आई एन वी सी न्यूज़
नई दिल्ली ,
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में ‘रिमेम्बरिंग बाबा-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद’ कॉफी टेबल पुस्तक की पहली प्रति प्राप्त की। राष्ट्रपति ने पुस्तक का विमोचन करने वाले राज्यसभा सासंद डॉ. करन सिंह से इसे प्राप्त किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने राजेन्द्र बाबू के प्रेरणादायी जीवन के प्रसंगों का स्मरण करते हुए भारत के इस महान बेटे को श्रद्धाजंलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक न केवल उनकी यादों को जीवंत रखने का माध्यम बनेगी बल्कि साथ ही शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए मूल्यवान साबित होगी। राजेन्द्र बाबू का जीवन इस पीढ़ी के साथ ही अगली पीढ़ी के लिए भी जिज्ञासा का विषय रहेगा। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में असंख्य योगदान तो दिए ही साथ ही संविधान निर्माण में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। संविधान सभा की बैठक के दौरान सदस्यों के बीच विभिन्न मसलों पर हुए मतभेदों का निराकरण भी राजेन्द्र बाबू ने बहुत ही योग्यता के साथ किया। यह कार्य किसी और के लिए इतना सरल नहीं होता।
राष्ट्रपति ने कहा कि राजेन्द्र बाबू कलकत्ता विश्वविद्यालय के मेधावी छात्र रहे। वह न केवल अपने समय के टॉपर थे बल्कि उन्होंने रिकॉर्ड अंक भी प्राप्त किए थे। राष्ट्रपति श्री मुखर्जी ने कहा कि राजेन्द्र बाबू की सादगी की छाया उनके परिवार के अन्य सदस्यों में भी देखी जा सकती है। उनके पुत्र मृत्युजंय प्रसाद, 1969 में सासंद के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान बस से ससंद आते थे। उन्होंने अपने पिता की लिखने की मेज को अपनी पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया और बाद में उसे संग्रहालय को दे दिया।
पुस्तक ‘रिमेम्बरिंग बाबा-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद’ का संकलन डॉ. प्रसाद के परिवार के सदस्यों ने किया है। पुस्तक में उनके पोते और उनके पोते के पुत्र द्वारा उनके बारे में दी गई जानकारी को शामिल किया गया है। पुस्तक पूर्व राष्ट्रपति के बिहार के सीवान जिले में जन्म, जीवन के शुरूआती वर्षों, दिल्ली में उनके जीवन यापन और सेवानिवृत्त के बाद के समय के बारे में जानकारी समेटे है।
इससे पहले राष्ट्रपति, अधिकारियों और कर्मचारियों ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में उनके चित्र पर फूल मालाएं अर्पित की।