- 717 करोड़ के अवधिपार ऋण बकाया
प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के अवधिपार बकाया दीर्घकालीन ऋणों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है और कई बैंकों का एनपीए का स्तर तो ’’एलार्मिंग’’ स्तर तक पहुंच गया है। अभी जून तक का समय है, वसूली के सार्थक प्रयास किए जाए अन्यथा कम वसूली करने वाले बैंकों के सचिवों के विरुद्घ अनुशासनात्मक कार्यवाही जैसे सख्त कदम उठाने को बाध्य होना पड़ेगा।
सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार श्री अनुराग भारद्वाज ने सहकारी भूमि विकास बैंकों की कम वसूली पर चिंता व्यक्त करते हुए वसूली के प्रयासों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों को जून तक पूरा फोकस वसूली पर देना होगा।
श्री भारद्वाज ने कहा कि एक लाख से अधिक के अवधिपार बकाया ऋणों के मामलों की वसूली और मोनेटरिंग की जिम्मेदारी बैंक सचिव की होगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के अवधिपार बकाया दीर्घकालीन ऋणों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है और कई बैंकों का एनपीए का स्तर तो ’’एलार्मिंग’’ स्तर तक पहुंच गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अभी जून तक का समय है, वसूली के सार्थक प्रयास किए जाए अन्यथा कम वसूली करने वाले बैंकों के सचिवों के विरुद्घ अनुशासनात्मक कार्यवाही जैसे सख्त कदम उठाने को बाध्य होना पड़ेगा।
रजिस्ट्रार ने राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक को भी निर्देशित किया कि वे राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक से वरिष्ठ अधिकारियों व क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों को भी प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों की वसूली कार्य में सहयोग के लिए लगायें। उन्होंने विभाग के खण्डीय अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि उपलब्ध मानव संसाधन के अनुसार बैंकों को वसूली कार्य में सहयोग प्रदान करें। उन्होंने बीकानेर सहकारी भूमि विकास बैंक द्वारा वसूली के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने की सराहना करते हुए बैंक सचिव श्री राजेश टांक को शाबाशी दी तथा झुन्झुनू, बालोतरा, जयपुर एवं टोंक भूमि विकास बैंकों द्वारा अवधिपार बकाया ऋणों की वसूली में गत वर्ष की तुलना में ऋणों की वसूली प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, हिण्डौन, सवाई माधोपुर, चूरु, भीलवाड़ा, जोधपुर, सीकर, डूंगरपुर, कोटा, बारां एवं श्रीगंगानगर बैंक द्वारा अवधिपार ऋणों की कम वसूली करने पर नाराजगी व्यक्त की।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार श्री महेन्द्र सिंह जावला ने बताया की भूमि विकास बैंकों के 717 करोड़ 30 लाख रुपए से अधिक के अवधिपार सहकारी ऋण बकाया है। इसमें से अभी तक 11 प्रतिशत से कुछ अधिक ही वसूली हुई है जो गंभीर चिंता का विषय है।
राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक के प्रबंध संचालक श्री शकील अहमद ने विस्तार से बैंकवार प्रगति की जानकारी देते हुए बताया कि भूमि विकास बैंक कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं और समय रहते रिक्त पदों को भरने के प्रयास करने होंगे।