भाजपा ने लिया कोंग्रेस को आड़े हाथो

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आई.एन.वी.सी,,
दिल्ली,,
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर  ने  2जी स्पेक्ट्रम और अन्य  पुराने उखड़े मुद्दों का फिर से जाप करके कोंग्रेस को आड़े हाथो लिया है और प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा की भारतीय जनता पार्टी 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में खराब प्रतिक्रिया मिलने के बाद कांग्रेस और सरकार द्वारा देश की सबसे महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्थाओं में से एक, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) का अपमान करने के प्रयासों की कड़े शब्दों में निंदा करती है।  सीएजी को धमकाने की यूपीए सरकार की कोशिशें “घृणित, दुर्भाग्यपूर्ण, अस्वीकार्य और अलोकतांत्रिक“ हैं। यह ठीक उसी तरह है जैसे टेनिस का कोई खिलाड़ी दोहरी गलती करे और उसके बाद गलती के लिए अम्पायर को बुरा-भला कहे।  वास्तव में सीएजी के निष्कर्ष स्पष्ट हैं, क्योंकि नीलामी के जरिये केवल 22 लाइसेंसों से ही मूल्य प्राप्ति हो सकी, जबकि यूपीए सरकार ने एफसीएफएस आधार पर 2008 में कुल 122 लाइसेंस दिये थे। इसके अलावा सीएजी ने 2008 के लिए आंकड़ों का गणित लगाया था न कि 2012 के लिए। कांग्रेस से और क्या उम्मीद की जा सकती है? तथ्यों को छिपाने के लिए सरकार ने खिचड़ी पका दी और अपनी गलतियों को छिपाने के लिए उसे किसी बलि के बकरे की जरुरत थी। कांग्रेस सीएजी का उपहास उड़ाकर जनता को बेवकूफ नहीं बना सकती। विफल नीलामी निवेशकों का विश्वास डगमगाने और भारत के चिंताजनक वित्तीय घाटे का स्पष्ट आभास देती है।  सरकार द्वारा सीएजी और कुछ हद तक देश की सर्वोच्च अदालत के विवेक के बारे में कही गई बातों को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि उच्चतम न्यायालय का फैसला मामले के गुण दोष पर आधारित है और सीएजी ने नुकसान के बारे में जो आकलन किया वह वर्ष 2008 के संदर्भ में था जब दूरसंचार बाजार और साथ ही राजस्व की संभावना 2012 की तुलना में काफी अधिक थी।  कांग्रेस का व्यवहार “किसी दोषी व्यक्ति द्वारा अपना दोष किसी और पर मढ़ने के समान है“। कांग्रेस खंडन करने में लगी है और वैधानिक तरीके से 2008 में भारी भरकम राजस्व एकत्र, गंभीर निवेशकों को लाने और दूरसंचार घनत्व बढ़ाने तथा इस क्षेत्र को मुकदमेबाजी से मुक्त रखने का अवसर गंवाने की गलती जान बूझकर करने की बात को स्वीकार करने की बजाय संवैधानिक संस्था सीएजी का अपमान कर रही है।  भाजपा उम्मीद करती है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए के अपारदर्शी फैसलों, गैरकानूनी कार्रवाइयों और सार्वजनिक नीति से जुड़े मामलों में दूरदर्शिता का पूरी तरह अभाव रखने की बजाय अर्थव्यवस्था में सक्रिय कदम उठाएंगे और अपनी “हल्ला मचाने वाली ब्रिगेड“ मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल और नारायण सामी की लगाम खींचकर रखेंगे। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खराब शासन ने पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विनाश की स्थिति पैदा कर दी है। 2009-10 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत थी जो 2012-13 में तेजी से घटकर 5.5 प्रतिशत पर आ गई। नौकरियां भी आती हुई नहीं दिखाई दे रही हैं। वित्तीय घाटा बढ़ रहा है। राजस्व और कर संग्रह उम्मीद से कम है। आईआईपी में भी लगातार बदलाव की स्थिति दिखाई दे रही है। प्रमुख क्षेत्रों में वृद्वि की गति मंद है। कुल मिलाकर आर्थिक परिदृश्य चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति नीतियों में गतिहीनता और यूपीए सरकार में शासन प्रणाली के अभाव का नतीजा है। यह राष्ट्र के हित में होगा अगर यूपीए सरकार अब आगे किसी और अपराध में लिप्त न हो और अपने कामकाज में सुधार लाने की कोशिश करे।

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