फतवों को कोई कानूनी मान्यता नहीं :सुप्रीम कोर्ट – पर गैरकानूनी करार भी नहीं

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सुप्रीम कोर्ट ने आज फतवा विवाद पर अल्पविराम लगाते हुयें एक याचिका की सुनवाई करते हिये अपना अहम् फैसला सुन दिया ! सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने अहम् फैसले में कहा की फतवे की कानूनी मान्यता नहीं है साथ ही  उच्चतम न्यायालय नेलोगों के खिलाफ शरिया अदालत द्वारा फैसला दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कोई भी धर्म निर्दोष लोगों को सजा की इजाजत नहीं देता। किसी दारूल कजा को तब तक किसी व्यक्ति के अधिकारों के बारे में फैसला नहीं करना चाहिए जब तक वह खुद इसके लिए नहीं कहता हैं ! इस फैसले के साथ तमाम अयाक्ले ख़त्म हो गयी हैं जो मुस्लिम धर्म गुरुओ के साथ मुस्लिम विरोधी गुटों के द्वारा लगाईं जा रहीं थी ! साथ ही कोर्ट ने कहा की शरीअत की कोई  कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है इसलिए शरीयत अदालतों को फतवा जारी करने से बचना चाहिए ! सुप्रीम कोर्ट ने शरीयत अदालतों को कहा कि पीडि़त जब तक उनसे गुजारिश न करे, तब तक फतवा जारी न किया जाये. हालांकि कोर्ट ने शरीयत अदालत के फैसलों को गैरकानूनी करार नहीं दिया और न ही उनपर किसी तरह की रोक लगायी !

गौरतलब हैं की देश में अब तक बहुत सारे मुस्लिम धर्म गुरुओ द्वारा जारी कियें गये फतवे समाज के साथ साथ मीडिया में भी चर्चा विषय बन गये थे ! बहुत सारे सकूलर संगठनों ने इन फतवों को मानवीय अभिकारो हनन बताया था !

विश्व लोचन मदान ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर शरीयत अदालतों की वैधानिकता को चुनौती दी थी. जिसपर कोर्ट ने आज यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 25 फरवरी को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और दारूल उलूम देवबंद ने याचिका के विरोध में दलीलें दी थी तो शरीयत अदालत दारूल उलूम देवबंद  के वकील ने कहा कि हमें कोर्ट ने फतवा जारी करने से नहीं रोका है. बल्कि कुछ सलाह दिया है, कोर्ट के निर्णय की पूरी रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही इसपर कोई प्रतिक्रिया दी जा सकती है !जबकि इससे पहले किसी भी मुस्लिम संगठन ने नहीं कहा था की फतवों को कानूनी मान्यता प्रात हैं !

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