भारत धर्मनिरपेक्ष था, है और रहेगा ?

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– तनवीर जाफ़री –                                    

स्वयं को ‘देश का नेता’ बताने व जताने वाले चंद आपराधिक मानसिकता के सिरफिरों ने मानो देश में अशांति फैलाने का ठेका ले रखा हो। आए दिन कोई न कोई तथाकथित स्वयंभू नेता समाज को तोड़ने वाला कोई न कोई बयान देता है। उधर व्यवसायिक मीडिया अपनी टी आर पी के मद्दे नज़र उसी  बयान को और भी सजा संवार कर, उसे और अधिक भड़काऊ व आग लगाऊ बनाकर पेश करता है। चंद ‘बदनाम ‘ टी वी एंकर जिन्हें गंभीर पत्रकारिता से अधिक चीख़ने चिल्लाने व अभिनय करने में महारत हासिल है वे इन्हीं बयानों की ‘शल्य चिकित्सा’ शुरू कर देते हैं। फिर पूछिए मत,बात कहीं तक भी जा सकती है। ‘आदि से अंत’ तक की एक लम्बी बहस छिड़ जाती है। टी वी पर अपना चेहरा चमकाने की लालसा रखने वाले कुछ रीढ़विहीन अर्धज्ञानी लोग इसे हवा देने का काम करते हैं। और देश के घर घर में छिड़ जाती हैं कुछ ऐसी बहसें जिससे देश व समाज ही नहीं बल्कि घर के रिश्ते भी दरक जाते हैं। और अफ़सोस तो यह कि यह सब कुछ ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के नाम पर ही किया जाता है।

 
 ‘विषवमन’ को ही ऐसे लोग ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का नाम देते हैं। परन्तु क्या इन चंद सिरफिरों को अभिव्यक्ति के नाम पर यह हक़ भी हासिल है कि वे स्वयं को स्वयंभू रूप से किसी समाज या धर्म विशेष का प्रतिनिधि नेता मानने लग जाएं ? क्या ऐसे ‘अवांछित’ लोगों को किसी धर्म या समाज के ‘स्वयंभू प्रवक्ता’ के रूप में अपने मस्तिष्क में पलने वाली गंदगी को समाज में बिखेरने का हक़ भी हासिल है ? इस तरह की बातें क्या किसी एक ही धर्म या समाज की ओर से की जा रही हैं या सत्ता संरक्षण में भी ऐसे ही ‘विषैले उत्पाद’ तैयार किये जा रहे हैं?
                                   

देश ने पिछले दिनों पहली बार वारिस पठान नाम के किसी नेता का नाम सुना। यदि यह व्यक्ति समाज में भाईचारा बढ़ने वाला कोई बयान देता तो शायद आप वारिस पठान नाम के किसी नेता को जानते भी नहीं। परन्तु चूंकि उसने अत्यंत बेहूदा,भड़काऊ व वैमनस्यपूर्ण बयान दिया था इसलिए ‘मुख्य धारा’ के मीडिया ने इस बयान को एक व्यवसायिक अवसर के रूप में लेते हुए इसे ‘सजा संवार ‘ कर आप तक पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वारिस पठान हों या असदुद्दीन ओवैसी,आज़म ख़ान हों या मुख़्तार अब्बास नक़वी या आरिफ़ मोहम्मद ख़ान या फिर स्वर्गीय सैय्यद शहाबुद्दीन जैसे नेता रहे हों। किसी को भी इस मुग़ालते में नहीं रहना चाहिए कि वे भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते हैं या भारतीय मुसलमानों ने अपना नेतृत्व करने का अधिकार उन्हें सौंप दिया है।
 
यदि प्रचार तंत्र की मानें तो अविभाजित भारत में अब तक के सबसे मज़बूत मुस्लिम नेता का नाम मोहम्मद अली जिन्नाह था। बेशक वे इतने शक्तिशाली थे कि भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग को ‘धर्म की अफ़ीम’ चखाने के अपने मक़सद में कामयाब रहे। परन्तु वे उतने ताक़तवर व बड़े जनाधार वाले नेता भी नहीं थे की अविभाजित भारत का अधिकांश मुसलमान उनके साथ खड़ा होता। केवल उत्तर भारत विशेषकर पंजाब व दिल्ली के ही मुसलमान उनके बहकावे में आए। आंकड़ों के मुताबिक़ मुसलमानों का 78 प्रतिशत स्थानांतरण  मुख्यतयः अकेले पंजाब से ही हुआ था। यानी 1947 में भी अधिकांश भारतीय मुसलमानों ने अपनी ही मातृभूमि भारत में हिन्दू भाइयों के साथ ही मिलजुलकर रहने का निश्चय किया। धर्म के नाम पर बनाया जाने वाला देश पाकिस्तान उस समय भी वतनपरस्त भारतीय मुसलमानों के गले नहीं उतरा। भारतीय मुसलमानों ने उस समय भी अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ान व मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे नेताओं को अपना आदर्श माना तथा मोहम्मद अली जिन्नाह के मुस्लिम राष्ट्र के झूठे सपनों में उलझने से ज़्यादा गाँधी के नेतृत्व व उनके आश्वासन पर धर्मनिरपेक्ष भारत में ही रहना मुनासिब समझा। अब यह तो वारिस पठान जैसे कुँए के मेंढकों को स्वयं ही यह सोचना चाहिए कि जब जिन्नाह के आवाह्न पर देश का मुसलमान एकजुट नहीं हुआ तो इन तथाकथित बरसाती मेंढकों के किसी आवाह्न पर कैसे एक हो जाएगा ? और वह भी इस ज़हरीली सोच के पीछे जो यह कहती हो कि हम 15 करोड़ ही 100 करोड़ लोगों पर भारी हैं?
                                   
जिन्नाह से लेकर आज तक भारतीय मुसलमानों ने देश के किसी भी मुस्लिम नेता के प्रति अपना सामूहिक समर्थन नहीं जताया। भारतीय मुसलमानों की धर्मनिरपेक्षता का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि इस क़ौम ने आज तक धर्म के नाम पर कोई मुसलमान नेता चुनने के बजाए कभी गाँधी पर विश्वास किया तो कभी नेहरू पर,आज भी कभी लालू यादव की ओर यह क़ौम देखती है कभी मुलायम सिंह यादव,नितीश कुमार या ममता बनर्जी जैसे नेताओं की तरफ़। आज भी मुसलमानों में जितना जनाधार इन ग़ैर मुस्लिम नेताओं का है उतना ओवैसी या किसी भी अन्य नेता का नहीं। ऐसे में भारतीय मुसलमानों ने किसी को भी ‘हम 15 करोड़’ की भाषा बोलने का अधिकार न कल दिया था न ही आज दे सकते हैं। निश्चित रूप से भारतीय समाज का समग्र स्वरूप न तो किसी वारिस पठान या अकबरुद्दीन ओवैसी या उसकी किसी ज़हरीली सोच को स्वीकार करता है न ही किसी गिरिराज सिंह,योगी,राजा सिंह ,तोगड़िया,साक्षी अथवा प्रज्ञा जैसों की सोच को। भारत की वैश्विक पहचान गाँधी के सत्य व अहिंसा का अनुसरण करने वाले भारत के रूप में बनी हुई है और हमेशा बनी रहेगी। 
 
 
यह गाँधी का देश है गोडसे का नहीं। सर्वेभवन्तु सुखनः और वसुधैव कुटुंबकम का सन्देश देने वाला भारत किसी एक समुदाय को किसी भी दूसरे समुदाय पर ‘भारी पड़ने’ का नहीं बल्कि एक दूसरे को गले लगाने व परस्पर सद्भाव प्रदर्शित करने का सन्देश देता है। वारिस पठान ने जो कहा वह निश्चित रूप से आपत्तिजनक है। परन्तु उसके जवाब में जो भाषा बोली जा रही है वह भी बेहद  ख़तरनाक व आपत्तिजनक है। दरअसल किसी भी पार्टी का कोई भी नेता यदि भारतवासियों को धर्म के आधार पर विभाजित करने या दो समुदायों के मध्य नफ़रत फैलाने का सन्देश देता है वह अपने ही समुदाय का दुश्मन है। ऐसी सभी ज़हरीली आवाज़ों को बंद किया जाना चाहिए। चाहे वे सत्ता विरोधी संगठन से उठने वाली आवाज़ें हों या सत्ता का संरक्षण पाने वाले नेताओं की। ऐसी आवाज़ों में भेद किया जाना भी ख़तरनाक है। देश के धर्मनिरपेक्ष व सच्चे देशभक्तों को सभी कट्टरपंथी व राष्ट्र विरोधी शक्तियों को राष्ट्रहित में यह सन्देश दे देना चाहिए कि नानक, कबीर, रहीम,जायसी,अशफ़ाक़ुल्ला ख़ान ,वीर अब्दुल हमीद तथा कलाम का देश भारत कल भी धर्मनिरपेक्ष था आज भी धर्मनिरपेक्ष है और कल भी धर्मनिरपेक्ष ही रहेगा।

 
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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

Contact – : Email – tjafri1@gmail.com 

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