आई एन वी सी ,
दिल्ली, ,
ग्रामीण व शहरी महिलाओं की सेहत संबंधी जरूरतों के बीच के फर्क को कम करने की कोशिश करते हुए आज दिल्ली में एक निशुल्क मोबाइल हैल्थकेयर युनिट लांच की गई। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के ओपनर शिखर धवन ने त्रिवेणी कला संगम में मशाल जला कर इस युनिट का शुभारंभ किया, इस मौके पर बड़ी तादाद में जानेमाने लोग उपस्थित थे।
एक बस पर निर्मित इस मोबाइल हैल्थकेयर युनिट का नाम रखा गया है ’नारी जीवन स्त्रोत ऐक्सप्रैस’। यह एक अनूठी पहल है जो 15 शहरों में घूम कर महिलाओं और बालिकाओं के स्वास्थ्य के लिए काम करेगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नारी जीवन स्त्रोत कार्यक्रम के अंतर्गत शुरु की गई इस मोबाइल युनिट को मंत्रालय की अतिरिक्त उप-महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ अरुणा जैन ने रवाना किया।
यह ऐक्सप्रैस गॉडियम फाउंडेशन की एक अनूठी पहल है जो उत्तर भारत के 74 जिलों और 250 स्थानों को कनैक्ट करेगी और इस तरह यह देश के दूरदराज इलाकों तक पहुंच कर 9.5 करोड़ लोगों को सेवाएं देगी। यह बस दिल्ली में 18 मेडिकल कैम्प लगाएगी और हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व जम्मू के बहुत से गांवों को कवर करेगी।
इस कार्यक्रम का एक प्रमुख पहलू यह है कि महिलाओं के मामले में बीमारियों की कम रिपोर्टिंग का हल किया जाए और उन्हें उत्तम स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएं। भारतीय महिलाओं में स्त्रीरोगों की व्यापकता को मापने और इस बारे में स्वास्थ्य पेशेवरों को जागरुक करने के अलावा इस अभियान के इरादे हैंः संभावित समाधान खोजना, इलाज के तरीकों के सभी पहलुओं को कवर करना; जिसमें जोखिम की पहचान व विश्लेषण से लेकर रोकथाम की रणनीतियां, डायग्नोसिस व दवाएं, उपचार या आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी तक सभी शामिल होंगे।
गॉडियम फाउंडेशन की संस्थापक व मुख्य सलाहकार डॉ मानिका खन्ना ने कहा, ’’नारी जीवन स्त्रोत ऐक्सप्रैस का उद्देश्य है मातृ मृत्यु दर घटाने व बालिकाओं के कल्याण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों को सहयोग देना। हालांकि नवजात शिशुओं की सेहत व प्रजनन स्वास्थ्य के दोहरे मोर्चों पर काफी प्रगति हुई है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।’’
यह मोबाइल युनिट निशुल्क इलाज उपलब्ध कराएगी जिसमें उन्नत तकनीकी उपकरणों की मदद से पूरे शरीर की जांच और बॉडी कम्पोजिशन ऐनालिसिस करने के अलावा दवाएं, आयरन सप्लीमेंट, आहार संबंधी परामर्श भी दिया जाएगा।
इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन (पश्चिम) के अध्यक्ष डॉ आलोेक भंडारी ने कहा, ’’यह ऐक्सप्रैस 10,000 किलोमीटर से ज्यादा का फासला तय करेगी और 200 मेडिकल कैम्प एवं स्वास्थ्य संबंधी 400 नुक्कड़ नाटक आयोजित करेगी। यह अभियान महिलाओं की इनफर्टिलिटी बीमारियों से संबंधित गलतफहमियों को दूर करेगा और इस विषय पर वास्तविकता का खुलासा करेगा तथा सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि औरतों को उनके समग्र स्वास्थ्य की हकीकत के प्रति जागरुक बनाएगा और इसके लिए नुक्कड़ नाटकों, स्वास्थ्य शिविरों एवं जनशिक्षा सामग्री को जरिया बनाया जाएगा।
डॉ भंडारी ने बताया कि माताओं की बीमारियों व मृत्यु के बड़े प्रत्यक्ष कारण हैंः हैमरेज, संक्रमण, उच्च रक्तचाप, असुरक्षित गर्भपात और प्रसव में अवरोध उत्पन्न होना। इसके अलावा बच्चे के जन्म के समय कुशल चिकित्सीय देखभाल की कमी, सही देखभाल हेतु नजदीकी क्लीनिक तक का सफर, पहले हो चुके प्रसवों की संख्या, प्रसवपूर्व चिकित्सीय देखभाल में बाधाएं और खराब बुनियादी सुविधाएं – ये सभी कारक भी मातृ मृत्यु दर में बहुत योगदान देते हैं।
नारी जीवन स्त्रोत ऐक्सप्रैस के लांच की घोषणा करते हुए भारतीय क्रिकेटर शिखर धवन ने कहा, ’’आज के जमाने में अच्छी सेहत का मूल्य समझना बेहद जरूरी है। मेरा मानना है कि देश के नागरिक के तौर पर हमें वह सब कुछ करना चाहिए जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रोत्साहन दिया जा सके और मौतों को दूर रखा जा सके। मुझे विश्वास है कि इस मुद्दे को पूरे जोशोखरोश से समर्थन मिलेगा तथा भारत में एक ज्यादा सेहतमंद और ज्यादा प्रसन्न समाज बनाया जा सकेगा।’’
डॉ मानिका खन्ना ने कहा, ’’आज हमारे देश में महिलाएं कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं जिनमें से कुछ तो सामाजिक लांछन की वजह बन जाती हैं जैसे कि इनफर्टिलिटी यानी बांझपन। युवा महिलाओं में प्रजनन संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं और इनफर्टिलिटी से जुड़ी स्थितियां जैसे पोलिसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ एवं जैनिटल टीबी अब पहले से ज्यादा किशोरियों को प्रभावित कर रही हैं। इसके लिए व्यापक स्तर पर पहल किए जाने की जरूरत है जिसमें न सिर्फ समाज के सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया जाए बल्कि उन्हें एक अनूठे जागरुकता अभियान के जरिए भी जोड़ा जाए।
इस लांच के अवसर पर उपस्थित प्रमुख हस्तियों में शामिल थेः सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी, विधायक डॉ (प्रो) जगदीश मुखी, आईसीएमआर के वरिष्ठ उप-महानिदेशक डॉ आर एस शर्मा, गॉडियम फाउंडेशन के डॉ पीयूष खन्ना तथा दिल्ली मेडिकल ऐसोसिएशन एवं इंडियन मेडिकल ऐसोसिएशन के सदस्य।
रजिस्ट्रार जनरल के आंकड़ों के मुताबिक भारत में मातृ मृत्यु दर (गर्भावस्था के दौरान या पश्चात् मौतों की दर) प्रति 1,00,000 जीवित जन्म पर 178 है (2010-12)। यह आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम डैवलपमेंट गोल्स से पीछे है जिसके मुताबिक 2015 तक इस आंकड़े को 103 पर ले कर आना है। भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS II, 1998-1999½ ) के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में मातृ मृत्यु दर, शहरों की मातृ मृत्यु दर के मुकाबले करीबन 132 प्रतिशत ज्यादा है।