मुसलमान हिन्दू भाइयों के साथ अखलाक़ पेश आएं : महमूद मदनी

0
33

Maulana Mahmood Madani,Jamiat Ulama-i-Hindआई एन वी सी न्यूज़
नई दिल्ली ,

देश में एक खास नज़रिये  के तहत अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों को किनारा करने के जारी अभियान के बीच जमीअत उलेमा हिंद ने अपने प्रशिक्षण सभा में घोषणा की है कि समाज सेवा,मानवता और समग्र राष्ट्रवाद  के माध्यम से  देशवासियों तक पहुंचने की हर संभव कोशिश की जाएगी और विभिन्न षड्यंत्र को विफल बनाया जाए गा. जमीअत  उलेमा हिंद के मुख्यालय नई दिल्ली में दो दिवसीय सभा  में देश भर से आमंत्रित कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और अपनी राय राखी.

इस अवसर पर अपने प्रमुख भाषण में जमीअत उलेमा इ  हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने मुसलमानों से कहा कि वह भावुकता का रास्ता छोड़ कर खुद के अंदर सहनशीलता और प्रतिबद्धत पैदा करें और पैग़म्बरे इस्लाम और अपने बुज़ुर्गों के नक्शे कदम पर चलकर हिन्दू भाइयों  के साथ अखलाक़ पेश करें। मौलाना महमूद मदनी ने जमीअत  उलेमा हिंद के इतिहास,इसके पूर्वजोंने  की देश के विभिन्न मसलों से संबंधित नीति और नई स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश के हालात गलत दिशा में ले जाने की कोशिश हो रही है, मुट्ठी भर  लोग एक ग़लत नीति  के तहत मुसलमानों का डर दिखाकर हिंदुओं को एक जुट करना  चाहते हैं, लेकिन हमें निराश नहीं होना चाहिए, अगर कोई यह समझता है कि वह इस देश में मुसलमानों को तोड़ देगा तो वे गलतफहमी में है, यह इसलिए नहीं के  मुसलमान बहुत शक्ति रखता है  बल्कि धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की रक्षा और शांति को बढ़ावा देने में देश की बहुमत की महत्वपूर्ण भूमिका है और हम यह देखते हैं कि जब भी कोई मौका आता है, तो वह अल्पसंख्यक व निर्बलों के साथ होती है, हालांकि यह हमारी  जिम्मेदारी बनती है कि हम बहुमत को  अल्पसंख्यक में बदलने से रोकें, उन्होंने कहा कि 90 / प्रतिशत लोग मुसलमानों से कोई द्वेष नहीं रखते, हम एक ऐसी अल्पकालिक और दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए कि हम उन तक पहुंच सकें उन्हों

मौलाना मदनी  ने मुसलमानों को हिदायत की कि वह अल्लाह के बन्दों के साथ दया का मामला और मानव सेवा को अपना मिशन बनायें. मौलाना मदनी ने कहा कि मुस्लिम समुदाय  की सबसे बड़ी समस्या भावुकता का है, हालांकि जुनून के साथ बुद्धि मिश्रण होना चाहिए, बल्कि मौजूदा परिस्थितियों में धैर्य और बुद्धि से काम लेने की जरूरत है।

मौलाना मदनी ने इस बात को ग़लत कहा  कि केंद्र की मौजूदा सरकार आइडियोलॉजी और सिद्धांत के आधार पर स्थापित बानी है, बल्कि पूर्व शासक के भ्रष्टाचार और नाकाम  शासन मूल आधार है, उन्होंने तर्क दिया कि अगर सिद्धांत पर आधारित होती  तो कुछ महीने बाद दिल्ली और बिहार में उनका ऐसा हश्र नहीं होता

.मोलाना मदनी ने कहा कि देश का आधार राष्ट्रीयता पर है, धर्म  पर नहीं, यह ऐसा मुद्दा है जिस पर कोई समझौता नहीं हो सकता , हमारे बुजुर्गों ने उस समय भी देशी की तक़सीम  का विरोध किया जब गांधी और नेहरू उस  पर राजी हो गए थे, हमारा यह जुनून साबित करता है कि कोई देश से हमारे प्यार पर उंगली नहीं उठा सकता। मौलाना मदनी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे जमीअत  उलेमा के दायरे का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करें और वास्तविक मेम्बरशिप  के माध्यम से  युवाओं और कॉलेजों के छात्रों तक पहुंचें, उन्होंने कहा कि युवाओं को आज के दौर में सही फ़िक्र  से जोड़ने  की  सख्त जरूरत है, यह भी एक साजिश है कि उलमा और युवाओं के बीच दूरी पैदा की जा रही है, जिसका मुकाबला जमीअत उलेमा मंच होगा।

जमीअत उलेमा असम के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने अपने संबोधन में कहा के  एक विशेष क्षेत्र में सीमित होकर धर्म की सेवा के दायरे को तंग न करें। मौलाना सैयद असजद  मदनी भी प्रोग्राम की एक बैठक में शरीक हुए, उन्होंने अपने भाषण में मानवीयता पर विशेष प्रकाश डाला।

मौलाना मतीन हक उसमे  ने समकालीन परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुसलमान शील और धैर्य की मदद से मुश्किल  पर काबू पाते हुए जीत हासिल कर सकते हैं, मौलाना मुफ्ती सलमान मन्सूरपुरी  ने धार्मिक शिक्षा बोर्ड और अनुकूलन समाज पर विस्तार से प्रकाश डाला। जब कि मौलाना सैयद बिलाल हसनी नदवी ने  मानवता और उसके संबंधित अपनाये  जाने वाले उपायों पर विचार व्यक्त किया। मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी ने हिंदुत्व, राष्ट्रवाद के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 19 वीं सदी से अब तक हिंदुत्व के नेता अरविंद घोष के  नाना राज नारायण बसु से  लेकर गुरु गोलवलकर आदि ने भारतीयता  सिद्धांत को पेश करने  के बजाय हिंदू राष्ट्रवादी को पेश करके सांप्रदायिक एकता में बाधा उत्पन्न किया. सांप्रदायिकता के खिलाफ गांधी जी, जवाहरलाल नेहरू  और अन्य नेताओं ने काम किया, लेकिन हिंदू राष्ट्रवादी के  प्रतिरोध आवश्यक कोशिश नहीं हुई और मौलाना अबुल कलाम आजाद और मौलाना हुसैन अहमद मदनी ने संयुक्त राष्ट्रीयता का जो नज़रिया देश और वतन पर आधारित प्रस्तुत किया, उसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका, जिसके चलते आज हिंदू राष्ट्र वाद हावी हो गया, इसलिए हिंदू राष्ट्र वाद का  विरोध करते हुए राष्ट्रीयता  को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

इस कार्यक्रम में विभिन्न बैठकों  में जिन प्रमुख लोगों ने विचार व्यक्त किया, उनमें उक्त हस्तियों के अलावा यह सज्जन विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, मौलाना अब्दुल मोईद  कासमी,मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी, मौलाना कलीमअल्लाह खान कासमी, मौलाना हकीमुद्दीन  कासमी, हाफिज नदीम सिद्दीकी, करी शौकत अली वेट, मौलाना खतीब सईद तमिलनाडु, मौलाना अब्दुल मुग़नी , मुफ्ती ओवैस अकरम, मौलाना हुजैफा  कासमी, मौलाना रफीक अहमद, प्रोफेसर निसार अहमद अंसारी, हाजी हारून,  मौलाना अब्दुल कादिर, मौलाना महबूब असम आदि, जबकि संयुक्त रूप से संचालन के कर्तव्यों मौलाना हकीमुद्दीन  कासमी और मौलाना अब्दुल मोईद  कासमी ने अंजाम दिए

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here