बापू हम शर्मिंदा हैं-तेरे कातिल जि़ंदा हैं

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– तनवीर जाफरी –


अहिंसा परमो धर्म:’ को अपने जीवन का आदर्श मानने वाले तथा समूचे विश्व को सत्य व अहिंसा की सीख देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनकी पुण्य तिथि 30 जनवरी को पूरा देश उन्हें मौन श्रद्धांजलि देकर याद करता आ रहा है। महात्मा गांधी भारत के एक ऐसे अद्वितीय नेता थे जिनका पूरे विश्व में सम्मान किया जाता है। मार्टिन लूथर किंग,नेल्सन मंडेला व बराक ओबामा जैसे विश्व के कई महान नेता महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानते रहे हैं। अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए महात्मा गांधी ने अफ्रीका से लेकर भारतवर्ष तक अंग्रेज़ों के पसीने छुड़ा दिए थे। परंतु हमारे देश की संकुचित, स्वार्थपूर्ण तथा सांप्रदायिकतावादी राजनीति ने हमारे ही देश में महात्मा गांधी के चंद ऐसे दुश्मन पैदा कर दिए जिन्हें विश्व स्तर पर लोकप्रियता प्राप्त करने वाला यही नेता अपना दुश्मन नज़र आता है। यही वजह है कि भले ही दुनिया के दूसरे देशों से गांधी की प्रतिमाएं लगाने,उनके तैल चित्र का अनावरण करने,महात्मा गांधी पर शोध करने,उनके नाम के संग्रहालय खोलने या उनके जीवन पर सेमिनार आदि आयोजित करने के समाचार क्यों न प्राप्त होते हों,परंतु हमारे देश में कभी गांधी जी की प्रतिमा पर कालिख पोतने,उनकी प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने,प्रतिमा या चित्र के साथ अपमानजनक तरीके से पेश आने जैसे समाचार प्राप्त होते रहते हैं।

गत् 30 जनवरी को तो उस समय महात्मा गांधी से नफरत करने वालों ने इंतेहा ही कर दी। जबकि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में भगवा वस्त्र धारण किए 7-8 लोगों ने एक स्थान पर इक_े होकर महात्मा गंाधी का एक पुतला बनाया। तत्पश्चात मीडिया को आमंत्रित कर उस पुतले पर गांधी जी का आदमक़द चित्र लगाकर एक भगवाधारी महिला द्वारा उस पर एक गोली दागी गई। इसके पश्चात उस महिला के सहयोगी ने भी गांधी के चित्र पर गोलियां दागीं। चित्र के पीछे लाल रंग के द्रव्य से भरा गुब्बारा गोली से फोड़ा गया जिसे गांधी जी का रक्त निकलने का प्रतीक माना गया। इस प्रकार का शर्मनाक कृत्य करने वालों ने ‘महात्मा नाथू राम गोडसे अमर रहे’ और ‘गांधी मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। इन चंद लोगों ने मीडिया को यह भी बताया कि यह महात्मा गांधी की हत्या को प्रतीकात्मक रूप से दोहराया जा रहा है। इन आसामाजिक तत्वों ने गांधी के बलिदान दिवस को शौर्य दिवस का नाम दिया और हत्यारे नाथू राम गोडसे की तस्वीर पर पुष्प चढ़ाए तथा मिष्ठान वितरित किया। गांधी के पुतले को गोली मारने के बाद उसपर तेल छिडक़ कर जला भी दिया गया। पुतला दहन के समय यह असामाजिक तत्व गांधी जी के विरुद्ध व गोडसे के पक्ष में नारेबाज़ी करते रहे। गांधी जी की हत्या का दृश्य दोहराने वालों ने यह भी कहा कि यह सिलसिला अब प्रत्येक वर्ष जारी रहेगा।

इसके पूर्व नवंबर 2017 में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में शहर के बीचोबीच गांधी चौक पर लगी गांधी की प्रतिमा की लाठी उपद्रवियों द्वारा तोड़ दी गई थी। इतना ही नहीं बल्कि प्रतिमा के मुंह पर काला कपड़ा भी लपेट दिया गया था। 2018 में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में भी महात्मा गांधी की प्रतिमा तोड़ी गई थी। इसके कुछ ही दिन बाद विशाखापट्नम के मधुरवाड़ा में भी गांधी जी की मूर्ति क्षतिग्रस्त की गई। केरल के कन्नूर के थालिपरंबा में कुछ अज्ञात लोगों ने गांधी जी की प्रतिमा का चश्मा तोड़ दिया था। अक्तूबर 2017 में तो गांधी के हत्यारे की विचारधारा रखने वालों ने मध्यप्रदेश के मुरैना के जोरा थाना क्षेत्र में लगी गांधी की प्रतिमा को आग के हवाले कर दिया था जिससे प्रतिमा का सिर व चश्मा जल गया था। गत् वर्ष अप्रैल माह में राजस्थान के राजसमंद के नाथद्वार में बापू की प्रतिमा क्षतिग्रस्त कर दी गई थी। राजसमंद में तो हथौड़े मारकर गांधी की प्रतिमा का सिर ही प्रतिमा से तोडक़र अलग कर दिया गया था। गांधी जी से दुश्मनी दर्शाने वाले ऐसे समाचार दुर्भाग्यवश भारतवर्ष से ही आते रहते हैं। परंतु यह कहना भी गलत नहीं होगा कि गांधी विरोध के इस सिलसिले ने 2014 के बाद कुछ ज़्यादी ही ज़ोर पकड़ लिया है। भारतवर्ष में कुछ स्थानों पर तो गोडसे समर्थकों ने बाकायदा अपने कार्यालय में हत्यारे गोडसे की प्रतिमा या उसका चित्र तक स्थापित कर रखा है और इन जगहों पर सार्वजनिक रूप से महात्मा गांधी को अपमानित किया जाता है और नाथूराम गोडसे को महिमामंडित किया जाता है।

हालांकि वर्तमान केंद्र सरकार महात्मा गांधी को सम्मान देने की पूरी कोशिश करते हुए दिखाई देती है। कभी स्वच्छ भारत मिशन में गांधी के चश्मे का इस्तेमाल कर तो कभी नई भारतीय करंसी में पुन: गांधी जी के चित्र प्रकाशित कराकर यह साबित करना चाहती है कि सरकार गांधी को विगत् सरकारों की ही तरह अपना भी आदर्श मानती है। परंतु यह भी एक कड़वा सच है कि इसी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कई जि़म्मेदार मंत्री व नेता गांधी जी के बारे में समय-समय पर अभद्र व अपमानजनक टिप्पणीयां करते आए हैं। कई बार टेलीविज़न पर होने वाली बहस के दौरान इन्हीं दक्षिणपंथी नेताओं द्वारा नाथू राम गोडसे को ‘गोडसे जी’ कहकर संबोधित किया जाता रहा है। आज आप किसी भी दक्षिणपंथी विचारधारा रखने वाले व्यक्ति से बात करें तो वह देश के विभाजन के लिए गांधी जी को जि़म्मेदार बताकर उनका विरोध करता दिखाई देता है। गांधी जी बंटवारे के समय होने वाली सांप्रदायिक हिंसा के सख्त िखलाफ थे और उस समय देश में चारों ओर फैली सांप्रदायिक हिंसा को लेकर अत्यंत दु:खी भी थे। उन्होंने विभाजन के समय हो रही इस सांप्रदायिक हिंसा के विरुद्ध अनशन भी किए। परंतु धर्म की राजनीति करने वालों को गांधीजी का दो धर्मों के लोगों के मध्य शांति और सद्भाव के साथ रहने व अहिंसा के मार्ग पर चलने का यह फार्मूला रास नहीं आ रहा था। ऐसी ही विचारधारा के लोग महात्मा गांधी के उस समय भी िखलाफ थे आज भी हैं और यदि उनके बच्चों के संस्कार व शिक्षा यही रही तो भविष्य में भी ज़रूर िखलाफ रहेंगे।

परंतु गांधी जी की मुखालिफ़त के संदर्भ में कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें उन उपद्रवियों से ज़रूर पूछा जाना चाहिए। सबसे पहला सवाल तो यह कि गांधी विरोध व गोडसे प्रेम का झंडा उठाने वाले क्या यह बता सकते हैं कि उनके पूर्वजों ने गांधी जी की तुलना में देश की आज़ादी के लिए स्वयं कितना संघर्ष किया व उनकी स्वतंत्रता आंदोलन में क्या भूमिका थी? उस समय इन उपद्रवियों के पूर्वजों की हैसियत गांधी जी के मुकाबले क्या थी? जिस गांधी से वे इतने दु:खी हैं कि आज गोली मार कर उनकी हत्या का दृश्य दोहरा रहे हैं क्या वे गांधी जी जैसे अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता हासिल करने वाले किसी दूसरे अपने आदर्श नेता का नाम भी जानते हें? जो लोग गांधी को अपमानित करते रहे हैं क्या वे अपनी जेबों में गांधी के चित्र वाली करेंसी अपनी छाती से लगाकर नहीं रखते? गांधी का अपमान करने की कोशिश करने वाले क्या यह महसूस नहीं करते कि उनकी इस ओछी व छिछोरी हरकत से दुनिया के वह देश जो गांधी का सम्मान करते हैं,आिखर क्या सोचेंगे? मु_ीभर लोग जो मीडिया में शोहरत की खातिर इस प्रकार का नाटक करते रहते हैं क्या कभी उन्होंने अपनी शिक्षा व दीक्षा की तुलना महात्मा गांधी की शिक्षा-दीक्षा से की है? क्या ऐसे छिछोरे लोग अपने-आप को मार्टिन लूथर किंग,नेलसन मंडेला, बराक ओबामा व इस प्रकार के और भी कई महान नेताओं से अधिक बुद्धिमान समझते हैं? वास्तव में ऐसे तत्वों को एक विशेष विचारधारा का संरक्षण प्राप्त है अन्यथा ऐसे लोगों के विरुद्ध ऐसी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जिससे कोई दूसरा व्यक्ति इस प्रकार के कारनामे दोहरा न सके। पूरा देश ऐसे गांधी दुश्मनों की ओछी हरकतों पर निश्चित रूप से शर्मिंदा है।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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