बिसरी हुई सांस्कृतिक रस्मों की बानगी ‘मालवा उत्सव 2014’ की हुई रंगारंग शुरुआत

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internationalnewsandviews.com

सोनाली बोस,

आई एन वी सी,

इंदौर,

मालवा का दिल कहे जाने वाले इंदौर शहर में बुधवार को मालवा उत्सव की शुरूआत हुई। गौर तलब है की इंदौर के लालबाग में बुधवार से मालवा उत्सव का आगाज़ हुआ।  मालवा की संस्कृति से लबरेज़ यह कार्यक्रम पांच दिनों तक चलेगा।   इस उत्सव में मालवा अंचल के कई लोक कलाकार भाग ले रहे हैं। रंगारंग समारोह के साथ हुए उद्धाटन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने उत्सव का आनंद लिया।

28 मई 2014 को आरंभ हुए मालवा उत्सव में देश भर से आये कलाकार यहाँ अपने अपने अंचल की मिट्टी की खुशबू बिखेरेंगे| यहाँ उन सभी रस्मों की याद ताज़ा हो रही है जो पिछले कई समय से बिसरा दी गईं हैं| मालवा उत्सव के पहले दिन कुल आठ प्रस्तुतियां हुईं। बुंदेलखंड में मंगलकार्यों पर किया जाने वाला बधाई नृत्य, निमाड़ से गणगौर, मालवा का मटकी नृत्य, बुंदेलखंड का बरेदी, नौरता और भैंस की सींग बजाते हुए किया जाने वाला बैतूल का रोमांचकारी टांटिया नृत्य भी हुआ।लालबाग परिसर में आयोजित हो रहे मालवा उत्सव की शुरुआत होने वाली सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आगाज गणेश वंदना से हुआ। यह गणेश वंदना भी लोक संस्कृति के रंग में रंगी हुई थी। ‘नाचो-नाचो रे गणेश, नाच ब्रह्मा विष्णु महेश’ पर थिरकते कलाकारों की भक्तिमयी प्रस्तुति ने आनंदित कर दिया। नवरात्रि में कन्याओं द्वारा किए जाने वाले नौरता नृत्य ने समारोह में और भी उल्लास भर दिया। कलाकारों ने ‘पूछत-पूछत आयो नारी सुआ’ गीत पर बेहद खूबसूरती से नौरता नृत्य किया।

इस उत्सव से जुडी खबरों के लिए हुई पत्रकारवार्ता में मंच के अध्यक्ष शंकर लालवानी ने बताया इस बार मालवा उत्सव में 400 से अधिक कलाकार व 300 शिल्पकार भाग लेंगे। इनके अलावा स्थानीय कलाकारों द्वारा पेपरमेशी वर्क, क्ले वर्क, मांडना आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। फूड जोन और चिल्ड्रन जोन को भी आकर्षक बनाया जाएगा। बच्चों के लिए विभिन्ना झूले भी होंगे और फूड जोन में केरल, उत्तरांचल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, कर्नाटक आदि के व्यंजन भी होंगे। आयोजन के पहले दिन छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के दल द्वारा विशेष प्रस्तुतियां दी गयी।

एक बात यहाँ उल्लेखनीय है कि उत्सव में मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, गोवा, केरल, उड़ीसा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मणिपुर, असम व महाराष्ट्र की संस्कृति की झलक दिखाई देगी। विभिन्न प्रांतों की लोक संस्कृति के साथ वहां का प्रतिनिधित्व करते हुए मुखौटों से मंच को सजाया गया है। केरल, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश व असम में जिस तरह के मुखौटे प्रचलित हैं उन्हें मंच पर सजाया गया है। मंच को घांस की छोपड़ियों की तरह सजाया गया है।

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