मशहूर शायर शफ़ीकुर्रहमान कश्फ़ी की दो ग़ज़लें

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ज़िन्दगी का कोई इस तरह पता देता है।

खाक मुट्ठी में उठाता उड़ा देता है।।

ऐ गरीबी तू मेरे साथ ही रहना हरदम।

तेरा अहसास मेरी भूख मिटा देता है।।

हाथ फैलाते नही हम तो किसी के आगे।

हम फ़कीरों को जो देता खुदा देता है।।

मेरा बेटा मुझे बर्षात का बादल समझा।

रोज़ आंगन में नया पौधा लगा देता है।।

रंग महलों की चकाचौध में अक्सर कश्फी।

जेब के जुगनू तक इन्शान उड़ा देता है।।

………………………. कश्फ़ी

 

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हमारी कहानी पुरानी बहुत है।

मगर इसके दरिया में पानी बहुत है।।

उतर जाओ दिल में तुम अहसास बन के।

ये रूत मौषमों की सुहानी बहुत है।।

फ़कीरों की स़फ में तों वो भी खड़ा है।

जिसे लोग कहते थे दानी बहुत है।।

है भारत का बचपन जो नंगा व भूखा।

तो फिर वार दिन की जवानी बहुत है।।

वो अहवाल अपना भी पूछेगें कश्फी।

बता देना ऑंखों में पानी बहुत है।।

………………………   कश्फ़ी

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shafiqur rahman kashfi,kashfi oraiशफ़ीकुर्रहमान कश्फ़ी

लिखने  की शुरूआत सन् 1975 से उस्ताद शायर जनबा मरहूम बाबू खॉं (पागल) साहब की शागिर्दी में की। सन् 1999 में पागल साहब इस दुनिया को अलविदा कह दिया। तभी कुछ दिन के लिए कलम रूक गई फिर उनसे किया बराबर लिखते रहने का वायदा और उनकी सोहबत में बिताये वार साल में जो कुछ सीखने को मिला उसी की रौशनी में कुछ न कुछ लिखने की कोशिश जारी है। देश के तमाम आल इण्डिया मुशायरों एवं कवि सम्मेलनों में शिरकत। जनपद की साहित्य संस्था पारथ प्रेम परिषद से गोहरे अदब समान सहित देश के कई हिस्सों में सम्मान।

Email:shafiqkashfi@gmail.com
contect number: 9839876235

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