बाइसवीं कहानी – : सच का सामना

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 लेखक  म्रदुल कपिल  कि कृति ” चीनी कितने चम्मच  ”  पुस्तक की सभी कहानियां आई एन वी सी न्यूज़ पर सिलसिलेवार प्रकाशित होंगी l

-चीनी कितने चम्मच पुस्तक की बाइसवीं कहानी –

____  सच का सामना ____

mradul-kapil-story-by-mradul-kapil-articles-by-mradul-kapilmradul-kapil111भाग 1दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे ,और सबसे अच्छे दोस्त भी । एक दूसरे के सुख दुःख समझते थे।
उनकी खुद की अपनी अपनी जिम्मेदारियां थी , जिन्हें निभाते हुए वो अपने लिए चंद पल तलाशते थे। दोनों अपनी सीमाएं जानते थे , इस लिए कभी अपनी भवनाओं को शब्द नही दिए। पर लड़की चाहती थी कभी लड़का कुछ तो बोले जो वो उसके लिए सोचता है।
लड़का कभी कुछ कह नही पाया और लड़की वो सुन नही पाई जो वो सुनना चाहती थी और
जिंदगी …… जिंदगी अपनी रफ्तार से चलती रही।एक शाम लड़के का फोन बजा , स्क्रीन पर लिख कर आये नाम को देख कर लड़के के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी। लड़की का फोन था।” हैल्लो ! कंहा हो चार दिन से ….? पता है कितनी बाते करनी है तुम से ? ” लडके ने फोन उठाते ही बोला .
” हैल्लो ! यंही हूँ , थोडा बिजी थी इस लिए बात नही कर पायी। तुम्हे कुछ बताना था इस लिए कॉल की। ” लड़की ने शांत स्वर में बोला।
लड़का ” हाँ ! बोल न क्या बात है .?”
लड़की ” यार मुझे कोई पसंद आ गया है , मेरे ऑफिस में ही है मेरी ही टीम में , मुम्बुई से ट्रांसफर हो कर आया है। ” लड़की लगातार बोले जा रही थी ” उसकी बाते , उसका अंदाज सब औरो से हट कर है , स्मार्ट और समझदार . पहली बार कोई है जिसे देख कर मुझे प्यार आया है , हम लंच भी साथ में ही करते है , तुम बताओ मुझे क्या करना चाहिए ? आखिर तुम मेरे सब से अच्छे दोस्त हो ? ”

लड़का , ” अरे वाह ! ” वो डूबती सी आवाज में बोला , ” अच्छी बात है न ? ” लडके ने जैसे खुद से सवाल किया और बात पूरी करते करते डाक्टरों की सख्त हिदायद के बाद भी कुछ महीनों पहले बंद हो चुकी सिगरेट लड़के होंठो पर जा लगी। और उसने लड़की के ऑफिस में मुंबई से आये उस अनदेखे इंसान से खुद की तुलना शुरू कर दी।

लड़की ” ये गलत तो नही है न ..?” तुम क्या चाहते हो .?” लडकी ने अपनी आवाज में आती नमी को रोकते हुए पूछा।

लड़के ने सिगरेट का एक बड़ा सा कश खिंचा और और धुएं के साथ साथ अपना वजूद भी शून्य में मिलाता हुआ बोला ” गलत क्या है ? तुम भी इंसान हो .. तुम्हारी भी फीलिंग है .हो जाता है ..! ” एक पल के लिए लड़के को लगा की वो खुद की अर्थी में कंधा दे रहा हो। ” अगर तुम्हे पसंद है तो उस से बात करो ”

लड़की , ” ठीक है ! कुछ बात होगी तो बताती हूँ। ‘ बाय।

लड़का ” बा…..य !

फोन कट चूका था , अब था तो दिन के उजाले को खुद में विलीन कर चूका अँधेरा , सिगरेट का कसैला धुंवा , अंधरे में खुद के आंसू रोकने की नाकाम कोशिश करता एक लड़का और हवा में लटका एक ” बाय ” ……
जारी है .

भाग 2

शाम रात में बदली और रात दिन से गुजरती हुयी फिर से आ गयी थी , और इन बीते 28 घंटे और 24 मिनट में लड़के की जिंदगी में काफी कुछ बदल चूका था , उसने खुद से न जाने कितनी बार लड़की को call मिलायी थी पर क्या बोलेगा ये न समझ पाने की वजह से खुद ही फोन काट दिया था . लड़के ने अपने मोबाईल पर लड़की का हर मैसेज और तस्वीर संजो कर रखा था  और न जाने  कल से आज तक कितनी बार वो संदेश देखे थे , और उसकी तस्वीरो को निहारा था .

वो दोनों इतने पास थे की  लड़के को कभी लगा ही नही था उसे लड़की से कुछ बोलने की जरूरत है . लड़की तो उसकी हर धड़कन से परचित  थी , क्या वो इतने दिन में ये नही समझ पायी थी वो उसकी जिंदगी का वह  हिस्सा है  जो बेनाम हो कर  भी उसके ज़ीने की अहम वजह है , वजह है सपने देखने की.  लड़का जानता था की लड़की उस से इस बात से  नाराज रहती है कि वो लड़की को टाइम नही दे पाता , की उसके पास है उसके चाहने वालो की भीड़ , लेकिन लड़की  भूल जाती  थी की जो नजरो के सबसे ज्यादा पास होता है उसका  अश्क  धुंधला जाता है . लड़के के  पास भले ही भीड़ हो पर दिल के पास तो वो ही थी न ? ( कभी कभी हम किसी इंसान को जिस वजह से पसंद करते है एक वक्त के बाद वही वजहे हमारे  बीच में दुरी लाने लगती है ) .

एक  सच्चे प्यार करने वाले के लिए सबसे बड़ी सजा है उनके बीच तीसरे के वजूद का होना , और ये तब सजा तब घुटन बन जाती है जब आप का प्यार ही अपने प्यार के लिए आप से सलाह मांग रहा हो . इसी घुटन और जलन से गुजरते  लड़के के whtsapp की धीमी सी घंटी बजी . लकड़े ने अनमने भाव से अंधरे में चमक रही मोबाईल स्क्रीन पर नजर डाली लड़की का ही whtsapp था . दर्द की महीन लकीर लिए मुस्कान लड़के के लबो पर आ कर गुम  हो गयी .

लडकी “ Hi ! “

लड़का , “ hello “

लडकी   “  तुम्हे कुछ बताना था ,”  साथ में मुस्कान वाली स्माइली भी आई .

लड़का  “ हा बताओं न   ..? “  लड़के की सांसे एक बार फिर थम  सी गयी थी

लड़की , “ वो मैंने जो तुम से बात बोली थीं न  …. किसी के अच्छे लगने वाली …

लड़का “ हाँ …… तो   ???

( लड़की के  रिप्लाई आने में एक मिनट और 5 सेकंड लगे और और इन 65 सेकंड में लड़का 65 बार मर के जिया था .)

लड़की , “ वो बात झूठ थी .. ऐसा कुछ नही है “

“ वो बात झूठ थी .. ऐसा कुछ नही है “ ये 8 शब्द लड़के के लिए उस आक्सीजन की तरह थे जिसने उसकी टूटती सांसो जोड़ लिया था .

लड़का . “    ……………………………………   मतलब “

लड़की “ मै बस ये देखना चाहती थी ये बात सुन कर तुम्हे कैसे लगता है  …तुम्हरा “ सच से सामना “ करवा रही थी ,    तुम तो बहुत खुश हुए थे  न की मै तुम्हे छोड़ कर चली जाऊँ  ?

लड़का , “ तुम पागल हो क्या  ?

लड़की  , “वो प्यार ही क्या हुआ….जिसमे इंसान  ‘पागल न हुआ….

लड़का  , “ झूठ न बोला करो  मुझे बुरा लगता है  ..

लड़की , “  ….. तो बात करू उस मुंबई वाले से   ? इस बार दिल की स्माइली थी

लड़का , “   सुनो एक बात ? “

लड़की “ हाँ बोलो न ? “

लड़के के  हाथ कुछ कांप से गए , लब हिले और

लड़का   “ I LOVE YOU .

लड़की  “ बुद्धू  पहले नही  बोल सकते थे   ..? I LOVE YOU 2 “

लड़का जान गया था की प्यार के लिए  इजहार भी बहुत जरुरी है .

                                                                             —————

mradul-kapilwriter-mradul-kapilmradul-kapil-writer-author-mradul-kapilmradul-kapil-invc-news-mradul-kapil-story111परिचय – :

म्रदुल कपिल

लेखक व् विचारक

18 जुलाई 1989 को जब मैंने रायबरेली ( उत्तर प्रदेश ) एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ तो तब  दुनियां भी शायद हम जैसी मासूम रही होगी . वक्त के साथ साथ मेरी और दुनियां दोनों की मासूमियत गुम होती गयी . और मै जैसी दुनियां  देखता गया उसे वैसे ही अपने अफ्फाजो में ढालता गया .  ग्रेजुएशन , मैनेजमेंट , वकालत पढने के साथ के साथ साथ छोटी बड़ी कम्पनियों के ख्वाब भी अपने बैग में भर कर बेचता रहा . अब पिछले कुछ सालो से एक बड़ी  हाऊसिंग  कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर हूँ . और  अब भी ख्वाबो का कारोबार कर रहा हूँ . अपने कैरियर की शुरुवात देश की राजधानी से करने के बाद अब माँ –पापा के साथ स्थायी डेरा बसेरा कानपुर में है l

पढाई , रोजी रोजगार , प्यार परिवार के बीच कब कलमघसीटा ( लेखक ) बन बैठा यकीं जानिए खुद को भी नही पता . लिखना मेरे लिए जरिया  है खुद से मिलने का . शुरुवात शौकिया तौर पर फेसबुकिया लेखक  के रूप में हुयी , लोग पसंद करते रहे , कुछ पाठक ( हम तो सच्ची  ही मानेगे ) तारीफ भी करते रहे , और फेसबुक से शुरू हुआ लेखन का  सफर ब्लाग , इ-पत्रिकाओ और प्रिंट पत्रिकाओ ,समाचारपत्रो ,  वेबसाइट्स से होता हुआ मेरी “ पहली पुस्तक “तक  आ पहुंचा है . और हाँ ! इस दौरान कुछ सम्मान और पुरुस्कार  भी मिल गए . पर सब से पड़ा सम्मान मिला आप पाठको  अपार स्नेह और प्रोत्साहन . “ जिस्म की बात नही है “ की हर कहानी आपकी जिंदगी का हिस्सा है . इसका  हर पात्र , हर घटना जुडी हुयी है आपकी जिंदगी की किसी देखी अनदेखी  डोर से . “ जिस्म की बात नही है “ की 24 कहनियाँ आयाम है हमारी 24 घंटे अनवरत चलती  जिंदगी का .

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