यूनेस्को से शिक्षकों का सम्मान बहाल करने के लिए विश्वव्यापी अभियान चलाने का आग्रह

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आईएनवीसी ब्यूरो

पेरिस (फ्रांस). केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने यूनेस्को से समाज में शिक्षक का सम्मान बहाल करने के लिए विश्वव्यापी अभियान चलाने का आग्रह किया है। कल पेरिस में यूनेस्को के 35 वें महासम्मेलन में मंत्रीस्तरीय पहले पूर्ण मंच के मुख्य संबोधन में उन्होंने कहा कि यदि हम सब इस आदर्श पेशे का सम्मान बहाल करने के लिए शिक्षक सर्वप्रथम अभियान चलाएं तो यह सबसे उपयुक्त रहेगा। इस अभियान की आवश्यकता को पूरा करने और युवाओं को माध्यमिक शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए हमें लाखों शिक्षकों की ज़रूरत है। युवा शिक्षा के भूखे हो सकते हैं लेकिन उनके मस्तिष्क को प्रज्ज्वलित करने के लिए हो सकता है हमारे पास योग्य शिक्षक न हों। समाज को शिक्षकों का आदर करना चाहिए जो शांतिपूर्ण और न्यायोचित समाज के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 सिब्बल ने समान सशक्तीकरण और विकास कार्यक्रम के लिए विज्ञान की भारतीय सोच के अनुरूप समाज के हित के लिए वैज्ञानिक ज्ञान को बढावा देने के लिए यूनेस्को से वैश्विक अभियान चलाने को कहा। भारत का यह कार्यक्रम विशेषरूप से ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के जरिए गरीबों और वंचित तबकों के सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए कार्रवाई केंद्रित  तथा स्थान विशेष के लिए परियोजनाएं चलाने के लिए प्रेरित वैज्ञानिकों और जमीन से जुड़े कार्र्यकत्ताओं को अवसर उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी की क्षेत्र में बहुत प्रगति की है और ई-लर्निंग सामग्री भी विकसित की है । इसलिए भारत इस ज्ञान को वैश्विक समुदाय के साथ बांटने का इच्छुक है ।

 मानव संसाधन विकास मंत्री ने शिक्षा, खासतौर पर उच्च शिक्षा को युवाओं के मन में बैठाने के लिए  इस्तेमाल करने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का अहिंसा का संदेश टिकाऊ विकास के क्षेत्र में आज भी प्रासंगिक है । उन्होंने यूनेस्को और इसके महानिदेशक मात्सुरा का इस बात के लिए धन्यवाद  किया कि उन्होंने शांति और टिकाऊ विकास के लिए महात्मा गांधी  शिक्षा संस्थान स्थापित करने के प्रस्ताव में दिलचस्पी दिखाई, जो भारत में यूनेस्को के प्रथम श्रेणी के संस्थान के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रस्तावित संस्थान इस संदेश को फैलाएगा कि अस्थायी विकास विवाद को जन्म देगा और टकाऊ विकास शांति के लिए जरूरी पूर्वापेक्षा है ।

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