*मोदी विरोधी कांग्रेसी कठपुतलियां

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**विष्णुगुप्त

कठपुतलियां खुद नहीं नाचती-नाचायी जाती हैं। वह तो नचाने वाली उगंलियों की गुलाम होती है। पर्दे के पीछे खड़े व्यक्ति के हाथों के उंगलियों के विसात पर कठपुतलियों अपनी करतब दिखाती हैं। नरेन्द्र मोदी के विरोध में कांग्रेस और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष जमात जो आईएसआई व अन्य राष्टविरोधी पैसों पर पलती हैं और अपना करतब दिखाती हैं ने एक पर एक ऐसी कठपुतलियां खड़ी की जिसकी पोल समय-समय पर खुलती रही हैं। पहले अरूंधती राय की गुजरात दंगों पर अतिरंजित व प्रत्यारोपित कहानियों की पोल खुली और उसके बाद तिस्ता शीतलवाड़ के फर्जीवाड़ा कर न्यायिक प्रक्रिया को धोखे में रखने की भी पोल खुल गयी। अब पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट की मोदी विरोधी की असली कारस्तानी की पोल खुली है। संजीव भट्ट ने गुजरात दंगे में मोदी की प्रत्यक्ष भूमिका होने का अरोप लगाकर रातो-रात मीडिया/कांग्रेस और तथाकथित मुस्लिम परस्त सामाजिक-एनजीओ संवर्ग का आईकान बन गया था। खासकर कांग्रेस और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सामाजिक-एनजीओ ने ऐसा ताना-बाना बुना कि संजीव भट्ट के हथियार से पिछले तीन चुनावों से अपराजीत राजनीतिक योद्धा नरेन्द्र मोदी का सफाया हो जायेगा। न्यायिक परीक्षण में संजीव भट्ट को मोदी के खिलाफ गवाह बनाने की पूरी कोशिश हुई। जबकि संजीव भट्ट प्रारंभ से ही एक संदिग्ध बयानबाज थे। गुजरात दंगो के वर्षों बाद उसने मुंह क्यों खोली? वास्तविकता बेहद ही कषैला है। इसलिए कि संजीव भट्ट की प्रशासनिक गड़बडि़यों के कारण गुजरात सरकार छानबीन करा रही थी। गुजरात सरकार की जांच के बाद वे लम्बी छूटी मे गये और एकाएक मोदी के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। गवाह के रूप में उसने जिस कास्टेबल को मोहरा बनाया था व लालच देकर कागजातों पर हस्ताक्षर कराये थे उसकी असली कहानी अब सामने हैं। कांग्रेस और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष जमात का आईकन संजीव भट्ट अब जेल मे है और संजीव भट्ट को मोदी विरोध की कठपुतली बनाकर नचाने वाली उंगलियां भी बेपर्द होने से नहीं बची है। देर-सबेर तिस्ता शीतलवाड़ के फर्जीवाड़े पर भी न्यायिक परीक्षण अपना करतब दिखायेगा?
संजीव भट्ट को कांग्रेस की कठपुतली क्यों नहीं माना जाये। संजीव भट्ट प्रसंग की असली केन्द्र में कांग्रेस की मोदी विरोध और मुंिस्लम परस्त राजनीति-रणनीति है। साजिशों का मंकड़जाल कांग्रेसियों द्वारा बुना गया। कास्टेबल करण सिंह पंत ने अपने एफआईआर में कहा है कि आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने उस पहले लालच और बाद में दबाव डालकर झूठे बयानों पर हस्ताक्षर कराये थे। इसमे गुजरात कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया की भूमिका गंभीर मानी जा रही है। कास्टेबल करण सिंह पंत को कांगं्रेस के एक नेता शक्ति सिंह से संजीव भट्ट ने मिलवाया था। शक्ति सिंह और अर्जुन मोढवाडिया ने करण सिंह पंत से कहा था कि बयानों पर हस्ताक्षर कर दो,फायदे में रहोगे। क्योंकि नरेन्द्र मोदी की सरकार जानेवाली और नरेन्द्र मोदी की जगह जेल होगी। कास्टेबल करण सिंह पंत दबाव में आकर संजीव भट्ट और कांग्रेसी नेताओ द्वारा तैयार कराये गये हलफनामे पर हस्ताक्षर किये थे। कास्टेबल पंत के एफआईआर पर जेल गये संजीव भट्ट के लिए कांग्रेस आसूं क्यों बहा रही है। कांग्रेस के नेता भट्ट के परिजनों से मिलने क्यों गये? भट्ट के पक्ष में कांग्रेसियों की लगातार बयानबाजी क्यों और किस मकसद से हो रही है? संजीव भट्ट को आईकाॅन और हीरो बनाने का कांग्रेस और अन्य एनजीओ की नीतियां व यथार्थ क्या है? मोदी के विरोध की कितनी कीमत मल्लिका साराभाई ने उठायी है। मल्लिका साराभाई के एनजीओ को केन्द्रीय सरकार और अन्य संबंधित सरकारी संगठनों द्वारा करोड़ों रूपये की सहायता क्यों मिली है? क्या केन्द्र की सरकार की आर्थिक लाभ से गुजरात में मोदी विरोध की राजनीति हो रही है। इस तथ्य का न्यायिक-राजनीतिक परीक्षण की जरूरत क्यों नहीं है?
जहां तक संजीव भट्ट की शख्सियत का सवाल है तो सेवा के प्रारंभ से ही उसकी प्रशासनिक गतिविधियां सेवाशर्तो की विपरीत रहीं है। प्रशासनिक हीलाहवाली के साथ ही साथ कई आपराधिक कार्यों में उसकी संलिप्तता रही है। गुजरात पुलिस के रिपोर्ट मे साफतौर पर कहा गया है कि संजीव भट्ट पर 1988 से ही अत्याचारों और कई गतिविधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है और विभिन्न जांचों के धेरे में रहे हैं। नरेन्द्र मोदी के पूर्व की सभी राज्य सरकारो में भट्ट के खिलाफ प्रशासनिक जांच की कार्रवाई हुई है। कास्टेबल पंत से झूठे हलफनामा बनवाने के प्रसंग पर गुजराता पुलिस ने एक बार नहीं बल्कि चार-चार बार संजीव भट्ट को अपना पक्ष रखने के लिए मौका दिया था। पर उसने झूठा तर्क व तथ्य देकर पक्ष रखने से बचता रहा। अगस्त माह की 12 और 25 व दो सितम्बर को उपस्थित होने का नोटिस दिया गया था।  अंतिम बार 20 सितम्बर को पेश होने के लिए कहा गया था। 20 अगस्त को उपस्थित नहीं होने का झूठा हलफनामा भी दिया था और भट्ट ने झूठे तर्क दिये थे कि उसे गोधरा जांच आयोग के सामने उपस्थित होना है। 2002 के गुजरात दंगो पर भट्ट ने मोदी के खिलाफ आयोग लगाये हैं पर उसके खिलाफ जांच की पूरी कार्रवाई 2001 के पूर्व की कारस्तानियों पर आधारित है। गुजरात के तत्कालीन पुलिस प्रमुख ए चक्रवर्ती ने साफतौर पर कहा है कि जिस बैठक की बात संजीव भट्ट कर रहे हैं उस बैठक में संजीव भट्ट मौजूद ही नहीं थे और न ही संजीव भट्ट के बैठक में होने का सरकारी कोई प्रमाण है। संजीव भट्ट के पक्ष सिर्फ कास्टेबल पंत का हलफनामा था जो अब उनके खिलाफ ही हथियार बन गया है।
संजीव भट्ट ही नही बल्कि कई और कठपुतलियां हैं जिन पर न्यायप्रणाली को प्रभावित करने के तर्क और तथ्य संगत प्रमाणित आरोप हैं। गुजरात दंगे की जांच कर रही विशेष पुलिस जांच टीम के पास तिस्ता शीतलवाड़ के खिलाफ झूठे हलफनामा लिखवाने के आरोप हैं। मामला प्रकाश में आने के बाद तिस्ता शीतलवाड़ गिरफ्तारी से बचने के लिए तरह-तरह के तर्क ढुढ रही है। इतना ही नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी की सरकार पर अत्याचार करने और उत्पीड़न का दौर चलाने जैसे आरोप भी लगाये जा रहे हैं। बहुचर्चित और मुस्लिम परस्त अरूंधती राय ने भी गुजरात दंगों पर अतिरंजित और प्रत्यारोपित तथ्य गढे थे। अतिरंजित और प्रत्यारोपित तथ्यों पर लिखे गये लेखों की असली पोल जब खुली तब अरूधंती राय चुप्पी साध ली। अतिरंजित और प्रत्यारोपित तथ्यों पर लिखे गये लेखों में हिन्दू संवर्ग को खलनायक ही नहीं बल्कि आतंकवादी के तौर पर दिखाया गया था। अरूंधती राय को मुस्लिम आतंकवाद नहीं दिखता पर उसे हिन्दू आतंकवाद की मनगढंत कहानी गढ़ने मेे आगे रहती है।
कठपुतलियां सिर्फ मनोरंजन कर सकती हैं। इतिहास नहीं बना सकती हैं। कांग्रेस और अन्य मोदी विरोधियो की विसंगतियां भी यही है। अरूधंती राय हो या फिर तिस्ता शीतलवाड़ सभी की मुस्लिम परस्त राजनीति ओझल है ऐसी बात भी नहीं है। गुजरात दंगा तो इन्हें दिखता है पर उन्हें गोधरा कांड नहीं दिखता हैं। गोधरा कांड में मारे गये हिन्दुओ की जान की कोई कीमत नहीं थी? गोधरा कांड एक बड़ी साजिश थी। साजिश के सूत्र आईएसआई से जुड़ी हुई थी। आईएसआई ने भारत में हिन्दुओं के खिलाफ अलकायदा और तालिबान जैसी मुस्लिम फोर्स खड़ी करने की नीति बनायी थी। गोधरा-गुजरात दंगे के पूर्व मुस्लिम गुडागर्दी हिन्दू संवर्ग त्राहीमाम कर रहा था। छोटे-मोटे तकरार में भाई शव्द की धमकी मिलती थी। गोधरा कांड पर मारे गये हिन्दू संवर्ग पर अगर चिंता हुई होती तो गुजरात दंगो की आग शायद ही भड़कती। उल्टे गोधरा कांड को अंजाम देने वाले आईएसआई के गुर्गे को बचाने के लिए तथाकथित धर्मनिरपेक्ष शक्तियां सक्रिय हो गयी। आईएसआई के इसारे पर हुए मुस्लिम आतंकवाद की इस घटना को हिन्दुओं के करतूत बताने की राजनीति चली। फलस्वरूप इसकी आग पूरे गुजरात मे फैली। अरूधंती राय तिस्ता शीतलवाड़ जैसी सभी प्रक्रियाओं के पीछे कांग्रेसी धन और मुस्लिम परस्त राजनीति है। कांग्रेस और मुस्लिम परस्त राजनीति का एक और कठपुतली संजीव भट्ट खुद अपने बुने हुए जाल में फं्रस कर जेल की हवा खा रहा है।

**विष्णुगुप्त का परिचय
समाजवादी और झारखंड आंदोलन सक्रिय भूमिका रही है। मूल रूप से समाजवादी चिंतक हैं। पिछले 25 सालों से हिन्दी पत्रकारिता के योद्धा हैं। ‘झारखंड जागरण‘ रांची, ‘स्टेट टाइम्स‘ जम्मू और न्यूज एजेंसी एनटीआई के संपादक रह चुके है। वर्तमान में वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार है। संपर्क नम्बर – 09968997060
*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC

1 COMMENT

  1. ye lekhak apne ko samajwadi chintak kahta hai, ye sarasar ghalat khta hai. khud ko samajwadi kahkar logon ko gumraah bkarta hai. wastaw men ye swayam RSS ki bhasha bolta hai. iske sabhi lekh kattarwadi hote hain. achchha hoga ki ye apne asli roop ko logon ke samne rakhe .Naresh goyal Delhi

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