बृाह्मणवाद एक धार्मिक अर्थव्यवस्था है, न कि कोई जाति : केदार नाथ सचान

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Kedar Nath Sachan. (आई एन वी सी प्रमुख सवान्दाता अनिल सिन्दूर की कानपुर में  केदार नाथ सचान से ख़ास बातचीत } बाृह्मणवाद एक धार्मिक अर्थव्यवस्था है न कि कोई जाति है। जो भाग्य, पुर्नजन्म से चमत्कार तक होकर गुजरता है। यह अर्थशास्त्र कमेरी कौम को लूटने का षडयन्त्र मात्र है। यह बात शोसित समाज दल के प्रदेश अध्यक्ष केदार नाथ सचान ने एक साक्षात्कार के दौरान कही।
समाजवाद पर उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि समाजवाद कम्युनिष्ट देशों का शब्द है। वो मानते हैं कि समाजवाद के बाद कम्युनिज्म आता है। तो क्या समाजवाद का ढिढोरा पीटने वाले तथाकथित समाजवादी नेता कम्युनिज्म लाने की कोशिश में लगें हैं। यह समाजवादी नेता आज तक समाजवाद की परिभाषा तय नहीं कर पाए। समाजवादी नेताओं का चरित्र पूंजीवादी हो गया है।
उन्होंने बताया कि राम मनोहर लोहिया का समाजवाद नेहरू तथा बृाह्मण विरोध से शुरू हुआ था। लोहिया ने पिछड़ावाद के आधार पर समाजवाद खड़ा किया था। तभी लोहिया ने नारा दिया था “पिछड़ों ने बांधी गांठ, लड़कर लेंगे सौ में साठ”।
भृष्टाचार के सवाल पर उन्होंने कहा कि पूजीं से पूंजी बनाने की प्रक्रिया भृष्टाचार की जड़ें और मजबूत करेंगी। अर्थव्यवस्था को श्रम आधारित व्यवस्था बनाने से भृष्टाचार पर लगाम लगेगी। श्रम के आधार पर ही वेतनमान तय होने पर भृष्टाचार की सम्भावना कम है।
उन्होंने बताया कि काम के आधार पर बनी जातियों को तकनीकी शिक्षा में सीधे प्रवेश की सुविधा होना चाहिए। हमारे समाज में लुहार, कुम्हार, बढई, सुनार कई इंजीनियरिंग जातियां हैं जिनके घरों में जन्म से वही काम होता आया है जिसकी तकनीकी शिक्षा हम बड़े विश्वविद्यालयों में देते हैं। लेकिन इन जातियों के युवाओं को तकनीकी शिक्षा में प्रवेश मिलना मुश्किल होता है जब इनकों बिना प्रवेश परीक्षा के लेना चाहिए।
पानी के किनारे रहने वाले वाली जातियों का गठन जल सेना के रूप में कर नदियों के रखरखाव की जिम्मेदारी सौपनी चाहिए जिससे इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगा ही साथ ही नदियों को प्रदूषण से बचाने में मदद मिलेगी। तैराकी में परिपक्व निषाद जाति के युवाओं को नदी में डूबने वालों को बवाने का काम सौपना चाहिए। उन्हें वेतन तथा डेªससे लैस करना होगा। जो युवा तैराकी में बेहद कुशल हों उन्हें तैराकी प्रतियागिताओं में भाग लेने का अवसर जुटाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक दलित का मुखौटा लगाकर दलितों के वोट लेती रही लेकिन दलितों के लिए कोई काम नहीं किया अब वही काम मायावती कर रहीं हैं। बृाह्मणों का मुखौटा लगा अपना काम निकाल रही है। मायावती के आका काशींराम का सूत्र था कि हमें हर अवसर का फायदा उठाना होगा और उसी के नक्शेकदम पर मायावती चल रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार को प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का संर्वधन, प्रबन्धन एवं संयोजन करना चाहिए न कि उसका व्यापार करना चाहिए। तभी प्रकृति से मिलने वाली वस्तुओं प्रयोग आमजन कर सकेेगे। आज स्थिति यह बनती जा रही है कि सरकार स्वयं इनका व्यापार करने लगी है। व्यक्ति का उसी पर सबसे ज्यादा विश्वास होता है जो उसका पेट भरता है। मांॅ के प्रति बच्चे का सबसे ज्यादा विश्वास होता है।
केदार नाथ सचान एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जो राजनेता बाद में हैं वह पहले शिक्षक हैं जो अध्यापकों को शिक्षा देते रहे कि हमे बच्चों को क्या देना है। वह एक प्रगतिशील किसान के रूप में जाने जाते हैं उन्होंने किसानों को कई ऐसे प्रयोग दिए जो खेती के लिए मिशाल हैं।

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