बदहाली-ए-पाकिस्तान : ‘चोर गया और डाकू आया’**

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तनवीर जाफ़री**,,

इस आलेख के शीर्षक में दिए गए शब्द दरअसल मेरे अपने नहीं हैं बल्कि यह उस कार्टून की एक पंक्ति है जो कि इन दिनों पाकिस्तान में बेहद प्रचलित हो रहा है. पिछले दिनों मेरे एक पाकिस्तान के पत्रकार मित्र ने फेस बुक के माध्यम से मुझे यह कार्टून प्रेषित किया. यह कार्टून व इसमें लिखी गई पंक्तियां पाकिस्तान के ही कार्टूनिस्ट के माध्यम से वहां की आम जनता के जज़्बातों का इज़हार करती हैं तथा पाकिस्तान की वर्तमान राजनीति को प्रतिबिंबित करती हैं.

पंजाबी भाषा के उर्दू में लिपिबद्ध किए गए इस कार्टून की पंक्तियां हैं-‘खोते नाल खोता वटाया-गिलानी गया राजा आया.’, ‘चोर गया तो डाकू आया-ए है पाकिस्तान दा सरमाया.’ ‘दस्सो असी की कमाया-बस खोते नाल खोता वटाया’? हिंदी भाषा में इस का अनुवाद यही है कि गधे के बदले गधा पाया. गिलानी गया राजा आया. चोर गया और डाकू आया. यह है पाकिस्तान का सरमाया. बताओ हमने क्या कमाया. बस गधे के बदले गधा पाया. पाकिस्तान की निम्नस्तरीय राजनीति तथा वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए उपरोक्त चार पंक्तियां ही पर्याप्त हैं.

निश्चित रूप से इन दिनों पाकिस्तान की राजनीति की जो सूरत-ए-हाल है वह वास्तव में कुछ इसी प्रकार की है. गत् 19 जून को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक निर्णय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी को अदालत की अवमानना के मामले में प्रधानमंत्री के पद पर बने रहने के अयोग्य करार दे दिया. अदालत ने गिलानी के विरुद्ध यह फैसला इसलिए सुनाया क्योंकि उन्होंने अदालती आदेश के बावजूद राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के विरुद्ध जांच करने हेतु स्विस बैंक के अधिकारियों को पत्र नहीं लिखा. यह प्रकरण अपने-आप में ही एक निराला व खुलेआम भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाला प्रकरण है.

मौजूदा पाक राष्ट्रपति ज़रदारी जोकि भ्रष्टाचार के मामले में जनरल परवेज़ मुशर्रफ के शासनकाल में जेल भी जा चुके हैं का स्विस बैंक में अकूत धन जमा है. गौरतलब है कि यह वही माननीय राष्ट्रपति हैं जिन्हें कि इनकी पत्नी स्वर्गीय बेनज़ीर भुट्टो के प्रधानमंत्रित्व काल में तत्कालीन शासन के कमीशन एजेंट के रूप में जाना जाता था और पाकिस्तान में इनकी शोहरत ‘मिस्टर टेन पर्सेंट’ के नाम से थी. परंतु बेगम भुट्टो की हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर ने ‘मिस्टर टेन पर्सेंट’ को देश के राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचा दिया.

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के दूसरे वफादार नेता तथा भुट्टो परिवार के सबसे भरोसेमंद समझे जाने वाले युसुफ रज़ा गिलानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुन लिए गए. अब यह कैसे संभव है कि गिलानी अदालत का आदेश मानते हुए अपने ‘आका’ के विरुद्ध किसी प्रकार का मामला खोलने हेतु स्विस अधिकारियों को पत्र लिखें. उन्होंने भुट्टो ज़रदारी परिवार के प्रति वफादारी का हक अदा करने की बात सार्वजनिक रूप से कहने के बजाए पाकिस्तान के राष्ट्रपति पद की गरिमा तथा उसके सर्वोच्च सम्मान का वास्ता देते हुए ऐसा करने से इंकार कर दिया.

लेकिन अदालत ने उनके इस तर्क को खारिज करते हुए उन्हें प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के अयोग्य $करार दे दिया. गोया कायदा-कानून,न्याय आदि इन सब पर वफादारी हावी होती दिखाई दी और गिलानी बड़ी आसानी से कुर्बानी का बकरा बनने को तैयार हो गए. गिलानी के त्यागपत्र के बाद पीपीपी ने अपने एक और मंत्री मखदूम शहाबुद्दीन का नाम गिलानी के उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तावित किया. मखदूम शहाबुद्दीन का नाम प्रधानमंत्री पद हेतु मीडिया में आने के चंद घंटों के बाद ही रावलपिंडी की एक अदालत ने मखदूम शहाबुद्दीन व युसु$फ रज़ा गिलानी के पुत्र के विरुद्ध एक लंबित मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया.

शहाबुद्दीन पर आरोप था कि इन्होंने स्वास्थय मंत्री के पद पर रहते हुए तथा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए एक निजी दवा निर्माता कंपनी को निर्धारित कोटे से अधिक दवा की आपूर्ति किए जाने में इस कंपनी की सहायता की थी. इस मामले में गिलानी के पुत्र की भी अहम भूमिका थी. गौरतलब है कि रावलपिंडी की अदालत ने स्वास्थय मंत्रालय के ही एक अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराए गए सुबूतों के आधार पर इनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने जैसी गंभीर कार्रवाई की थी.

मखद्दुम शाह के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद सत्तारुढ़ पीपीपी के सामने एक और प्रधानमंत्री चुने जाने के लिए पुन: संकट की स्थिति पैदा हो गई. आखिरकार पार्टी ने राष्ट्रपति ज़रदारी की सहमति से अपने एक और मंत्री राजा परवेज़ अशरफ का नाम प्रस्तावित किया तथा उन्हीं को प्रधानमंत्री पद का कार्यभार भी सौंप दिया. अब ज़रा राजा परवेज़ अशरफ के ताज़ातरीन राजनैतिक चरित्र पर भी गौर फरमाईए.

पीपीपी के सत्ता में आने के बाद 31 मार्च, 2008 को अशरफ को गिलानी मंत्रिमंडल में विद्युत मंत्री बनाया गया था. विद्युत मंत्री रहते हुए इन्होंने बिजली परियोजनाओं को निजी कंपनियों को किराए पर देने की नीति लागू की. इस नीति को रेंटल पॉवर प्रोजेक्ट पॉलिसी का नाम दिया गया. इस नीति को लागू करने के दौरान डेढ़ अरब डॉलर का भारी-भरकम घोटाला प्रकाश में आया. इस घोटाले की पूरी जि़म्मेदारी राजा अशरफ पर ही डाली गई. उन्हें विद्युतमंत्री के पद से त्यागपत्र देना पड़ा. परंतु बाद में उन्हें पुन: सूचना व तकनीकी विभाग का मंत्रालय सौंप दिया गया.

भ्रष्ट मंत्रियों के इस प्रकार के मात्र पद परिवर्तन से साफ ज़ाहिर होता है कि क्या ज़रदारी तो क्या गिलानी अथवा राजा अशरफ अथवा मखदूम शाह जैसे पाक लोकतंत्र के भ्रष्ट रहनुमा कोई भी एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते. बजाए इसके यह सभी एक-दूसरे के सहायक व सहयोगी नज़र आते हैं. ज़ाहिर है पाकिस्तान की अवाम लोकतंत्र के ऐसे पहरेदारों को सत्ता पर काबिज़ होता देखकर स्वयं को ठगा हुआ सा ही महसूस करती है. ऐसे में यदि कोई कार्टूनिस्ट इन राजनीतिज्ञों की तुलना गधे, चोर या डाकू के साथ करे तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

पाकिस्तान में केवल लोकतांत्रिक व्यवस्था ही भ्रष्टाचार में डूबी है तथा वहां की न्याययिक व्यवस्था या सेना साफ-सुथरी व भ्रष्टाचार मुक्त है. पाकिस्तान में कई न्यायाधीशों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. पक्षपातपूर्ण फैसलों के लिए भी पाक न्याय प्रणाली बदनाम रही है. यहां तक कि पिछले दिनों मौजूदा मुख्य न्यायधीश इफ्तिखार चौधरी के पुत्र पर भी पाकिस्तान के एक बड़े व्यापारी से फायदा लेने जैसा गंभीर आरोप लगा है. इन दिनों चर्चा तो यहां तक है कि मौजूदा लोकतांत्रिक सरकार के विरुद्ध पाकिस्तान की अदालत द्वारा जो भी फैसले सुनाए जा रहे हैं उसके पीछे भी एक बड़ी साजि़श काम कर रही है.

इस साजि़श के मुख्य पात्र के रूप में पाकिस्तानी सेना तथा पाक न्यायिक व्यवस्था की मिलीभगत बताई जा रही है. खबरें तो यह भी हैं कि पाकिस्तान न्यायालय तथा सेना व आईएसआई मिलकर पाकिस्तान की वर्तमान लोकतांत्रिक सरकार को अस्थिर करना चाह रही हैं तथा एक नए विकल्प के रूप में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की पिछले दरवाज़े से सहायता कर रही हैं. पाक सेना व आईएसआई ऐसा इसलिए करना चाह रही हैं ताकि यदि उसने पाकिस्तान में सैन्य तख्ता पलट नहीं भी किया तो पाकिस्तान की सत्ता पर भविष्य में उसकी मर्ज़ी की लोकतांत्रिक सरकार बन सके व निर्वाचित सरकार पर उसकी पकड़ मज़बूत रह सके.

जहां तक पाकिस्तान के नेताओं के भ्रष्ट आचरण का सवाल है तो केवल यही चंद नाम ऐसे नहीं हैं जिन्हें भ्रष्ट कहा जा सके. बल्कि पाकिस्तान के दर्जनों मंत्री ऐसे हैं जिनकी भ्रष्टाचार की काली कमाई न केवल विदेशी बैंकों में जमा है बल्कि उनके यह काले धन अमेरिका व ब्रिटेन के बड़े-बड़े जुआख़ानों व सट्टे के कारोबार में भी लगे हुए हैं. परंतु स्वयं को पाकिस्तान का रक्षक, वहां की जनता का सेवक व रहनुमा बताने के लिए यह सफेदपोश पाक नेता पाकिस्तान की जनता को हमेशा कौम के स्वाभिमान व अस्तित्व का वास्ता देते रहते हैं. कभी उन्हें कश्मीर के नाम पर भावनात्मक रूप से उकसाते हैं तो कभी भारतीय सेना का खौफ दिखाकर भारत के विरुद्ध भडक़ाते हैं. और इन दिनों तो अमेरिका तथा अपने ही पाले-पोसे हुए आतंकवाद का ही भय दिखाना पाक अवाम के लिए काफी है.

अभी गत् 27 जून को ही पाकिस्तान का एक पूर्व मंत्री व अवामी मुस्लिम लीग का मौजूदा प्रमुख शेख रशीद अमेरिकी अधिकारियों द्वारा ह्यूस्टन हवाई अड्डे पर 5 घंटे तक हिरासत में रखा गया. उस पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तोएबा तथा हाफिज़ सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा से संबंध होने के आरोप था. परंतु पाकिस्तानी दूतावास की दखलअंदाज़ी व पाक अधिकारियों की मिन्नत-आरज़ू के बाद उसे रिहा कर दिया गया. उपरोक्त सभी परिस्थितियां यहां तक कि पाक सेना में भी बड़े पैमाने पर फैला भ्रष्टाचार इस नतीजे पर पहुंच पाने के लिए काफी है कि पाकिस्तान बदहाली के दौर से गुज़र रहा है. और वहां की असहाय अवाम बेकस व लाचार होकर यह सब कुछ होते हुए देखने के लिए मजबूर है.

**Tanveer Jafri ( columnist),(About the Author) Author  Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost  writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
(Email : tanveerjafriamb@gmail.com)

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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC

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