भगौड़े क्या देशद्रोही नहीं कहलाएंगे?

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– अब्दुल रशीद –

वायदा था काले धन लाने का,भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस का लेकिन नीरव मोदी का 11400 करोड़ का बैंक घोटाला और घोटाले के बाद देश छोड़कर भाग जाना, भ्रष्टाचार को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है,बहस इस बात की क्या चौकीदारी की बात भी पन्द्रह लाख की  तरह महज जुमला ही साबित होगा. नोटबंदी और जीएसटी जैसे मोदी सरकार कि कड़वी दवा पीने के बाद से सहमे चोट खाए लोग,अब अपने टैक्स का पैसा अमीरों द्वारा लुटता देख न केवल आहत हो रहें हैं बल्कि उन्हें यह भी लगने लगा है कि सरकार किसी की भी हो भ्रष्टाचार अब रोजमर्रा की एक आम बात सी हो गई है. वजह साफ़ है,चाहे माल्या हो,ललित मोदी हो या नीरव मोदी सब बड़े आसानी से देश का पैसा लूटते
हैं और भाग जाते हैं. यह सच है की नीरव मोदी के मामले में सीबीआई ‘तत्परता’ दिखा रही है, गिरफ्तारियां भी की लेकिन यह भी कड़वी सच्चाई है के मुख्य आरोपी भाग चुका है.और पैसा वापस नहीं लौटाने की धमकी भी दे रहा है.

सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और विपक्ष कांग्रेस एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने में व्यस्त हैं लेकिन मूल प्रश्न गायब है आख़िर कौन है इस घोटाले का जिम्मेदार? क्या देश का पैसा वापस आएगा? क्या दोषी को सजा मिलेगी? सरकार के मंत्री बारी बारी से मीडिया के सामने आकर सफाई दे गए, और कांग्रेसी राज को घोटाले के लिए कोसते रहें, लेकिन भाजपा अपने शासनकाल में हुए घोटाले पर मौनधारण किए हुए है. क्या चार साल तक जब सरकार के नाक के नीचे घोटाला हो रहा था और प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत किया गया था तब क्या सरकार सो रही थी?

जब पूरे देश में नीरव मोदी के घोटाले पर चर्चा हो रही है,अखबार भरे पड़े हैं,कुछ विशेष प्रकार के टीवी को छोड़ दे तो बाकी टीवी मीडिया भी घोटाले के खबर से पटा हुआ है.और देश के प्रधानमंत्री जो कहते थे न खाउंगा न खाने दूंगा इस घोटाले पर बोलने के बजाय बच्चों के साथ परीक्षा पर चर्चा करने और आत्मविश्वास के टिप्स देने में व्यस्त दिखे. उन्होंने बीजेपी के भव्यतम केंद्रीय दफ्तर का उद्घाटन किया, मुंबई में ग्लोबल इंवेस्टर्स मीट में पहुंचे, नवी मुंबई इंटनरेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया और कर्नाटक और त्रिपुरा में अपने अंदाज में भाषण दिये. इन कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नीरव मोदी द्वारा किए गए बैंक घोटाले पर एक शब्द कहना तो दूर अपने जीरो टॉलरेंस वाले दावे जो चुनावों में अक्सर किए जाते थे,का दिखावा तक नहीं किया मानो जीरो टोलरेंस की बात वे अब भूल चुके हों.

प्रधानसेवक जी, दावोस में जिस नीरव मोदी के साथ ग्रुप फोटो खिचवाई और एक कार्यक्रम में जिसे मेहुल भाई कहके संबोधित किया है आपने, उन्होंने ही देश को लूटा है और आप चुप हैं. आपकी चुप्पी कई सवाल खड़े करती हैं? क्या
कोई करोड़पति चोर आसानी से प्रधानमंत्री के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंच पर खड़ा हो सकता है?

यह बात भी समझ से परे है की निर्बल निर्धन लोगों को राष्ट्र धर्म और देशभक्ति का पाठ पढ़ाने वाले ताकतवर लोग,ऐसे मुद्दे पर गायब हो जाते हैं. क्या उन्हें घोटालेबाजो से यह नहीं पूछना चाहिए कि देश का धन लेकर मजबूत सरकार को चकमा देकर कैसे भाग गया? प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से देश की जनता को आर्थिक रूप से बदहाल करने वाले ऐसे भगौड़े क्या देशद्रोही नहीं कहलाएंगे?

जिस तरह से करोड़पति चोर देश का पैसा लेकर भाग जा रहें हैं उससे तो ऐसा लगता है कि मनमोहन सरकार की तरह मोदी सरकार भी पूंजीपतियों के सामने लाचार है.पिछली सरकार को कटघरे में खड़ा करने के बजाय मजबूत व जवाबदेह सरकार होने का परिचय देने का वक्त है. प्रधानमंत्री के जवाब को देश की आमजनता सुनना चाहती है क्योंकि जिस उम्मीद के साकार होने के लिए विश्वास जता कर जनता ने इतनी बड़ी बहुमत से सरकार को 2014 के चुनाव को जिताया था आज उस जनता का वह विश्वास डगमगा रहा है चाहे काला धन हो,युवाओं के लिए रोजगार हो या भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस हो परिणाम अब तक उत्साहवर्धक नहीं रहा है.

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परिचय -:

अब्दुल रशीद

लेखक  व्  स्वतंत्र पत्रकार

सम्पर्क -:
मोबाईल नंबर – 9926608025 , ईमेल – : rashidrmhc@gmail.com

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Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

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