूर है’ के कुछ शेर भी प्रस्तुत किए । काव्य गोष्ठी में स्थानीय कविता पाठ सत्र में सर्वश्री डॉ0 जगमोहन चोपड़ा, बी. डी. कालिया हमदम, अमरजीत अमर, उपेन्द्र पाण्डे, संगीता बैनीवाल, उर्मिला कौशिक सखी, सन्तोष गर्ग, शशि प्रभा, तथा बलबीर तन्हा ने भी कविता पाठ किया। पंजाबी निदेशक श्री एस. एस. भण्डारी ने भी कविता पाठ किया। इस अवसर पर श्री हरी राम आर्य, अध्यक्ष, हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समिति, रमेश कुंतल मेघ, सी. एम. भार्गव, डॉ अतुलवीर अरोड़ा, विनोद कश्यप, डॉ. मीरा गौतम, डॉ. श्यामा एवं एम. पी. भारद्वाज, सुशील हसरत नरेलवी, एस.एल. धवन, केदारनाथ केदार, टी. एन. राज, जे.के. सोनी, सतनाम सिंह, सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी श्रोता उपस्थित थे।