मंत्रालय के बजाए खेत-खलिहानों में बनता हूँ बजट : डॉ रमन सिंह

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dr raman singh invc newsआई एन वी सी न्यूज़
भोपाल,
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा – मैं बजट मंत्रालय में बैठकर नहीं, बल्कि खेत-खलिहानों, पंचायतों और चौपालों में जनता के बीच बैठकर बनाता हूं। तभी गांव-गरीब और किसान मेरे बजट के केन्द्र में होते हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि वह अपनी बजट की प्राथमिकताएं लोक सुराज अभियान से तय करते हैं। मुख्यमंत्री आज सवेरे आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से अपनी मासिक रेडियो वार्ता ’रमन के गोठ’ की 19वीं कड़ी में प्रदेश वासियों को सम्बोधित कर रहे थे।

छत्तीसगढ़ में नारी-शक्ति अब महाशक्ति : उन्होंने श्रोताओं को रंगों के त्यौहार होली की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस महीने मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का उल्लेेख करते हुए डॉ. सिंह ने राज्य में महिलाओं की तरक्की और खुशहाली के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी और कहा कि छत्तीसगढ़ में ’नारी-शक्ति ’ अब ’महाशक्ति’ का रूप ले चुकी है। सरस्वती साईकिल योजना, कन्या छात्रावास, पोटाकेबिन, कस्तूरबा विद्यालय, स्कूलों के उन्नयन आदि सुविधाओं के कारण राज्य के स्कूलों में 15 से 17 वर्ष आयु समूह की बेटियों की दर्ज संख्या 65 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गई है। स्कूलों की बेटियों की दर्ज संख्या के मामले में हम राष्ट्रीय औसत 84 प्रतिशत से काफी ऊपर और देश में 9वें स्थान पर हैं।

लोक सुराज अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा-हमने गांवों के विकास के लिए जितनी भी योजनाएं बनाई, हर योजना की प्रेरणा हमने ग्राम सुराज और लोक सुराज अभियानों से ली है। पहले हमने ग्राम सुराज और नगर सुराज अभियान चलाया। अब दोनों को मिलाकर लोक सुराज अभियान चला रहे हैं। यह अभियान जनता से सीधे जुड़ने के साथ-साथ सुशासन का पहला कदम है। इसी से हमें सही दिशा मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा-हम जिस साल यह अभियान चलाते है, उसके अगले साल का बजट क्या होगा, उसकी तस्वीर हमारे दिमाग में बनना शुरू हो जाती है।

इस बार के लोक सुराज को बनाया ’समाधान पर्व’  :  उन्होंने कहा-इस बार का लोक सुराज अभियान तीन चरणों में हो रहा है। पहले चरण में 26 फरवरी से 28 फरवरी तक लोगों से आवेदन लिए गए हैं। दूसरे चरण में पूरे मार्च भर इन आवेदनों का निराकरण किया जा रहा है और तीसरे चरण में तीन अप्रैल से 20 मई तक पूरे राज्य में समाधान शिविर लगाए जाएंगे, जहां इन आवेदनों पर की गई कार्रवाई के बारे में बताया जाएगा। साथ ही नये आवेदन भी लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा-हमने इस बार के लोक सुराज अभियान को ’समाधान पर्व’ बना दिया है, ताकि समाधान की मानसिकता सरकार के हर स्तर पर बनें, जनप्रतिनिधि और जनता भी समाधान की प्रक्रिया में शामिल हों और एक सकारात्मक वातावरण बनें। हमने स्पष्ट किया है कि जहां आवंटन उपलब्ध हो वहां तत्काल समाधान किया जाए।

किसी भी दिन, किसी भी गांव-जिले में अचानक पहुंचकर जनता से करेंगे मुलाकात  :  मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अभियान के तहत मैं पहले की तरह किसी भी दिन, किसी भी गांव और किसी भी जिले में अचानक पहुंचकर जनता से मुलाकात करूंगा, समाधान शिविरों में भी जाउंगा और रात को जिलों की समीक्षा भी करूंगा। प्रेस से भी मिलूंगा। उन्होंने कहा-यह अभियान सबसे कठिन गर्मी के मौसम में इसलिए आयोजित करते हैं, ताकि जनसुविधाओं और योजनाओं का जायजा इस मौसम में लिया जाए और बारिश के दिनों के लिए भी इंतजाम हो जाए। साथ ही आगे की योजना भी बन जाए। उन्होंने कहा-मेरे अलावा सभी मंत्री, मुख्य सचिव से लेकर सारे वरिष्ठ अधिकारी, विधायक, सांसद आदि जनप्रतिनिधि भी इस दौरान प्रदेश का दौरा करते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने लोक सुराज अभियान में प्रदेशवासियों से सक्रिय सहयोग का आव्हान किया और उनसे समाधान शिविरों में आने तथा अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त करने की भी अपील की।

छत्तीसगढ़ की हर बेटी में माता कौशल्या जैसा प्रताप : मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के जन-जीवन में नारी-शक्ति के सम्मानजनक स्थान की चर्चा करते हुए कहा-छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम की माता कौशल्या का मायका है। इसलिए छत्तीसगढ़ की हर बेटी के भीतर माता कौशल्या जैसा जश और प्रताप है। मां दंतेश्वरी, मां बम्लेश्वरी, मां चंद्रहासिनी, मां महामाया और हर स्वरूप में आदिशक्ति देवियों के शक्तिपीठ और आस्था केन्द्रों की वजह से हमारे प्रदेश में नारी को सम्मान देने की अटूट परम्परा है। उन्होंने धमतरी की शतायू माता कुंवरबाई को स्वच्छ भारत मिशन में योगदान के लिए प्रधानमंत्री द्वारा चरण स्पर्श कर सम्मानित किए जाने का भी उल्लेख किया। डॉ. सिंह ने कहा-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राज्य की दो महिलाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। इनमें से पुलिस आरक्षक सुश्री स्मिता तांडी को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के हाथों ’राष्ट्रीय नारी-शक्ति पुरस्कार’ और दुर्ग जिले की ग्राम पंचायत चीचा (पाटन) की सरपंच सुश्री उत्तरा ठाकुर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों ’स्वच्छ शक्ति पुरस्कार’ मिला है। उत्तरा दिव्यांग होने के बावजूद काफी सक्रिय हैं और उन्होंने अपनी ग्राम पंचायत को ओडीएफ बनाने में बड़ा योगदान दिया है।

राज्य के नये बजट में महिलाओं के लिए कई प्रावधान : मुख्यमंत्री ने बताया कि राजधानी रायपुर में ’सखी-वन स्टाप सेंटर’ की स्थापना के बाद राज्य के शेष सभी 26 जिलों में इनकी स्थापना की गई है। प्रदेश सरकार के आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में महिलाओं के लिए किए गए प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि बालोद और कोण्डागांव में 100 बिस्तरों का और कटघोरा, गौरेला, नगरी और पंडरिया में 50 बिस्तरों का मातृ-शुशि क्लिनिक खोला जाएगा। आंगनबाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार के लिए 514 करोड़ रूपए और एकीकृत बाल विकास सेवाओं के लिए 582 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा-सबला योजना, एकीकृत बाल संरक्षण योजना, मुख्यमंत्री अमृत योजना, महतारी जतन योजना और नोनी सुरक्षा योजना सहित विभिन्न योजनाओं के लिए किए गए बजट प्रावधानों का भरपूर लाभ महिलाओं को मिलेगा।

भक्क ले जलथे अउ झट ले बनथे : डॉ. रमन सिंह ने श्रोताओं को बताया-प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत राज्य की नौ लाख महिलाओं को रसोई गैस कनेक्शन देकर हमने उन्हें धुएं और कालिख से आजादी दिला दी है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने गरियाबंद जिले के ग्राम केड़िआमा (विकासखण्ड-छुरा) के अपने हाल ही के दौरे की एक रोचक घटना को भी याद किया। उन्होंने बताया-इस गांव में नंदिनी नामक गृहणी को रसोई गैस कनेक्शन मिला है। उन्होंने मुझे पांच मिनट में चाय बनाकर पिला दी। उनकी चाय पीकर मुझे जो स्वाद और आनंद आया, उसकी तुलना मैं किसी फाईव-स्टार होटल की चाय से भी नहीं कर सकता। इतना ही नहीं बल्कि नंदिनी ने जिस अंदाज में रसोई गैस से चाय बनने की तारीफ की, छत्तीसगढ़ी भाषा में उन्होंने मुझसे कहा-’भक्क ले जलथे अउ झट ले बनथे।’ यह उनके लिए खुशी का अवसर था।

स्काई योजना में 45 लाख स्मार्ट फोन बांटने का लक्ष्य : डॉ. सिंह ने ’रमन के गोठ ’ में राज्य सरकार के नये बजट में शामिल संचार क्रांति योजना (स्काई) में 45 लाख स्मार्ट फोन बांटने के लक्ष्य का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया-इस योजना के तहत हमने 39 लाख ग्रामीणों, शहरी क्षेत्रों के तीन लाख परिवारों और कॉलेजों के तीन लाख विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन और सिम देने का निर्णय लिया है। इस योजना की लागत 800 करोड़ रूपए होगी। इसमें से इस बार के बजट में 200 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया-राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 29 प्रतिशत लोगों के पास मोबाइल फोन है और आज भी राज्य का 36 प्रतिशत भू-भाग मोबाइल अथवा इंटरनेट या किसी भी प्रकार की कनेक्टिविटी से दूर है। रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग या बड़े शहरों में रहने वाले सक्षम व्यक्ति अपने डॉक्टर से फोन पर बात कर सकते है और तरह-तरह के ’मोबाइल एप्प’ का इस्तेमाल करके सहुलियतें पाते हैं। टिकट का आरक्षण करा सकते है, बैंक के काम कर सकते हैं, नगद राशि के लेन-देन की जगह मोबाइल-एप्प का उपयोग कर सकते है, राशन खरीद सकते हैं, सारे काम निपटा सकते है, तो ऐसा साधन प्रदेश की दो-तिहाई आबादी को क्यों नहीं मिलना चाहिए ? मुख्यमंत्री ने कहा-यह एक डिजिटल डिवाइड है, जो अमीरों और गरीबों के बीच की खाई से भी बड़ी गहरी खाई है। इस अंतर को समाप्त करना बहुत बड़ी चुनौती है। यह वर्तमान और नई पीढ़ी के सशक्तिकरण और उत्थान का भी सवाल है।

गांवों में बदल रही विकास की प्राथमिकता: अब मोबाइल फोन और टावरों की मांग – मुख्यमंत्री ने ’रमन के गोठ’ में पिछले साल के लोक सुराज अभियान के दौरान बस्तर संभाग के छोटे डोंगर, बासिन आदि गांवों में वहां के लोगों द्वारा मोबाइल टावर लगवाने की मांग का भी जिक्र किया। डॉ. सिंह ने कहा-मैं सोचता था कि वे स्कूल, कॉलेज, सड़क, अस्पताल, बिजली के बारे में बोलेंगे, लेकिन उन्होंने मोबाइल में बात करने की सुविधा मांगी। ये विकास के साथ बदलती प्राथमिकता का भी परिचायक है। उन्होंने कहा-संचार क्रांति योजना(स्काई) के तीन मुख्य काम होंगे- स्मार्ट फोन वितरण, टावरों की स्थापना और मोबाइल फोन के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान और इसका उपयोग। उन्होंने बताया-प्रदेश में इस योजना के तहत 1500 टावर लगाए जाएंगे। इसके माध्यम से ’ई-सेवाओं’ का विस्तार होगा। स्कूल-कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ेगी। योजना का लाभ उन गरीब परिवारों को मिलेगा, जिनके लिए जन-धन खाते, आधार कार्ड और मोबाइल फोन को मिलाकर ’जैम’ बनता है। इसके जरिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत हितग्राहियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) भी सुनिश्चित हो सकेगा।

डायल-112 योजना एक क्रांतिकारी कदम : मुख्यमंत्री ने राज्य में शुरू होने वाली ’डायल-112’ योजना की भी जानकारी दी और बताया कि किसी भी दुर्घटना के समय घायल या संकटग्रस्त व्यक्ति की मदद के लिए यह सेवा एक क्रांतिकारी कदम है, जो हमारी पुलिस व्यवस्था का काया-कल्प कर देगी। इसमें रिस्पांस-टाईम के साथ पारदर्शिता, जिम्मेदारी, मदद और राहत के प्रावधान पुलिसिंग को आधुनिक दिशा देंगे। पुलिस फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस जैसी तत्काल मदद की जरूरत पड़ने पर एक ही नम्बर 112 डायल किया जा सकता है। नई प्रौद्योगिकी, नेटवर्किंग और प्रबंधन का उपयोग करते हुए हम डायल-112 योजना शुरू कर रहे हैं, ताकि शहरी इलाकों में दस मिनट के भीतर और ग्रामीण क्षेत्रों में 30मिनट के भीतर मदद पहुंचाई जा सके। इस नम्बर को डायल करते ही राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम में तुरंत एक्शन चालू हो जाएगा। इसके लिए जीपीएस युक्त 240 वाहनों और 50 मोटरसाईकिलों का नेटवर्क होगा। इस योजना के प्रथम चरण में 11 जिलों-रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, कबीरधाम, महासमुन्द, बिलासपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा और सरगुजा सहित जगदलपुर शहर को लिया जा रहा है। इसके लिए इस वर्ष 50 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।

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