बेहद चैलेंजिंग है फिल्म सत्या-2 में मेरी नारा की भूमिका -अमित रियान

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amit riyaanफिल्म संवादाता  राजू बोहरा,

मुंबई ,

कहते हैं इस संसार में कोई भी इंसान जन्म से न तो विद्वान होता है और न ही बुद्धिमान। इंसान कड़ी मेहनत और अपनी सच्ची लगन से अपने कार्य को इतना अधिक ऊंचा उठा लेता है कि उसे समाज में मान-सम्मान और ख्याति तो मिलती ही है, साथ ही वो लोगों के लिए प्रेरक भी बन जाते हैं। ऐसी ही शख्यितों में एक नाम सामने उभरकर आने लगा है रामगोपाल वर्मा की अंडरवर्ड बनी चर्चित फिल्म सत्या-2 के युवा अभिनेता अमित रियान  का। जिन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाया है कि कठोर परिश्रम ही सफलता की कूंजी है। यूँ तो अभिनेता अमित रियान इससे पहले भी दो फिल्मो में काम कर चुके है लेकिन फिल्म सत्या-2 एक तरह से उनकी लॉचिंग फिल्म है। गौरतलब है कि साल अक्तूबर 2011  में रीलिज हुई मराठी फिल्म ”मन्या द वंडर बॉय ” से फिल्मों में करियर शुरू करने वाले अमित रियान को पहली ही मराठी फिल्म के लिए दादा साहेब फालके फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट नवोदित एक्टर का अवॉर्ड भी मिल चूका है। इस फिल्म के बाद उन्हें रामगोपाल वर्मा की फिल्म के लिए चुना गया।फ़िल्म सत्या-२ के एक दृश्य में अमित रियान
अभिनेता अमित रियान ने बताया कि जब में पहली बार  राम गोपाल वर्मा से मिला तो सत्या 2 में काम करने की मेरे लिए कोईगुंजाइश नहीं थी, लेकिन बाद  में उन्होंने मुझे दो फिल्मों के ऑफर दिए. लगभग 7 महीने तक मैं उनके फोन का इंतजार करता रहा. उस समय मेरे पास कोई काम नहीं था, मैंने उन्हें मैसेज किया कि मेरी आर्थिक स्थिति बिगड. रही है और मैं अपना धैर्य खो रहा हूं. उन्होंने तुरंत ही मुझे दूसरे दिन अपने ऑफिस बुलाया. जब उनसे मिला तो उन्होंने मुझे सत्या-2 में नारा का रोल दिया. अपने किरदार के बारे में उन्होंने बताया कि यह कुछ-कुछ आमिर खान की फिल्म रंगीला के मुन्ना से मिलता-जुलता है. इन दोनों के रहन-सहन में कोई अंतर नहीं है. मैंने आमिर के उस रोल को देखकर भी काफी कुछ सीखने की कोशिश की.
amit riyaan with director ram gopal varma satya-2  सत्या 2 8 नवंबर को रिलीज होने जा रही है. 1998  में आई रामू की फिल्म सत्या का यह सिक्वल है. उस फिल्म में मनोज वाजपाई ने भिखू म्हात्रे की भूमिका निभाई थी. उस फिल्म को याद करते हुए अमित रियान ने कहा कि  स्कूल के समय दोस्तों के साथ इस फिल्म को देखने का प्लान बनाया था. हालांकि मेरे टिकट खरीदने के बाद भी कोई सिनेमा हॉल नहीं पहुंचा. शायद उनके पैरेन्ट्स को लगता था कि यह फिल्म वास्तविक है और बच्चों पर बुरा असर डालेगी. मैंने सारे टिकट ब्लैक में बेच दिए. सिर्फ एक बचाकर रखा और अकेले ही फिल्म देखी. वो बताते हैं कि शूटिंग के दौरान फिल्म को लेकर रामू से खूब बात होती थी. वो बहुत अच्छे इंसान हैं, उन्होंने मुझे अभिनय की बारीकियों के बारे में बताया. उन्होंने मुझसे कहा कि बहुत मुश्किल से अच्छे कलाकार मिलते हैं. मैं रामू का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री करने के मेरे इंतजार को खत्म करने में मदद की. इस फिल्म के लिए मैंने काफी मेहनत की है. उम्मीद करता हूं कि दर्शकों को मेरा काम पसंद आएगा.

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