बुन्देली भाषा अत्यंत समृद्ध है : गृह मंत्री

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bhopalआई एन वी सी,
भोपाल,
‘बुन्देली भाषा के राष्ट्ीय अधिवेषन-2013, भारत भवन भोपाल’ में देष के गृह मंत्री श्री सुषील कुमार षिन्दे ने मुख्य अतिथि पद से समारोह का उद्घाटन करते हुये कहा कि बंुदेलखण्ड और बुन्देली के बारे में मेरे मन में बचपन से बहुत सम्मान है । बुन्देली को आठवीं अनुसूची में स्थान देने के लिये मुझसे जो कुछ बन पड़ेगा अवष्य करुॅगा। अखिल भारतीय बंुदेलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद् के तत्वावधान में सम्पन्न दो दिवसीय बृहद बुन्देली सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि श्री कैलाष मडबैया द्वारा रचित उनके इक्कीसवें ग्रंथ और हाल ही में कैलाष पर्वत पर स्थित अष्टापद तीर्थ पर उन्ही के द्वारा समर्पित ,महान काव्य ग्रंथ बुन्देली भक्तामर’ का लोकार्पण करते हुये श्री षिन्दे ने साहित्यकार कैलाष मडबैया को उनकी सत्तरवीं वर्ष गॉंठ पर बधाई भी दी। म.प्र.के राज्यपाल महामहिम श्री रामनरेष यादव ने बुन्देली भक्तामर की सांगीतिक प्रस्तुति को सराहते हुये कहा कि यह मील के पत्थर जैसा महान कार्य है जिसके लिये श्री मड़बैया जी को सदैव स्मरण किया जायेगा। बुन्देलीअधिवेषन के प्रारंभ होते ही बंुदेलखण्ड के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.कामिनी दतिया, डॉ. लखनलाल खरे षिवपुरी आदि ने सॉल,श्रीफल,पुष आदि से 70वें जन्मदिन पर कवि कैलाष मडबैया का अभिनन्दन किया। भारतभवन में बैठे साहित्यकारों ने करतल ध्वनि से सृजन का सम्मानोत्सव मनाया।म.प्र.के कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने बुन्देली भाषा की मिठास की प्रसंषा की और कहा कि इसे आठवीं अनुसूची में स्थान दिया ही जाना चाहिये। बंुदेलखण्ड के सांसद श्री सत्यव्रत चतूर्वेदी ने कहा कि बंुदेलखण्ड और बुन्देली ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है यदि अन्य कमतर भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिया गया है तो बुन्देली भाषा का अपना हक मिलना ही चाहिये। बुन्देली भाषा के राष्ट्ीय अधिवेषन में अन्य अनेक कृतियों में त्रिपथगा और ‘एक षब्द के लिये’ कृतियों का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया। समारोह में लगभग लगभग 200 बुन्देली साहित्यकारों ने बुन्देली के सृजन और उन्नयन पर विविध गोष्ठियों में मंथन किया। इस अवसर पर छत्रसाल पुरस्कार डॉ0 मुरारीलाल खरे को उनकी कृति बुन्देली रामायण के लिये,षिवनाराण जौहरी पुरस्कार ,‘गॉव के गंवडें’कृति के लिये महेष कटारे बीना को,श्री सुरेन्द्रनाथ श्रीवास्तव सम्मान रायप्रवीण उपन्यास पर श्री उमाषंकर खरे उमेष को और आचार्य चतुरेष पुरस्कार श्री किषन तिवारी भोपाल को उनकी बुन्देलीपुस्तक-‘कै रए हैं रामधई’ को श्री षिन्दे और राज्यपाल ने प्रदान किया।संस्था के राष्ट्ीय अध्यक्ष श्री कैलाष मड़बैया ने इस अवसर पर भारत के गृह मंत्री श्री षिन्दे का अभिनन्दन छत्रसाल की कटार, अभिनन्दन पत्र,सॉल ,साहित्य और श्रीफल भेंट देकर किया। मान पत्र का वाचन परिषद के उपाध्यक्ष श्रीषंभुदयाल गुरु और संस्था का प्रतिवेदन संगठन मंत्री श्री देवेन्द्र कुमार जैन ने किया।समारोह का आकर्षण छतरपुर के गायकों द्वारा बुन्देली आल्हा और सागर की नृत्यॉंग -नाओं द्वारा प्रस्तुत राई नृत्य रहा। समारोह का समापन दूसरे दिन स्वराज भवन में परिषद की आम सभा से हुआ जिसमें अनेक प्रस्ताव और लेखे सर्वसम्मत से पारित किये गये। इस अवसर पर पुनः सर्वसम्मति से श्री कैलाष मड़बैया को राष्ट्ीय अध्यक्ष पद पर चुना गया और उन्हें केन्द्रीय कार्यकारिणी गठित करने के लिये अधिकृत किया गया। दतिया,गुना और टीकमगढ आदि जिलों में अगामी माहों में सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया। साथ ही बुन्देली की प्रगति में आने वाले अवरोधों पर विचार किया गया। प्रमुख साहित्यकारों द्वारा रचना पाठ हुआ। बुन्देली कविसम्मेलन में दो दर्जन बुन्देली कवियों द्वारा रोचक काव्य पाठ किया गया जिनमें दुर्गेष दीक्षित कुण्डेष्वर, कैलाष मडबैया भोपाल,डॉ.कामिनी दतिया,गंगाप्रसाद गुप्त छतरपुर,कपिलदेव तैलंग टीकमगढ ,सुदेष सोनी ललितपुर,सुरेष पराग देवेन्द्रनगर, उमेष पृथ्वीपुर, पंकज अंगार ललितपुर,पोषक ओरछा,उषा सक्सेना छतरपुर, डॉ.लखन खरे षिवपुरी, जवाहर लाल द्विवेदी गुना, बाबूलाल द्विवेदी बानपुर, दिनेष याज्ञिक रायसेन,रामबाबू श्रीवास्तव देवगॉव, दीन दयाल तिवारी टीकमगढ,षंकर दीक्षित पन्ना, आषा श्रीवास्तव, षिरोमणि सिंह पथ भिण्ड,अंजु सिहारे पिछोर,लालजी श्रीवास्तव टीकमगढ़,रमेष नन्द,प्रेम सक्सेना,गौरीष षर्मा भोपाल आदि उल्ल्ेखनीय हैं। सम्मेलन की ऐतिहासिक सफलता पर सभी ने प्रसन्नता व्यक्त की । केन्द्रीय कमेटी द्वारा आभार ज्ञापन किया गया।

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