मोदी की धूम और एक्जिट पोल का बूम – अडवानी होंगे नए आशीर्वाद नेता ?

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{ ज़ाकिर हुसैन }
नरेदर मोदी की धूम और एक्जिट पोल का बूम , दोनों ने मिलकर भाजपा एंड पार्टी की पौंह बारह कर दी  हैं , जिसका नतीजा ये हुया है की भाजपा में पद और पावर के लियें मारामारी शुरू हो गयी हैं ,पहले से ही दो खमो में बटी भाजपा का अब ये पद और पवार कलह भी कगार पर आ गया हैं    ,एक ओर जहां आरएसएस – मोदी खेमा खुश हैं तो वहीँ दूसरा और अडवानी खेमा भाजपा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा हैं  ,दोनों खेमो ने मान लिया है की भाजपा की सरकार बननी अब  तय हैं , इसी बजह से 10 सालो से मंत्रालयों को सूखा झेल रहे  भाजपा के बड़े नेताओं की लालसा अब मीडिया के जरीय जनता सामने आ गयी हैं साथ ही दोनों खमो के मन के साथ – साथ मत भेद भी सरे आम हो गया हैं !

नरेंदर मोदी की कार्य शैली जग – जाहिर है , गुजरात में जितने भी वरिष्ठ और  कद्दावर नेता थे या तो वोह मोदी की शरण में आये या उन्हें भाजपा को छोड़ कर जाना पडा या फिर अपने अस्तिव के लड़ाई – लड़ते , आखिर अपने हथियार डालकर घर बैठने में ही भलाई समझी ,जिन्होंने नरेदर मोदी से उलझने की कौशिश की वोह घर के रहें न घाट के , संजय जोशी इसका जीता जागता उदहारण हैं ,नरेदर मोदी से टकराने या फिर उनको न कहने की हिम्मत अभी हाल फिलहाल भाजपा के साथ – साथ  पूरे संगठन में किसी में भी  नज़र नहीं आती हैं , नरेदर मोदी साथ- साथ संघ नहीं चाहता की मोदी सरकार में सत्ता के भी दो केंद्र हो, जैसा की भाजपा मनमोहन सरकार पर कमज़ोर प्रधानमंत्री होने के साथ साथ 10 जनपथ पर सत्ता का दुसरा केंद्र होने का आरोप लगाती रहीं है ,सत्ता का दुसरा केंद्र न  होना देश के साथ साथ जन हित में भी सबसे अच्छा  हैं , क्योकि अगर सत्ता का कोई भी दूसरा केंद्र नहीं होगा तो प्रधानमंत्री को देश हित के साथ साथ जन हित में कोई भी अहम् फैसला लेने में दिक्कत नहीं होगी  !

लोकसभा चुनाव परिणाम आने पहले ही दो खेमो बटी  भाजपा में मंत्री पद और अपनी भूमिका को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है. अगली सरकार के गठन की कवायद अभी से ही शुरू हो गई है ,पापुलर मीडिया ने तो , होने वाली मोदी सरकार में कई कद्दावर नेताओ को मंत्रालय भी दे दियें हैं , भाजपा के हाशिय पर पड़े सबसे वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की भूमिका को लेकर संशय अभी बना हुआ है , अब सवाल ये उठता हैं क्या 2 सीटो वाली बाजपा को 182 सीटो वाली पार्टी बनाने वाले अडवानी के क्या भाजपा में इतने बुरे दिन आ गयें हैं की भाजपा के किसी भी बड़े फैसले या अहम् बैठक में उन्हें शामिल करना तो दूर , उनकी राय लेना भी उचित नहीं समझा जाता है  ,बल्कि कभी अडवानी के करीबी रहे अरुन जेटली को हर बड़े फैसले में  अहमियत दी जाती हैं ! क्यों ? क्योकि कभी अडवानी के खासमखास रहे अरुन जेटली ने मोके पर शानदार चौका मारते हुए मोदी एंड पार्टी का विशवास मत हासिल कर लिया ,अरुन जेटली नरेदर मोदी एंड पार्टी की टीम एक न सिर्फ अहम् सदस्य बन बैठे हैं  बल्कि सबसे अहम् पोजीशन पर बैटिंग भी कर रहे हैं !

भाजपा के वरिष्ठ नेता  बने परेशानी का सबब –  नरेदर मोदी के साथ साथ आरएसएस की भी परेशानी का सबब बने हुयें हैं ये भाजपा के वरिष्ठ नेता ,  क्योकि नरेदर मोदी को वरिष्ठ नेताओं के साथ न सिर्फ सरकार चलाने में दिक्कत होगी ,बल्कि ये भाजपा के वरिष्ठ नेता , कई अहम् फैसलों में भी अपनी टांग फसा सकते हैं ,या फिर मोदी सरकार की आलोचना सरे आम कर सकते है या फिर कुछ फैसले मोदी से करवाने के लियें मोदी सरकार पर प्रेशर भी बना सकते इन सभी परेशानियों से निजात पाने के लियें मोदी और आरएसएस चिंतन मनन में लगे हैं  , क्योकि अगर  भाजपा इन वरिष्ठ नेताओं को बिना किसी प्लानिंग के हाशिये पर डालती हैं तो फिर न सिर्फ विपक्ष को सवाल करने का मौक़ा मिलेगा बल्कि कार्यकर्ताओं  में भी गलत सन्देश जाएगा !

भाजपा में वरिष्ठ नेताओं को हाशियें पर डालने का हर फार्मूला फेल होता नज़र आ रहा हैं , मोदी के साथ आरएसएस भी इस फार्मूले पर काम कर रहा हैं की कैसे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं हाशियें पर डाला जाए पर हर बार कोई न कोई तकनिकी दिक्कत सामने आ ही जाती हैं ,वरिष्ठ नेताओं को हाशियें डालने वाला फार्मूला रिटायर एट 70 फ्रॉम दी मोदी गोवरंमेंट , बुरी तरहा फेल हो गया क्योकि अगर 70 साल के सभी नेताओं को सरकार से बहार रखने की कवायत शुरू हुयी तो कुछ एसे नेता हैं जिनकी उम्र 68 या 69 साल हैं उनको अगर आज मंत्रालय दिया जाता तो भाजपा एक या दो साल के बाद क्या ,क्यूँ और कैसे इनसे इनसे इस्तीफा लेगी और फिर नरेदर मोदी खुद भी अभी 64 साल के होने वाले हैं तो क्या भाजपा अगला प्रधानमंत्री किसी और को प्रोजेक्ट करेगी ? इस तकनिकी दिक्कत के बाद संघ के साथ – साथ नरेदर मोदी ने भी 70 + रिटायरमेंट फार्मूले से अपने हाथ खीच लियें !

अडवानी की मोदी द्वारा उनकी और उनके पुराने सिपाहियों कि .की गयी अनदेखी जग जाहिर और अडवानी का रूठना और फिर मान जाना भी जग जाहिर हैं ,अडवानी को एक तरह कुआं तो दूसरी तरफ खाई नज़र आ रहीं हैं क्योकि अडवानी की खासमखास रही शुष्मा स्वराज को भी जिस तरहा से हाशिय पर ढकेला गया हैं उससे भी  अडवानी खेमे की रही सही भी हिम्मत जबाब दे गयी हैं,अब अडवानी खेमे के सिर्फ एक ही नेता भाजपा में बचे हैं , जो अभी तक कद्दावर भी है और  पावर में भी हैं , वोह हैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान , अब सवाल ये उठता हैं की क्या मोदी खेमा कभी भी,  शिवराज सिंह को भी किसी भी , किसी तरहा हाशिय पर ढकेलेने की कौशिश करेगा या फिर कर सकता हैं !

एल के अडवानी , मुरली मनहोर जोशी , जसवंत सिंह ,शुषमा स्वराज आदि की हालत देख कर ,बचे हुए बाकी अडवानी खेमे ने या तो मोदी एंड पार्टी के सामने हथियार डाल दियें हैं या फिर मोदी एंड पार्टी के लियें रास्ता पूरी तरहा साफ़ कर दिया हैं ,भाजपा के साथ साथ आरएसएस ने भी साफ़ कर दिया हैं की या तो मोदी या फिर किसी के लियें कुछ नहीं ,भाजपा का पहले हर बड़ा फैसला भाजपा का पार्लियामेंट बोर्ड किया करता था अब ,पार्लियामेंट बोर्ड की परमपरा समाप्त हो गयी हैं , अब सब फैसले मोदी लेंगे या फिर उनकी चार सदस्यों की टीम ,इस बात पर नाराज़ होकर सुषमा स्वराज अपनी बात कह कर सीधा मध्या प्रदेश रवाना हो गयी थी !

भाजपा के सभी पुराने ,वरिष्ठ कद्दावर नेताओं का दौर अब अटल जी की तरहा बिस्तर पर आ गया हैं जिनके पास अब भाजपा की ये नई पीड़ी सिर्फ आशीर्वाद लेने तो जाती हैं पर इन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं हैं की आशीर्वाद मिला भी या नहीं ,इनको बस दर्शन मात्र से ही आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है !

अटल आशीर्वाद की  हद तो तब हो गयी जब एक  नेता  अटल जी खडाऊ तो दूसरा नेता  अटल जी का कुर्ता , आशीर्वाद के रूप में लेकर , जनता के बीच वोट मांगने तो चले गये पर अटल जी की ही रिश्तेदार को भाजपा में हुए अपनी अनदेखी के बजह भाजपा को मजबूरी में छोड़ कर जाना पडा और  अटल जी ने जिस पार्टी के खिलाफ तमाम ज़िंदगी आवाज़ उठाई , उसी पार्टी का दामन भी मजबूरी में अटल जी की इसी रिश्तेदार को थामना पडा

जिस तरहा से भाजपा के अभी हालात हैं उसे देखकर तो लगता हैं की अटल अडवानी युग को अब मोदी युग ने मोहन जोधडो ,हडप्पा संस्कृति का हिस्सा बना दिया हैं , भाजपा में शुरू से आशीर्वाद जैसी अच्छी परम्परा रही हैं , अटल जी की तबियत खरब हैं और कितनी हैं ये बात भी जग जाहिर ,अब जिस तरहा से अडवानी को हाशिए पर डाला जा रहा हैं तो इसे देख कर तो अब यही लगता हैं की आने वाले वक़्त में अटल जी के बाद अब अडवानी जी का भी लगभग , भाजपा का आशीर्वाद नेता बनना तय हैं ?

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समूह सम्पादक

अंतराष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम
International News and Views Corporation

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