मौलाना खालिद मुजाहिद की मौत का सच – जो चुप रहेगी जुबान ऐ खंजर, लहू पुकारेगा आस्तीं का

2
61

News for maulana khalid mujahid,1( वसीम अकरम त्यागी **)उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में पेशी से लौटतो वक्त हुई मौलाना खालिद मुजाहिद की रहस्मय परिस्थिती में हुई मौत से गुस्साऐ लोगों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। भले ही मीडिया इंसाफ के लिये उठती इन आवाजों को सरकार के इशारे या अपने सांप्रदायिक भूमिका की वजह से न उठा रही हो मगर सोशल नेटवर्किंग साईट जैसे फेसबुक, ट्विटर, आदी पर मौलाना खालिद मुजाहिद को इंसाफ दिलाने से संबधित समाचार खूब तैर रहे हैं। और तो और रिहाई मंच से जुड़े कुछ लोगों ने खालिद मुजाहिद को न्याय देने के उद्देश्य से I am Khalid Mujahid and I am innocent नाम से एक  पेज बनाया है जिसको भरपूर समर्थन मिल रहा है। इस पेज को मिलने वाले समर्थन से लगता है कि अभी अभी लोगों को न्यायपालिका पर भरोसा है। News for maulana khalid mujahid,1लेकिन बड़ा सवाल यहां पर यह उठता है कि क्या पीड़ित के परिवार को न्याय मिल पायेगा ? क्या उसके ऊपर से मरणोपरांत आतंकवादी होने जो मीडिया पहले ही घोषित कर चुकी है का दागं धुल जायेगा ? और क्या उन पुलिस वालों को भी सजा मिलेगा जो इस हत्या में शामिल हैं ? हत्या इसलिये लिखा गया है क्योंकि खालिद मुजाहिद की डेड बॉडी पर जो चोट के निशान हैं उनसे साफ पता चल रहा है कि ये कोई आक्समिक मौत या दुर्घटना नहीं है बल्कि जानबूझकर किया गया एक सियासी मर्डर है। जिसे कथित तौर से समाजवादी पुलिस ने अंजाम दिया है। क्योंकि 2008 में बटला हाऊस फर्जी एनकाउंटर के बाद अस्तित्व में आये राष्ट्रीय उलेमा कोंसिल के अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी के फोटो ग्राफर ने खालिद मुजाहिद की मरणोपरांत फोटो ली थी जिनमें News for maulana khalid mujahid,1साफ तौर पर दिखाया गया है कि किस बर्रबर्ता से पुलिस ने खालिद को मुजाहिद बनाया है। और इन्हीं जख्मों के निशान कभी न मिटने सवाल भी पैदा कर दिये हैं। 1. तस्वीरों में दिखाए गए ज़ख्म कहाँ से आये ? 2. कुरता पैजामा पहनने वाले शक्श के जिस्म पर मौत के बाद लोअर टीशर्ट कहाँ से आया ? 3. पोस्ट मोर्तेम रिपोर्ट में ज़िक्र है की चेहरे, फेफड़ों, किडनी में खून जमा है, फितरी मौत में ऐसा होता है क्या ? 4. अगर फितरी मौत है तो प्रदेश सर्कार को पंचनामा करने की ऐसी क्या जल्दी थी और वो भी समाजवादी पार्टी के लीडरों को गवाह बनके ? 5. अगर फितरी मौत थी तो साथ में जा रहे पुलिस वालों को ससपेंड क्यों किया गया ? 6 . अगर फितरी मौत थी तो 6 लाख के मुआवज़े का नाटक क्यों रचा गया ?News for maulana khalid mujahid,1
क्या इन सवालों के जवाब हैं किसी के पास ? कहने को तो इस मामले की सीबीआई जांच कराने का भी सरकार ने आश्वासन दिया था और खालिद मुजाहिद के परिवार को 6 लाख रुयये मुआवजा देने की भी घोषणा की थी जिसे खालिद के परिवार ने ठुकरा दिया. इसकी वजह सिर्फ यह है कि उन्हें न्याय चाहिये उन्हें सरकार द्वारा दी जा रही भीख नहीं चाहिये। वे तो न्याय चाहते हैं जिसके लिये रिहाई मंच के साथ उलैमा कौंसिल, नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी मैदान में है जो उन्हें न्याय दिलाने के लिये समाजवादी सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उपरोक्त सवालों के जवाब भी तो चाहिये उन्हें कौन देगा, कथित मुस्लिम लीडर, और बुखारी, मदनी जैसे कौम के ठेकेदार तो इस पर खामोश हैं। जो अपने आपको News for maulana khalid mujahid,1मुस्लिम लीडर उनका मसीहा कहते हैं। ये अगर सच में कौमपरस्त लीडर हैं तो उन्हें उपरोक्त सवालों के जवाब मांगने चाहिये। उन्हें सपा सरकार की सांप्रदायिक नीती का विरोध करना चाहिये मगर अफसोस वे ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि उनकी रोजी रोटी यहां से चलती है फिर वे अपने पेट पर लात कैसे मार सकते हैं ? रिहाई मंच के शाहनवाज कहते हैं कि कितनी अजीब बात है ये तथाकथित मुस्लिम नेता सदन में तो मुस्लिम उत्पीड़न की बात उठाते नहीं और सड़क पर आकर अपने आपको मुस्लिमों का रहनुमा, कहते हैं कैसा अजीब मजाक ये कौम के साथ कर रहे हैं सही मायने में तो इन लोगों ने ही मुस्लिम कौम को कभी सपा, तो कभी बसपा, कांग्रेस, के खाते में गिरवी रख दिया है। शाहनवाज का यह कहना कोई गलत भी नहीं किसी भी मामले को ले लीजिये कभी भी इन्होंने उसे गंभीरता से नहीं उठाया भीड़ दिखाकर अपने लिये राज्यसभा की सीट हासिल की और फिर कौन का दर्द इनके सीनों में नहीं रहा क्योंकि जितनी कौम उत्पीड़ित होती है उतना इनको उच्च पदों से नवाजा जाता है. लाल बत्ती और पेट्रोल पंप जैसे सियासी कारोबारों से नवाज कर सियासी पार्टियां अपना उल्लू सीधा कर ही लेती हैं। आरक्षण की मांग एक बार अहमद बुखारी ने जरूर की थी आरक्षण मिला भी. लेकिन विडंबना यह है कि वह आरक्षण इस कौम को जेल में मिला जरूरत से ज्यादा मिला वहां पर ये आबादी के अनुपात से ज्यादा हैं। बाकी दूसरे क्षेत्रों में ये अनुपात न के बराबर हैं. क्या ये सब इनको नहीं दिखता ? दिखता तो जरूर होगा मगर इनकी आंखों पर खुद के स्वार्थ का चश्मा जो लगा है उसमें दुखों के लिये कोई गुंजाईश नहीं है. इन्हें कोई फर्क तब भी नहीं पड़ता जब सांप्रदायिक अखबार किसी भी मुस्लिम नौजवान को बगैर किसी अपराध के साबित हुऐ आतंकवादी लिखते हैं और जज की भूमिका निभाते हैं। इनकी इस ठिटाई पर फ्रांस की उस रानी की कहानी याद आती है जिसने जनता की भूख का मजाक उड़ाते हुऐ राजा को सलाह दी थी कि रोटी अगर नहीं है तो जनता केक खाकर पेट क्यों नहीं भर लेती ? लेकिन उसकी इस सलाह की कीमत राजा को अपनी राजगद्दी गंवाकर और अपने प्राणों की आहुती देकर चुकानी पड़ी थी। ये शाय़द भूल रहे हैं जिस दिन कौम इनके इस मजाक को समझ गयी उस दिन किसी खालिद मुजाहिद की लाश इनसे न्याय मांगने के लिये गुहार नहीं लगायेगी. फिर कोई बुखारी, मदनी, फिरंगी महली, मोहम्मद, आजम खां इनके News for maulana khalid mujahid,1जज्बात से नहीं खेलेगा… इसलिये अभी भी वक्त है न्याय पालिका का दरवाजा खुला है वहां जाकर इंसाफ की लड़ाई लड़ी जा सकती है. उपरोक्त सवालों के जवाब भी हासिल करके न्याय लिया जा सकता है। और उन पुलिसकर्मियों को भी जेल भिजवाया जा सकता है जो इस हत्या के अभियुक्त है और उन पर प्राथमिकी दर्ज है। अगर ये तथाकथित मुस्लिम लीडर ऐसा नहीं करते हैं तो फिर फ्रांस के राजा की तरह ये भी अपनी सत्ता से हाथ धोने के लिये तैयार रहें।
_________________________________________________________________

Wasim-Akram-Wasim-Akram-tyagi-वसीम-अकरम-त्यागीवसीम अकरम त्यागी युवा पत्रकार

9927972718, 9716428646

____________________________________________________

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely

his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

2 COMMENTS

  1. Innosent Muslmano ko phasa kr unhe mar dena aur unke sr Atnkwadi tamga dena Aur ye samajwadi prty apne apko muslmano ka himayti batati h….ye sb bs iski rajniti h…..aur kuch ni….

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here