अनिल सिन्दूर**,,
देश भर में 31 विश्वद्यिालय शोध मॉडल कर रहे तैयार
देश के 85 तथा उ.प्र.के 90 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमान्त
कानपुर – भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन को दृष्टिगत रख गांव में रह रही देश की 72 प्रतिशत आबादी को बेरोजगारी तथा कुपोषण से बचाने को एकीकृत खेती प्रणाली की योजना बनायी है। योजना को मूर्तरूप देने को 31 केन्द्रों को माडॅल विकसित करने के निर्देश दिए गये थे। इन केन्द्रों में एक माडॅल केन्द्र चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर भी है। देश की कुल आबादी का 72 प्रतिशत जनमानस गावों में गुजर वसर करता है गावों में रहने करने वाले लोग खेती पर आधारित हैं। चौकाने वाले तथ्य यह हैं कि देश के 85 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमान्त की श्रेणी में आते हैं वहीं उ.प्र. में यह आकड़ा 90 प्रतिशत है। खेती पर आधारित 65 प्रतिशत ऐसे युवा हैं जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम हैं। जो बेरोजगार एवं कुपोषित हैं। प्रचुर मात्रा में श्रमशक्ति का उपयोग करने, बेरोजगारी तथा कुपोषण से बचाने को वर्ष 2009 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने केरल में आयोजित बैठक में एकीकृत खेती का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। एकीकृत खेती प्रणाली योजना को मूर्तरुप देने को देश के विभिन्न 31 कृषि विश्वविद्यालय केन्द्रों को विभिन्न मौषम, बाजार, कृषि जोत, संसाधन तथा खानपान की आदतों को दृष्टिगत रख माडॅल तैयार करने की जिम्मेदारी डाली गयी थी। जिससे तीन वर्षों के अनुभवों के बाद इन माडॅलस् को लघु एवं सीमान्त किसानों को सौंपा जा सके। 31 केन्द्रों में से एक माडॅल चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर ने तैयार किया है।
एकीकृत खेती प्रणाली क्या है : प्रदूषित पर्यावरण के चलते मौषम में आये बदलाव के कारण वर्षा का सन्तुलन बिगड़ गया है। यही वजह है कि वर्षा आधारित खेती अब लघु एवं सीमान्त किसानों के लिए जीवन यापन का साधन नहीं बन पा रही है। इसी बात को दृष्टिगत रख फसल के साथ ही सब्जी का उत्पादन, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, फलों का उत्पादन आदि विभिन्न जलवायु में संसाधन तथा खानपान की आदतों के अनुसार की जाने खेती को एकीकृत खेती कहते है।
एकीकृत खेती तैयार मॉडल : चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय कानपुर ने एक हेक्टयर खेत पर शोध मॉडल तैयार किया है। जिसमें 0.7 हेक्ट. में फसल, 0.9 हेक्ट. में बागबानी, 0.17 हेक्ट. में वर्मी कम्पोस्ट, 0.6 हेक्ट. में पशुपालन एक किसान परिवार के माध्यम से तैयार करवाया गया है। एक वर्ष में एकीकृत फसल से शुद्ध मुनाफा 1 लाख 35 हजार का हुआ है जो फसल आधारित खेती से कहीं अधिक है।
सर्वे के अनुसार आगे आने वाले संकट : वर्ष 2020 में देश की आबादी के अनुसार खाद्यान्न की आवश्यकता 350 मिलियन टन होगी जब कि वर्ष 2012 में 257 मिलियन टन उत्पादन है दूध 170 मिलियन टन/120 मिलियन टन, सब्जी 170 मिलियन टन/115 मिलि. टन, फल 281 मिलि. टन/260, चीनी 22 मिलि. टन/12 मिलि. टन तथा मास 127 मिलि. टन की आवश्यकता होगी।
आबादी बढने की संभावना : वर्ष 2011 में देश की आबादी 1 अरब 20 करोड़ थी जो वर्ष 2025 में बढ़ कर 1 अरब 46 करोड़ तथा वर्ष 2060 में 1 अरब 70 करोड हो जाने का अनुमान है। वैज्ञानिक का कथन- वैज्ञानिक एवं इन्चार्ज इन्ट्रीग्रेटिड फार्मिंग प्रोजेक्ट असि. प्रोफेसर डॉ. नौसाद खॉ ने बताया कि एकीकृत खेती प्रणाली आज की सबसे बड़ी आवश्कता है। वर्ष 1950 में प्रति व्यक्ति जोत 0.5 हेक्टयर थी जो अब घट कर 0.15 रह गयी है बढ़ती आबादी के चलते यह आकड़े बेहद चिन्ता का विषय है। हमें किसानों को एकीकृत खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
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**लेखक श्री अनिल सिन्दूर वरिष्ठ पत्रकार है । पिछले 22 सालो में कई समाचार पत्रों में विभिन्न पद पर कार्य किया है । अंतर्राष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम में राष्ट्रीय विशेष संवाददाता के पद पर कार्यरत है ।
*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.