रामजी यादव
नई दिल्ली. ”पुराने का अध्ययन और विश्लेषण मुझे आज को समझने की अन्तर्दृष्टि देता है। जो लोग पुराने को काबू में करके केवल आज ही आज पर जोर दे रहे हैं वे नहीं जानते कि बिना कल के आज की कल्पना ही नहीं की जा सकती।”
उक्त विचार सुप्रसिध्द आलोचक प्रो. नित्यानंद तिवारी ने गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित विचार-गोष्ठी और वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत की पुस्तकों के विमोचन के मौके पर व्यक्त किए। प्रो. तिवारी ने उद्भ्रांत जी की कविताओं पर बोलते हुए कहा कि ‘उनकी कविताएं हमारे दौर की चुनौतियों और द्वंद्वों को रेखांकित करती हैं। ये अभिधा की बहुत बड़ी ताकत है। उद्भ्रांत को कविताओं में ब्यौरों की अधिकता और परिणामवादी प्रवृत्ति से बचना चाहिए और कविता की वास्तविक ताकत के लिए प्रक्रिया तक ही सीमित रहना चाहिए।’
इस अवसर पर उद्भ्रांत की पुस्तकों-‘सदी का महाराग’ का लोकार्पण प्रो. तिवारी ने किया। यह रेवती रमण द्वारा सम्पादित उद्भ्रांत की बीसवीं सदी की कविताओं का संचयन है। उद्भ्रांत के नए कविता संग्रह ‘हंसो बतर्ज रघुवीर सहाय’ का विमोचन प्रो. नामवर सिंह द्वारा, उद्भ्रांत द्वारा सम्पादित लघु पत्रिका आंदोलन और युवा की भूमिका का विमोचन राजेन्द्र यादव द्वारा तथा शीतल शेटे द्वारा लिखित ‘राम की शक्तिपूजा एवं रुद्रावतार’ का विमोचन पंकज बिष्ट द्वारा किया गया। इस मौके पर रामप्रसाद शर्मा ‘महर्षि’ द्वारा लिखित पुस्तक ‘ग़ज़ल और ग़ज़ल की तकनीक’ का भी विमोचन संयुक्त रूप से किया गया। उल्लेखनीय है कि इन दोनों पुस्तकों का विमोचन क्रमश: श्री खगेंद्र ठाकुर और श्रीमती विमलेश्वरी सहाय द्वारा किया जाना था लेकिन कतिपय कारणों से वे आयोजन में न आ सके।
विमोचन समारोह के बाद आयोजित विचार-गोष्ठी ‘लघु के राग और विचार की आधी सदी’ पर बोलते हुए हिन्दी के वरिष्ठ कथाकार एवं हंस के सम्पादक राजेन्द्र यादव ने कहा कि ‘आज लघु पत्रिका को सीधे-सीधे चिन्हि्त करना बेहद कठिन है क्योंकि अब सारी पत्रिकाएं ढाई-तीन सौ से पांच सौ पृष्ठों की निकल रही हैं। पहले कागज के जुगाड़ में बहुत सारा समय लगता था और इसे ही एक बड़ी उपलब्धि माना जाता था। तब संपादक झोला लटकाए रचना और साधन का सहयोग पाने के लिए घूमा करता था जबकि आज पत्रिकाओं के कागज की गुणवत्ता ही ऐसी है कि मैं हंस के कवर के लिए भी ऐसा कागज नहीं लगा पाता। समय के साथ सारी पत्रिकाएं दलित और स्त्री-विमर्श को तरज़ीह दे रही हैं वरना उनके पिछड़ जाने का खतरा है। ‘हंस’ भी एक लघु पत्रिका है जिसने समकालीन मुद्दों को उठाया।’
‘समयांतर’ के सम्पादक और वरिष्ठ कथाकार पंकज बिष्ट ने कहा कि ”लघु पत्रिका हमेशा सत्ता के खिलाफ़ आवाज़ उठाती है। जिस पत्रिका में यह शक्ति नहीं होती वह लघु पत्रिका की श्रेणी में नहीं आ सकती।”
बली सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि घरानों या संस्थानों से नहीं, पत्रिका का चरित्र सम्पादकों के सरोकारों से तय होता है। उन्होंने ‘युवा’ की सांस्कृतिक भूमिका को रेखांकित करते हुए उद्भ्रांत की भूमिका की सराहना की। उन्होंने शीतल शेटे की आलोचना-पुस्तक ‘राम की शक्तिपूजा एवं रुद्रावतार’ की चर्चा करते हुए कहा कि यह बेहद पठनीय पुस्तक है और इस दौर में मिथकीय कविता की वापसी का संकेत करती है।”
हेमंत जोशी ने इस अवसर पर सवाल उठाया कि ”इस बीच पुराने समय की याद करने का चलन जोर पकड़ रहा है। क्या यह इस बात का संकेत है कि अब उतने तीव्र और समकालीनताधर्मी आंदोलन नहीं हैं?”
दूरदर्शन में अधिकारी श्री धीरंजन मालवे ने उद्भ्रांत की कविता ‘रुद्रावतार’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि ”यह कविता समकालीन दौर का एक महत्तवपूर्ण दस्तावेज़ है। हम अपने पूर्ववर्ती रचनाकारों को महान मान लेते हैं लेकिन मौजूदा रचनाकर्मी की महत्ता को स्वीकारने में संकोच करते हैं।”
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. नामवर सिंह ने उद्भ्रांत की कविताओं के बहाने कवि की चर्चा में कहा कि ”वे अपनी बेबाकी में रिश्ता निभाने की औपचारिकता का हमेशा अतिक्रमण करते रहे हैं। उन्होंने आज के दौर की महत्तवपूर्ण पत्रिकाओं में ‘समयांतर’ की भूमिका को महत्तवपूर्ण मानते हुए उसे साहित्य समाज के पहरेदार की संज्ञा दी।”
इससे पहले कवि उद्भ्रांत ने स्पष्ट किया कि ”उनकी कविताओं की व्यंजना की शक्ति की लगातार अनदेखी की जाती रही है। उन्होंने आज की आलोचना के पूर्वग्रहों के प्रति घोर असहमति जाहिर की।”
दूरदर्शन की समाचार वाचिका श्रीमती मंजरी जोशी ने उद्भ्रांत जी की तीन कविताओं ‘हंसो बतर्ज रघुवीर सहाय’, ‘स्वाहा’ और ‘कविता के विरुध्द’ का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार और लेखक सुरेश शर्मा ने किया।
Hello. Great job. I did not expect this on a Wednesday. This is a great story. Thanks!
Bereken zelf uw hypotheek. Hypotheek berekenen? Maak snel een indicatieve berekening van het maximale leenbedrag van uw hypotheek.
I am sure your RSS feed option is here somewhere and its just me being blind, but where is it lol
Keep working ,great job!
Everything you said is true, but there are many upsides. Like, you can’t be fired.