यह है आधुनिक बीजो , तकनीको वाली खेती की असलियत |

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– सुनील दत्ता  –

FarmersFarmer-invc-news27 अगस्त के हिंदी दैनिक ‘ बिजनेस स्टैन्डर्ड ‘ में यह सूचना प्रकशित की गयी है कि ‘ बीज तकनिकी क्षेत्र की दस बड़ी विदेशी कम्पनियों ने दिल्ली में एक उद्योग सगठन की घोषणा की है | इनमे मान्सेंटो , बेयर , डाऊ एग्रो साइसेज, डुपोंटपायनियर जैसी दिग्गज कम्पनिया शामिल है | संगठन ने घोषणा की है कि उसका प्रारम्भिक उद्देश्य भारतीय किसानो के लाभ के लिए उच्च उत्पादकता वाले बीज और तकनीक की समस्या का समाधान करना अर्थात उसे किसानो को मुहैया कराना है | अभी तक देश में कुल 15.000 करोड़ रूपये के सालाना बीज कारोबार में इस संगठन में शामिल कम्पनियों की प्रत्यक्ष भागीदारी लगभग 30% है | इसके अलावा इस देश की बड़ी बीज कम्पनियों को अपनी बीज तकनीकी देने के जरिये इन विदेशी बीज कम्पनियों की अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी इससे कही अधिक है |

उदाहरण — इस समय देश की 49 कम्पनियों को बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनियों से वोल्गार्द का लाइसेंस मिला हुआ है जिसके जरिये वे भारत में 95% से अधिक कपास के बीज उपलब्ध कराती है | इन सूचनाओं के सन्दर्भ में प्रमुख सवाल खड़ा होता है कि क्या बहुराष्ट्रीय कम्पनियों उनके नये – पुराने अंतर्रराष्ट्रीय बीज संगठनो की प्राथमिकता देश के किसानो को उच्च उत्पादन वाले बीज व तकनीक को मुहैया करना है ? जैसा कि उनका ब्यान दिया गया है | ऐसा होना नामुमकिन है उनकी प्राथमिकता 15.000 हजार करोड़ रूपये के बीज व्यापार में अपनी भागीदारी को विस्तारित करने के साथ आधुनिक बीज तकनीकी के क्षेत्र में अपने एकाधिकार को और मजबूत करना है | फिर इसी लक्ष्य से जुड़े उनके दूसरे उद्देश्य के बारे में समाचार पत्र में उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार यह बताया गया है कि उनके द्वारा इस सगठन को खड़ा करने का लक्ष्य इस देश की सरकारों की और बीज की नई किस्मो की रायल्टी पर किसी तरह की सीमा तय करने का विरोध भी करना है | ताकि उन्हें अपने बीजो और उसकी तकनीको पर सरकारी ह्स्तक्क्षेप के बिना बीज अधिकतम मूल्य एवं रायल्टी मिलती रहे |

बीज के रायल्टी शुल्क या कीमत को लेकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों सरकार पर पहले से ही दबाव डालती रही है | उदाहरण बी टी कपास के बीज कम्पनी मान्सेंटो ने भारत में अपने कारोबार पर फिर से विचार करने और नई तकनिकी न देने की चेतावनी दी थी | जाहिर सी बात है कि मान्सेंटो की इस धमकी में उसकी बीज तकनीक को लेकर बीज उत्पाद में लगी देशी बीज कम्पनियों ने भी उसके साथ मिलकर सरकार पर दबाव बनाने का काम किया होगा | इस दबाव के फलस्वरूप मई में केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा नये जी एम् ट्रेट के बीजो की रायल्टी फीस 10% कटौती की अधिसूचना को जारी करने के एक सप्ताह बाद ही वापस लिया आखिर क्यों ? यह बड़ा प्रश्न है | स्पष्ट है कि आधुनिक तकनीक के बीजो पर मनमानी रायल्टी फीस एवं मूल्य बढाने तथा सरकार द्वारा उस पर इस या ऐसे किसी नियंत्रण का विरोध करने के लिए भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने बीज उद्योग संघ नाम का संगठन खड़ा किया है | उनकी पूंजी व तकनीक से बंधी देश की बीज कम्पनिया भी स्वभावत: इन्ही के साथ संगठित होगी |

देश की सरकारे डंकल प्रस्ताव को स्वीकार करने के साथ , देश के कृषि उत्पादन में अब तक प्रयुक्त होते रहे आधुनिक शोधित बीजो पर विदेशी बीज कम्पनियों के पेटेंटी अधिकार को 1995 में ही स्वीकार कर चुकी है | अर्थात बीज के मूल्य के अलावा उस पर उनके पेटेंट के एवज में रायल्टी देने की बात इस प्रस्ताव के अंतर्गत स्वीकार कर चुकी है | इसलिए सरकारे उन पर बहुत दबाव डालने का अधिकार तो पहले ही गंवा चुकी है | लेकिन अब कम्पनिया आधुनिक बीज की रायल्टी के प्राविधानो अनुसार सरकारों को उसे कम करने के मिले अधिकार पर भी अपना दबाव डालने में लगी हुई है | सरकार को इसकी कोई चिंता भी नही है | इन्ही नीतियों और प्रस्तावों के लागू होने के फलस्वरूप बहुराष्ट्रीय कम्पनिया अधिकाधिक संगठित रूप से अपने बीजो का बाजार बढाने , उसका एकाधिकार मजबूत करने तथा अधिकतम मात्रा में रायल्टी फीस व मुनाफ़ा वसूलने में सफल भी होती रही है | लेकिन इधर इस कृषि प्रधान देश की करोड़ो किसानो की आबादी देश को खाद्यान्न के साथ सबसे ज्यादा रोजगार मुहैया कराने वाला कृषि क्षेत्र होने के वावजूद महंगे बीजो का इस्तेमाल करने की वजह से भी अपनी लागत नही निकल पा रहा है | आधुनिक बीजो तकनीको को अपनाने और अधिकाधिक उत्पादन करने के वावजूद उसकी बिक्री से कृषि का पुनरुत्पादन करने में असफल होता जा रहा है | यह है आधुनिक बीजो , तकनीको वाली खेती की असलियत |

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sunil-duttaपरिचय:-

सुनील दत्ता

स्वतंत्र पत्रकार व समीक्षक

वर्तमान में कार्य — थियेटर , लोक कला और प्रतिरोध की संस्कृति ‘अवाम का सिनेमा ‘ लघु वृत्त चित्र पर  कार्य जारी है
कार्य 1985 से 1992 तक दैनिक जनमोर्चा में स्वतंत्र भारत , द पाइनियर , द टाइम्स आफ इंडिया , राष्ट्रीय सहारा में फोटो पत्रकारिता व इसके साथ ही 1993 से साप्ताहिक अमरदीप के लिए जिला संबाददाता के रूप में कार्य दैनिक जागरण में फोटो पत्रकार के रूप में बीस वर्षो तक कार्य अमरउजाला में तीन वर्षो तक कार्य किया |

एवार्ड – समानन्तर नाट्य संस्था द्वारा 1982 — 1990 में गोरखपुर परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक द्वारा पुलिस वेलफेयर एवार्ड ,1994 में गवर्नर एवार्ड महामहिम राज्यपाल मोती लाल बोरा द्वारा राहुल स्मृति चिन्ह 1994 में राहुल जन पीठ द्वारा राहुल एवार्ड 1994 में अमरदीप द्वारा बेस्ट पत्रकारिता के लिए एवार्ड 1995 में उत्तर प्रदेश प्रोग्रेसिव एसोसियशन द्वारा बलदेव एवार्ड स्वामी विवेकानन्द संस्थान द्वारा 1996 में स्वामी
विवेकानन्द एवार्ड
1998 में संस्कार भारती द्वारा रंगमंच के क्षेत्र में सम्मान व एवार्ड
1999 में किसान मेला गोरखपुर में बेस्ट फोटो कवरेज के लिए चौधरी चरण सिंह एवार्ड
2002 ; 2003 . 2005 आजमगढ़ महोत्सव में एवार्ड
2012- 2013 में सूत्रधार संस्था द्वारा सम्मान चिन्ह
2013 में बलिया में संकल्प संस्था द्वारा सम्मान चिन्ह
अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन, देवभूमि खटीमा (उत्तराखण्ड) में 19 अक्टूबर, 2014 को “ब्लॉगरत्न” से सम्मानित।

प्रदर्शनी – 1982 में ग्रुप शो नेहरु हाल आजमगढ़ 1983 ग्रुप शो चन्द्र भवन आजमगढ़ 1983 ग्रुप शो नेहरु हल 1990 एकल प्रदर्शनी नेहरु हाल 1990 एकल प्रदर्शनी बनारस हिन्दू विश्व विधालय के फाइन आर्ट्स गैलरी में 1992 एकल प्रदर्शनी इलाहबाद संग्रहालय के बौद्द थंका आर्ट गैलरी 1992 राष्ट्रीय स्तर उत्तर – मध्य सांस्कृतिक क्षेत्र द्वारा आयोजित प्रदर्शनी डा देश पांडये आर्ट गैलरी नागपुर महाराष्ट्र 1994 में अन्तराष्ट्रीय चित्रकार फ्रेंक वेस्ली के आगमन पर चन्द्र भवन में एकल प्रदर्शनी 1995 में एकल प्रदर्शनी हरिऔध कलाभवन आजमगढ़।
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* Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS .

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