जिले की शस्त्र दुकानों पर बंदूक जमा करने का कोटा खत्म हो गया है। अब शस्त्रधारियों को क्षेत्रीय थाने में ही बंदूक जमा करनी होगी। हालांकि लायसेंस धारकों ने थानों से दूरी बना रखी है।
कोहेफिजा निवासी दिनेश राव का कहना है कि थानों में शस्त्रों को खुले में पटक दिया जाता है। वहीं आचार संहिता के दौरान बंदूक देखने भी नहीं दी जाती। जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि हमारे शस्त्र को किस प्रकार रखा है। श्री राव ने कहा, पहले तो बंदूक महंगी होती है, दूसरा इसका मैंटेनेंस किया तो ठीक नहीं तो खराब हो जाती है। इसी प्रकार एक अग्रणी कंपनी में बिजनेस मैनेजर के तौर पर कार्यरत एमपी नगर निवासी मधु सक्सेना बताती हैं। थानों में शास्त्र को रखने की किसी प्रकार की कोई व्यवस्था ही नहीं है। जिस बंदूक को वह दिलों जान से संभालकर रखती हैं, वह थाने में किसी कोने में पटक दी जाती है।
-जिले की स्थिति
जिले में 11 हजार से अधिक बंदूक धारक हैं। शहर में रहने वालों की संख्या अधिक है। वहीं शहर में कुल 12 गन हाउस हैं। प्रत्येक दुकान के पास 170 बंदूके रखने का कोटा है। यहां कुल 2100 बंदूकें जमा हो सकती हैं। इनमें से कुछ दुकान संचालकों के पास पहले से ही बंदूकें जमा है। ऐसे में इनका पहले से ही कोटा पूरा हो गया है।
-कोटा होने से परेशानी
जिले की सभी शस्त्र दुकानों का कोटा निर्धारित किया गया है। इससे बंदूक रखने वालों को परेशानी हो रही है। प्रत्येक दुकान पर 70 रायफल, 60 बारा बोर, 30 रिवाल्वर पिस्टल व 10 एमएल गन का कोटा शामिल है। एक दुकान पर 170 बंदूकें जमा की जा सकती हैं। भोपाल गन हाउस के अतीम मोहम्मद खान कहते हैं, कोटा आदेश जारी के एक दो दिन के भीतर ही खत्म हो गया है। अब दुकानें जमा करने आने वाले को मना करना पड़ रहा है। जिले में अब एक-दो दुकान ही शेष हैं, जहां कोटा बचा हुआ है। जल्द ही यहां भी कोटा पूर्ण हो जाएगा।
कोटा बढ़ाने की मांग
झांसी गन हाउस के संचालक ने इस मामले को शासन के सामने उठाते हुए मांग की है कि वह गन जमा करने का कोटा बढ़ाए। उन्होंने अपने आवेदन में बताया है कि गन हाउस को पहले बंदूकें जमा कराने की कोई लिमिट नहीं थी, लेकिन 31-12-2011 से जो नियम लागू हुए हैँ, उसके तहत बंदूकों को जमा करने की लिमिट तय है। उससे ज्यादा जमा नहीं की जा सकती है। इस नियम को शिथिल किया जाए या फिर बंदूकें जमा करने के कोटे में वृद्धि की जाए।
-कोटा की जानकारी
– रायफल कोटा – कोटा समाप्त हो गया है।
– 12 बोर – एक दो गन हाउस पर ही जगह बची है।
– पिस्टल रिवालवर – एक-दो बंदूके रखने की जगह बची है।
– एमएल गन – बंदूकों की सं या कम है, इसलिए अभी जगह बची है।
-वर्जन
बंदूकधारी थाने में बंदूक जमा कर सकते हैं। शस्त्र दुकानदारों का अपना कोटा होता है। वह इससे अधिक बंदूकें नहीं रख सकते हैं। लोग थाने में बंदूकें रखें।
बीएस जामोद, एडीएम, भोपाल
आला अधिकारियों के खिलाफ जनहित याचिका लगाने वाले पत्रकार ने मंत्रालय में खाया जहर
भोपाल । मंत्रालय भवन की चौथी मंजिल पर आज उस समय अफरा तफरी फैल गई जब यहां अपने प्रकरण की जानकारी जुटाने आये पत्रकार ने जहरीला पदार्थ खा लिया। हालत बिगड?े पर पत्रकार की गंभीर हालत में उपचार के लिए जे.पी. अस्पताल पहुंचाया गया जहां से डाक्टरों ने उनकी हालत देखते हुए हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया। अस्पताल में भर्ती पत्रकार की हालत चिंताजनक बताई गई है वहीं उनके परिजनों का आरोप है कि उन्होंने दो दर्जन अफसरों के खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिसके बाद उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था वहीं पुलिस कमिर्यों लारा भी जज से मारने की धमकी दी जा रही थी। जानकारी के मुताबिक गौतम नगर थाना इलाके में स्थित समन्वय कालोनी में रहने वाले राजेन्द्र कुमार पत्रकार है जो साप्ताहिक अखबार निकालते हैं। आज सुबह करीब नौ बजे वो अपने घर से निकले और बेटी आकांक्षा को कालेज बस में बैठाकर काम निपटाने के बाद मंत्रालय भवन चले गये जहां दोपहर के समय उन्होंने जहरीला पदार्थ खा लिया । घटना के बाद यहां अफरातफरी मच गई और तुरन्त ही गंभीर हालत में राजेन्द्र को जे.पी. अ्रस्पताल पहुंचाया गया जहां उनकी हालत चिंताजनक होने पर उन्हें तुरन्त ही हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। घटना की जानकारी लगने पर उनके परिजन तुरन्त ही अस्पताल पहुंच गये। अस्पताल में भर्ती राजेन्द्र कुमार की पत्नि रजनी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि उकने पति लारा वर्ष २००६ में एस.एस. भण्डारी, सुभाष चन्द्र खामरा, विशाल खामरा, सुशील कुमार, प्रशांत खामरा, शैलेन्द्र खामरा और डीसी खामरा सहित करीब दो दर्जन अधिकारियों के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिसकी छानबीन समिति लारा की जा रही है। पत्रकार की पत्नि ने आरोप लगाया कि याचिका दायर करने के बाद से ही उनके पति सहित परिवार को प्रताड़ित कर जान से मारने की धमकी दी जा रही है और इसी दौरान जहां एस. एस. भंण्डारी ने कुछ समय पहले उनके साथ मारपीट कर उन्हेंं मारने की धमकी दी थी वहीं तीन साल पहले उनका अपहरण भी किया गया था। पत्नि ने यह भी आरोप लगाया परमेन्द्र निरंकारी और सुशील संपुका नामक पुलिस अधिकारियों लारा उन्हें कई बार घर आकर केस वापस लेने के लिए धमकाते हुए जान से मारने की धमकी दी गई है। उन्होंने बताया कि परमेन्द्र वतर्मान में रायसेन में पदस्थ है इसके साथ ही सायबर सेल में पदस्थ बघेल नामक पुलिसकर्मी लारा भी उन्हें लगातार धमकाया गया है। जहर खाने वाले पत्रकार की पत्नि रंजना ने आगे बताया कि आप भी वो मंत्रालय अपने प्रकरण की जानकारी लेने गये थे जहां ल बे समय से प्रताड़ित होने पर आ यह हादसा हो गया। रंजना ने आरोप लगाया कि यह हादसा नहीं बल्कि हत्या है और यदि दोषियों के खिलाफ कायर्वाही नहीं की गई तो वो भी जहर खाकर आत्महत्या कर लेगी। उनके अनुसार जिन अफसरों के खिलाफ उनके पति ने जनहित याचिका दायर की है वो सभी ऊंचे पदों पर पदस्थ है और उनकी पहुंच ऊपरी स्तर तक है यही कारण है कि उनके लारा कई बार मारपीट और धमकी दिये जाने की शिकायत की गई लेकिन आज तक उस पर कोई कायर्वाही नहीं हुई है। जानकारी के मुताबिक पत्रकार राजेन्द्र ने हादसे से पहले अपने अन्य पत्रकार साथी फोन लगाकर प्रताड़ित किये जाने की जानकारी दी थी। साथ ही पूरे प्रकरण के दस्तावेज भी उनके पास पहुंचने की बात कहीं थी। हादसे के बाद उनके पत्रकार साथी ने शिकायत संबंधी सारे दस्तावेज पुलिस अधिकारियोंं को सौंप दिये। घटना की जानकारी मिलते ही डी.आई.जी.श्रीनिवास शर्मा हास्पिटल पहुंच गये जहां उन्होंने पूरी घटना की जानकारी ली। अस्पताल में मौजूद रंजना ने बताया कि फर्जी प्रमाण पत्र के जरिये नौकरी पाने की जांच के दायरे में आने वाले एस एस भण्डारी जहां आयुक्त अनुसूचित जाति जनजाति जबलपुर है वहीं विशाल खामरा जे.पी. अस्पताल में डाक्टर के पद पर पदस्थ है। घटना को लेकर जहां पुलिस अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आये वहीं अफसरों के अकनुसार पूरी घटना की छानबीन की जाये जिसके पूरा होने पर आगे की कायर्वाही होगी।