महिलाओं में सुधार की गति दावों के मुकाबले बहुत धीमी

0
15
शिरीष खरे
महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देने के तमाम सरकार दावों के बावजूद देश में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं है. देश में महिलाओं की स्थितियों में सुधार की गति दावों के मुकाबले बहुत धीमी है और हकीकत आज भी इन दावों को कोसो दूर है. हकीकत पर रौशनी डालती क्राई की यह रिपोर्ट.
क्राई की रिपोर्ट कहती है कि ग्रामीण इलाकों में 15% लड़कियों की शादी 13 साल की उम्र में ही कर दी जाती है. इनमें से लगभग 52% लड़कियां 15 से 19 साल की उम्र में गर्भवती हो जाती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 73% लड़कियों में खून की कमी है. वहीं डायरिया हो जाने की स्थिति में 28 % को कोई दवा तक नहीं मिलती है. कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएं आज भी समाज में अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं. हर दिन सात हजार लड़कियों को पेट में ही मौत की नींद सुला दिया जाता है.
जयपुर में 51.50% और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 67% पिताओं का कहना है कि अगर आर्थिक तंगी आती है वह अपनी बच्ची का स्कूल जाना बंद करवा देंगे. वहीं संविधान द्वारा 14 साल तक के बच्चों को दिए जाने वाले शिक्षा के अधिकार से भी यह बच्चियां वंचित हो रही है. इसके चलते 9 साल तक की उम्र तक पहुंचने के बाद भी 53% लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही है. 24% लड़कियों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है. जो पढ़ना शुरू कर भी देती है उनमें से 60% सेकेंड्री स्कूल तक भी नहीं पहुंच पाती है.
पिछले बालिका दिवस पर क्राई द्वारा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, महिला व बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ सहित अन्य को अपनी मांगों का एक चार्टर सौंपा जा चुका है. क्राई यह मानता है कि जब तक सरकार और जनता बड़े स्तर पर लड़कियों के एक समान विकास पर ध्यान नहीं देंगे तब तक इन परिस्थितियों को बदल पाने की संभावना कम है.

Shirish Khare
C/0- Child Rights and You

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here