मुशयरे और मुशायरों ले मुन्तज़मीन हौंसले से जिन्दा है उर्दू

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nawaz deobandiआई एन वी सी,
सहारनपुर,
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये 
माँ ने पानी पकाया देर तक !
गुनगुनाता जा रहा था इक फकीर
कि धूप रहती न साया देर तक।
मुल्क में अगर किसी ने उर्दू को ज़िन्दा रखा हुआ है तो वो मुशयरे और मुशायरों के मुन्तज़मीन का ही हौंसला है। हमने हर मुशायरे मंे हर तरह के टॉपिक पर और हर तरह के मौके पर मुल्क के और गै़र मुमालिक के शौरा हज़रात को कलाम पेश करते हुए सुना है। फख्ऱ इस बात पर है कि मुल्क में होने वाले मुशायरों को मुसलमानों से ज़्यादा ग़ैर मुस्लिम अवाम और अफसरान सुनते समझते और उनसे लुत्फ अन्दोज़ होते हैं। सीनीयर जर्नलिस्ट रविश अहमद ने अपने सर्वे में पूरे उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में जो कुछ देखा और उर्दू की बाबत जो कुछ पाया, उससे साफ ज़ाहिर है कि मुल्क में उर्दू के लिये जो कुछ किया जा रहा है वो सिर्फ दिल बहलावा है। खुशी इस बात की है कि गुफ्तग़ू के दौरान उत्तराखण्ड के गवर्नर डॉ. अज़ीज़ कुरैशी ने सबसे पहले उर्दू को तहज़ीब और क़ौमी एकता की ज़बान करार देते हुए कहा कि आज मुल्क को आज़ाद कराने में उर्दू ने और उर्दू पढने वालों ने जो शहादतें पेश की हैं, उनकी कहीं मिसाल नही है। जहां महात्मा गांधी, पण्डित नेहरू उर्दू से वाक़िफ थे, वहीं मौलाना महमूद हसन और मौलाना हुसैन अहमद मदनी भी उर्दू में ही तमाम काम काज किया करते थे। हिन्दू और मुसलमानों को जोड़ने वाली इस ज़बान ने रेशमी रूमाल तहरीक के ज़रिये अंग्रेज़ों को मुल्क छोड़ने को मजबूर कर दिया। सीनीयर जर्नलिस्ट रविश अहमद को डॉ. अज़ीज़ कुरैशी ने दो टूक जवाब दिया कि आज अगर मुल्क में हिन्दू मुस्लिम इत्तहाद को कायम रखना है तो उर्दू को प्रयोग में लाना होगा। गवर्नर मौसूफ ने कहा कि हिन्दी राष्ट्रभाषा है, हम उसका सम्मान करते हैं, मगर उर्दू मुल्क को आज़ाद करने वाली ज़बान है, उसका भी सम्मान ज़रूरी है। इसी बाबत मशहूर शायर जनाब नवाज़ देवबन्दी से जब उर्दू के बाबत खुलकर बातचीत की गयी तो उन्होने कहा कि मैं उर्दू का सिपाही हँू और उर्दू को उसकी वही पुरानी ऊंचाईयों पर लाने में अपनी खिदमात देना चाहता हँू कि जो पाक़ीज़ा और मुहब्बत वाली उर्दू ज़बान की असल जगह है। एक इन्टरव्यू में अपनी सहारनपुर आमद पर हमारे खुसूसी नुमाइन्दे नफीसुर्रहमान से एक खास गुफ्तगू करते हुए देवबन्द में पैदा हुए और शायरी की बदौलत अपनी जाय पैदाइश का नाम पूरी दुनिया में रौशन करने वाले मौजूदा उर्दू एकेडमी उत्तर प्रदेश के चेयरमैन जनाब नवाज़ देवबन्दी ने मन्दरजाबाला ख्यालात का इज़हार करते हुए कहा कि ये ओहदा मैने जनाब वज़ीरे आला यूपी अखिलेश यादव के हुक्म पर क़बूल किया है। जनाब नवाज़ देवबन्दी ने कहा कि मैने वज़ीरे आला को साफ तौर से बता दिया है कि मैं सियासी आदमी नही हँू, और किसी भी सियासी सरगर्मी से मेरा कोई सरोकार नही रहेगी। नामानिगारे खुसूसी नफीसुर्रहमान के एक सवाल के जवाब में उत्तर प्रदेश उर्दू एकेडमी के चेयरमैन नवाज़ देवबन्दी ने वाज़े किया कि मुस्तक़बिल में उनका प्रोग्राम एकेडमी के ज़रिये अवाम को उर्दू से हिन्दी और हिन्दी से उर्दू ज़बान सिखाना होगा। उन्होने ये भी कहा कि उर्दू और हिन्दी दोनों सगी बहने हैं। उर्दू इसी मुल्क में पैदा हुई और इसी मुल्क में जवान हुई है। आज पूरी दुनिया में हमारी फिल्म इन्डस्ट्री बॉलीवुड का नाम रौशन कराने वाली हमारी उर्दू ज़बान ही है। जनाब नवाज़ देवबन्दी ने कहा कि ये सच है कि मुल्क से उर्दू को मिटाने की साज़िशें 1947 से आज तक होती आ रही हैं मगर मेरे करमफरमां और सूबे के वज़ीरे आला जनाब अखिलेश यादव ने उर्दू की खि़दमत के लिये मुझे उर्दू एकेडमी का चेयरमैन बनाकर जो इज़्ज़त और एजाज़ बख़्शा है, मैं उसका दिल से शुक्रगुज़ार हँू और बाफज़ले खुदा सूबाई वज़ीरे आला की हस्बे मन्शा उर्दू के फरोग़ और उर्दू की तशहीर के लिये वो काम अन्जाम दूंगा कि जिनकी आज मुल्क को सख़्त ज़रूरत है। सीनियर जर्नलिस्ट रविश अहमद के एक सवाल के जवाब में जनाब नवाज़ देवबन्दी ने बेबाक लहज़े में फरमाया कि उर्दू को मिटाने वाले खुद ही मिटते जा रहे हैं। मक़बूल शायर नवाज़ देवबन्दी ने रविश अहमद को मुख़्लिसाना अन्दाज़ मंे और मुस्कुराते हुए ये भी कहा कि हमें तो खुदा ने पैदा ही उर्दू की खि़दमत के लिये किया है। सीनीयर जर्नलिस्ट रविश अहमद के साथ गुफ्तगू करते हुए नवाज़ देवबन्दी ने अपने अशआर का इज़हार करते हुए उर्दू को गंगा जमना का संगम करार दिया और ये भी कहा कि उर्दू ही हमारी गंगा जमनी तहज़ीब और हमारी एकता को मज़बूत करने वाली कडी है। जो स्कूल अपने बच्चों को उर्दू की तालीम फराहम कराना चाहते हैं वो स्कूल उर्दू उस्ताद के लिये सीधे उनके साथ राब्ता कायम कर सकते हैं। उर्दू टीचर का खर्च उर्दू तालीम के लिये उर्दू एकेडमी ही बर्दाश्त करेगी।
केन्द्र व राज्य सरकार सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली में पूर्णतया असफल?
सहारनपुर……अहमद रज़ा।…. . स्थानीय स्तर पर सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली के बाबत जो शिकायतें जिलाधिकारी के साथ-साथ तहसील दिवस में नियमित रूप से प्रस्तुत की जाती रही हैं, उस बाबत स्थानीय पंजाब होटल मंे प्रदेश के सचिव खाद्य वितरण प्रणाली श्री अब्दुल नासिर कमाल से जब हमारे प्रतिनिधि ने प्रश्न किया तो उन्होने कहा कि मुझे पहली बार यह शिकायत आपके द्वारा मिल रही है। यदि आपको वास्तव में शिकायत है और आपके पास इस सम्बन्ध में माकूल प्रमाण हैं तो आप मुझे अवगत करायें मैं  बिना किसी दबाव और दखल के सम्बन्धित के विरूद्व सख्त कार्यवाही करने को प्रतिबद्व हूं। यहां यह बात सबसे अहम है कि गत सात वर्षों से लगातार केन्द्र सरकार ने राज्यों पर जो सार्वजनिक राशन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत गरीब व्यक्तियों को कम से कम दर पर राशन उपलब्ध कराने की जो जिम्मेदारी सौंप रखी है, राज्य सरकारें मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश सरकार उस वितरण प्रणाली में पूर्णतया असफल साबित हो रही है। सरकार चाहे भाजपा की हो, कांग्रेस की हो, बसपा की हो या फिर वर्तमान समाजवादी पार्टी की सरकार हो, हर सत्तापक्ष के साथ अनाज के माफियाओं का गहरा सम्बन्ध है। जितनी भी सरकारी स्तर से पूरे राज्य में राशन की दुकानें अलाट की गयी हैं, उन सभी में सरकार की ओर से महीने में दो बार ग्राहकों/राशन कार्ड धारकों को देने के लिये जो सामग्री डिपों में आती है, वह गोदामों से डिपो तक पहंुचते-पहंुचते मात्र 60 प्रतिशत ही रह जाती है, 40 प्रतिशत खाद्यान सामग्री गोदाम से उठने के बाद माफियाओं के कब्जे में चली जाती है। अनाज माफिया 4 रूप्या किलो और 7 रूपया किलों वाला चावल और अनाज 14 रूपये के हिसाब से चक्की वालों तथा बडे व्यापारियों को हाथों हाथ बेच देते हैं। स्थानीय स्तर पर इस गोरख धन्धे को जिलाधिकारी से लेकर सभी प्रशासनिक अधिकारी और सत्ता पक्ष के नेता भली भांति जानते हैं। सबको यह भी मालूम है कि इस गोरख धन्धे का मुखिया स्थानीय स्तर पर जिला पूर्ति अधिकारी होता है। यदि आप किसी डिपो होल्डर की शिकायतें लेकर जिला पूर्ति अधिकारी के पास जाते हैं तो वह सीधे मुंह बात करने को ही तैयार नही होते हैं। यदि आप जिला पूर्ति अधिकारी को अपने प्रभाव में ले लेते हैं, या उन के व्यक्तित्व पर आपका दबाव पड जाता है, तो वें सत्ता पक्ष के नेताओं को लाकर आपकी ज़बान खामोश करा देते हैं। कुल मिलाकर स्थानीय स्तर पर खाद्यान सामग्री को डिपो से उठाकर बाजार में स्वतंत्र रूप से गैर कानूनी ढंग से बेचने वाले खाद्यान्न माफियाओं का दबदबा है। आम आदमी की शिकायत सुनने के लिये कोई भी तैयार नही है। इससे भी बडी बात तो यह है कि हर डिपो होल्डर के पास 30 प्रतिशत जाली राशन कार्ड बने हुए हैं जिनका राशन वें स्वयं हज़म कर लेता है। सरकार कितनी भी सख्ती क्यों न करे मगर जबतक सत्ता पक्ष के नेता और खाद्यान्न माफियाओं की इसी प्रकार सांठ गांठ रहेगी, तबतक केन्द्र से चलकर प्रदेश तथा प्रदेश से चलकर गांव-गांव पहंुचने वाली सरकारी खाद्यान्न वितरण प्रणाली ईमानदारी के साथ संचालित नही हो पायेगी?
राशन की कालाबाज़ारी अब आम बात हो चली है और इस घोटालेबाजी से कोई भी अछूता नही है जिसका कारण प्रत्येक नागरिक का राशन कार्ड होना और उसके साथ राशन के नाम पर छल किया जाना अब प्रत्येक माह का मामला है। इस विषय में आम आदमी बेहद परेशान नज़र आता है। सवाल यह नही है कि ऐसा क्यों हो रहा है तथा कब से हो रहा है। सवाल यह है कि इस परेशानी और हकतलफी पर रोक कौन और कब लगा पायेगा।
तहसील सदर सहारनपुर के गांव पटनी निवासी अब्दुल राज़िक ने बताया कि हमारे यहां कर्मवीर और विकास नामक दो व्यक्ति राशन डिपो का संचालन करते हैं जो तीन महीने में एक बार राशन का पूर्ण वितरण करते हैं, उनका स्पष्ट कहना है कि हम तो अधिकारियों तक हिस्सा पहंुचाते हैं, हमारा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता। स्थानीय पक्का बाग निवासी तमसील ने बताया कि कभी भी राशन डिपो पर राशन पूरा नही मिलता और जितना चाहे उतना माल डिपो होल्डर स्वयं रखकर ब्लैक में बेचता है, और विरोध करने पर दबंगई पर उतारू हो जाता है। उधर सदर तहसील के ही गांव लखनौती कलां एवं हीराहेडी निवासी समरेज आलम ने भी यही बताया कि पहली बात तो यह कि हमारे गांव हीराहेडी से लखनौती कलां लगभग 5 किलोमीटर दूर पडता है जहां डिपो होल्डर सुभाष समय पर वितरण की सूचना भी नही देता है तथा अधिकतर माल को ब्लैक करता है।
समाजसेवी एवं पत्रकार नफीसुर्रहमान का कहना है कि उपरोक्त प्रकरणों में जब भी मैं स्वयं शिकायतें लेकर जिला पूर्ति कार्यालय पंहुचा तो जिला पूर्ति अधिकारी ने मेरी शिकायतों को अनदेखा करते हुए स्पष्ट रूप से बताया कि हमारे डिपो होल्डर जिस तरह का कार्य अन्जाम दे रहे हैं, वह सन्तोषजनक है। उनका कहना था कि हम पर भी लखनऊ वालो का दबाव रहता है, इसलिये हम स्थानीय स्तर पर डिपो होल्डरों पर सख्ती नही कर सकते। हमारे स्टाफ और निरीक्षकों को ऊपर पैसा भेजना पडता है तथा बहुत से खर्चे भी हम पर शासन की ओर से लगे हुए हैं।
इस विषय में जब जिलाधिकारी श्रीमति संध्या तिवारी से बात की गयी तो उन्होने कहा कि अच्छा हुआ आपने मेरे संज्ञान में मामला डाल दिया है, अब मैं सख्ती से इस विषय में पूछताछ करूंगी और किसी भी प्रकार से इस प्रकार के मामलों पर रोक लगाई जायेगी तथा ऐसा करने वालों के विरूद्व सख्त कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।

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