केन्द्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज दिल्ली स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन की – “दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्वास्थ्य के लिए साझेदार” नामक बैठक का शुभांरभ किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री आजाद ने कहा कि इस तथ्य पर आम सहमति है कि गैर- संक्रामक बीमारियों (एनसीडी) का दुष्भाव तेजी से बढ़ रहा है। उन्होने कहा कि भारत ने एनसीडी की रोकथाम नियंत्रण के लिए इसे अपनी उच्च प्राथमिकता पर रखने का फैसला किया है।
श्री आजाद ने बताया कि इन बीमारियों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक त्रिआयामी रणनीति पर विचार विमर्श किया जा चुका है। जिसके तहत बुनियादी सुविधाओं और मानव संसाधन में तेजी से वृद्धि और इन बीमारियों के इलाज को सुलभ बनाने के लिए कीमतों में कमी लाना है। श्री आजाद ने कहा कि एनएसडी के कारण होने वाली मृत्यु दर को कम करना और लोगों के जीवन को इनसे होने वाले खतरे से बचाना ही प्रमुख चुनौती है।
श्री आजाद ने बताया कि ११वीं योजना अवधि के दौरान २१ राज्यों के सौ जिलों में कैंसर,मधुमेह, सीवीडी और हृद्याघात जैसी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है। बाद में इसे देश के सभी ६४० जिलों में बढ़ाया जायेगा।
श्री आजाद ने इस क्षेत्र में कार्यरत सभी सहयोगियों से एक ऐसी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को गठित करने की अपील की जो समाज के सभी तबकों के लिए समान, वहनीय और उनकी पहुंच के भीतर हो। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन – डब्ल्यू एच ओ के दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्रीय कार्यालय से इस सम्मेलन का अनुसरण करने को भी कहा ताकि इस क्षेत्र को ऐसी बीमारियों से दूर करने के लिए एक निगरानी तंत्र का निर्धारण किया जा सके।