मंजू दिनेश की कविता – पक्षी कहाँ उड़ जाते हो

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रे पक्षी

सीमाओं से परे
उड़ कहाँ जाते
हवाओं संग
बैठ हवा के पंखों पर
अनजान देश
दोस्ती की महक लें
खोज लेते अपना नीड

नभ के काजल
ले पारिजात
घूमते परदेश
सीमा न कोई बंदिश
लें कर अपने
मृग छौने बादल
कालिदास की
कथा बाचतें

ले कितनी जल राशि
बरस जाते कहीं
दूर जंगल पहाड़
अनजान देश
महकाते मिट्टी
हवा संग
बहती संस्कृति
सीमाओं परे

पक्षी बादल सी
मेरी भी वसुधा
मेरी कथा
वासुदेव कुटुम्बकं .
मंजुल भटनागर

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manju

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