महिलाओं के विरूद्ध सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास हो : न्यायमूर्ति लोढ़ा

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लखनऊ,
12वीं अखिल भारतीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों की समिति का समापन दिनांक 09 मार्च, 2014 को सम्पन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि उच्चतम् न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी0 सथाशिवम उपस्थित थे तथा विशिष्टि अतिथि के रूप में न्यायमूर्ति श्री आर0एम0 लोढ़ा, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश/अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण उपस्थित थे। इस अवसर पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवन्त चन्द्रचूण व विभिन्न राज्यों से पधारे वरिष्ठ न्यायमूर्तिगण व अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और सदस्य सचिवगण इस समापन समारोह में विशेष रूप से उपस्थित थे। 

समापन सत्र में मुख्य न्यायाधीश द्वारा समापन समारोह में संविधान के विभिन्न प्राविधानों पर विस्तार से चर्चा की गयी तथा नागरिकों को मूल कर्तव्यों पर जागरूक करने की आवश्यकता पर विशेष रूप से बल दिया गया तथा इस बात पर जोर दिया गया कि मूल कर्तव्यों को सभी शैक्षणिक कार्यक्रमों में आवश्यक रूप से शामिल किया जाना चाहिए तथा राज्य सरकार को इस दिशा में पहल करनी होगी। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि इस समिति में जो भी प्रस्ताव पारित किए गए हैं उनका अक्षरशः पालन करना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का कर्तव्य है। उन्होंने इस अवसर पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश के प्रति इस कार्यक्रम के आयोजन हेतु आभार प्रकट किया। 
इस समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश/अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति आर0एम0 लोढ़ा ने विभिन्न राज्यों में विद्यमान सामाजिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला तथा ये भी बताया कि विभिन्न राज्यों के समक्ष अलग-अलग तरह की चुनौतियां है।
 
न्यायाधीश द्वारा इस अवसर पर ’’ग्राम्य विधिक देखभाल एवं संपादन केन्द्र’’ से अपेक्षा की कि न्याय की पहुँच सभी सामान्य व्यक्तियों तक सुनिश्चित हों। विधिक सहायता का उद्देश्य स्पष्ट करने हुए न्यायमूर्ति द्वारा गुणात्मक विधिक सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर न्यायधीश द्वारा यह अपेक्षा की गयी कि महिलाओं के विरूद्ध जो भी सामाजिक बुराइयां प्रचलित हैं, उनको समाप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को उद्देश्यपूर्ण ढंग से कार्य करने की आवश्यकता पर भी न्यायाधीश द्वारा जोर दिया गया। 
इस समापन समारोह में विशेष रूप में राज्यों से आए अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव, विधिक सेवा प्राधिकरण उपस्थित थे। 11वीं अखिल भारतीय राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की समिति, चेन्नेई, तमिलनाडु में सम्पन्न हुई थी जिसमें 10वीं समिति के प्रस्तावों का विश्लेषण किया गया था, इस बार भी समारोह में 11वीं समिति के प्रस्तावों का विश्लेषण किया गया तथा निश्चित किया गया कि प्रत्येक वर्ष राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण किसी एक विशेष कार्ययोजना पर कार्य करेगा। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2012-13 में ैंअम जीम ळपतस ब्ीपसक च्तवरमबज पर कार्य किया गया है। इस अवसर पर इसके सम्बन्ध में गंभीरता से विचार किया गया। 
न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, कार्यपालक अध्यक्ष, उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने ैंअम जीम ळपतस ब्ीपसक च्तवरमबज पर राज्य प्राधिकरण द्वारा कृत कार्यवाहियों का ब्योरा प्रस्तुत किया तथा इस अवसर पर 12 अप्रैल, 2014 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। इसके साथ ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की वर्ष 2014-15 की प्रस्तावित कार्ययोजना पर विचार किया गया। इस अवसर पर उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश द्वारा आगन्तुक न्यायाधीशों को ‘‘कॉफी टेबल बुक’’ प्रदान की गयी। इस दो दिवसीय समिति का आयोजन राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के तहत राज्य सरकार के सहयोग से किया गया। 
उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मुख्य न्यायाधीश श्री डी0वाई0 चन्द्रचूड ने सम्मेलन में आए भारत के मुख्य न्यायाधीश, वरिष्ठतम न्यायाधीश तथा अन्य विशिष्ट अतिथियों का आभार व्यक्त किया और सफल संचालन के लिए कार्यक्रम संयोजकों की प्रशंसा की।

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