रोहतक,
उम्र जैसे जैसे बढ़ती है रोगों के आने की आशंका बढऩे लगती है। उनमें से एक है प्रोस्टेट कैंसर। यूरिनरी ब्लैडर के पास प्रोस्टेट गलैंड्स होती हैं। 40 की उम्र के बाद इनका फैलाव होने लगता है। 50 वर्ष की आयु के बाद ये और तेजी से बढ़ती हैं। इनका ज्यादा फैलना ही कैंसर की आश्ंाका बढाता है। यह रोग अनुवांशिक ज्यादा होता है जो पहला कारण भी है।
जेआर किसान होम्योपैथी मेडिकल कालेज रोहतक के प्राचार्य डा.आरपी सक्सेना बताते हैं कि आजकल की दिनचर्या व खानपान की वजह भी प्रोस्टेट कैंसर को बढावा दे रही है। शारीरिक मेहनत न होना, आलस्य, मसालेदार भोजन, जंक फूड, लाल मांस, धुम्रपान व वसायुक्त भोजन की वजह से यह रोग होने का अधिक खतरा होता है। धुम्रपान से मुंह व गले का कैंसर तो होता ही है प्रोस्टेट कैंसर भी होता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
डा. आरपी सक्सेना ने बताया कि इसके प्रारम्भिक लक्षण में दोनों पैरों में कमजोरी महसूस होना, पीठ में दर्द रहना, बार बार पेशाब आना, पेशाब में जलन रहना आदि हैं। पेशाब रोकने में अधिक परेशानी महसूस करना, पेशाब रुक रुककर आना, पेशाब में रक्त आना, कूल्हे या जांघों के ऊपर अकड़ रहना भी इस रोग के लक्षण हो सकते हैं। असंतुलित एवं भूख से ज्यादा खाना भी शरीर को इस असाध्य रोग की ओर धकेलने में मदद करते हैं। शरीर में मोटापा की वजह से भी इस कैंसर का कारण हो सकता है।
उपचार
डा. सक्सेना ने बताया कि दिनचर्या व खानपान में बदलाव करने से प्रोस्टेट कैंसर की आशंका को कम किया जा सकता है। ज्यादा वसायुक्त भोजन व धुम्रपान नहीं करना चाहिए। हल्के लक्षण दिखाई दें तो जल्द अच््रछे चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में प्रोस्टेट कैंसर का सफल एवं सुरक्षित उपचार है। यह रोग आमतौर से पुरुषों में होता है।
डा. सक्सेना ने बताया कि लक्षण पाने पर बिना देरी किए प्रोस्टेट कैंसर की पीएसए तथा डिजिटल रेफ्टल जांच करा लेनी चाहिए। शोध के अनुसार होम्योपैथी उपचार कैंसर व उसके दुष्प्रभावों को कम करने में बहुत ही असरकारक है। इस उपचार के जरिए मरीज खुद को तनावमुक्त महसूस करता है, उसे बैचेनी नहीं होती। इस रोग में अक्सर मुंह में छाले, बालों का झडऩा, अवसाद जैसे रोग आ जाते हैं। होम्योपैथी इन रोगों का सफलतापूर्वक उपचार करती है। यह सब रोग प्रतिरोधक क्षमता बढऩे से संभव है जो होम्योपैथी चिकित्सा उपलब्ध कराती है।
उम्र जैसे जैसे बढ़ती है रोगों के आने की आशंका बढऩे लगती है। उनमें से एक है प्रोस्टेट कैंसर। यूरिनरी ब्लैडर के पास प्रोस्टेट गलैंड्स होती हैं। 40 की उम्र के बाद इनका फैलाव होने लगता है। 50 वर्ष की आयु के बाद ये और तेजी से बढ़ती हैं। इनका ज्यादा फैलना ही कैंसर की आश्ंाका बढाता है। यह रोग अनुवांशिक ज्यादा होता है जो पहला कारण भी है।
जेआर किसान होम्योपैथी मेडिकल कालेज रोहतक के प्राचार्य डा.आरपी सक्सेना बताते हैं कि आजकल की दिनचर्या व खानपान की वजह भी प्रोस्टेट कैंसर को बढावा दे रही है। शारीरिक मेहनत न होना, आलस्य, मसालेदार भोजन, जंक फूड, लाल मांस, धुम्रपान व वसायुक्त भोजन की वजह से यह रोग होने का अधिक खतरा होता है। धुम्रपान से मुंह व गले का कैंसर तो होता ही है प्रोस्टेट कैंसर भी होता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
डा. आरपी सक्सेना ने बताया कि इसके प्रारम्भिक लक्षण में दोनों पैरों में कमजोरी महसूस होना, पीठ में दर्द रहना, बार बार पेशाब आना, पेशाब में जलन रहना आदि हैं। पेशाब रोकने में अधिक परेशानी महसूस करना, पेशाब रुक रुककर आना, पेशाब में रक्त आना, कूल्हे या जांघों के ऊपर अकड़ रहना भी इस रोग के लक्षण हो सकते हैं। असंतुलित एवं भूख से ज्यादा खाना भी शरीर को इस असाध्य रोग की ओर धकेलने में मदद करते हैं। शरीर में मोटापा की वजह से भी इस कैंसर का कारण हो सकता है।
उपचार
डा. सक्सेना ने बताया कि दिनचर्या व खानपान में बदलाव करने से प्रोस्टेट कैंसर की आशंका को कम किया जा सकता है। ज्यादा वसायुक्त भोजन व धुम्रपान नहीं करना चाहिए। हल्के लक्षण दिखाई दें तो जल्द अच््रछे चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि होम्योपैथी में प्रोस्टेट कैंसर का सफल एवं सुरक्षित उपचार है। यह रोग आमतौर से पुरुषों में होता है।
डा. सक्सेना ने बताया कि लक्षण पाने पर बिना देरी किए प्रोस्टेट कैंसर की पीएसए तथा डिजिटल रेफ्टल जांच करा लेनी चाहिए। शोध के अनुसार होम्योपैथी उपचार कैंसर व उसके दुष्प्रभावों को कम करने में बहुत ही असरकारक है। इस उपचार के जरिए मरीज खुद को तनावमुक्त महसूस करता है, उसे बैचेनी नहीं होती। इस रोग में अक्सर मुंह में छाले, बालों का झडऩा, अवसाद जैसे रोग आ जाते हैं। होम्योपैथी इन रोगों का सफलतापूर्वक उपचार करती है। यह सब रोग प्रतिरोधक क्षमता बढऩे से संभव है जो होम्योपैथी चिकित्सा उपलब्ध कराती है।
Prostate cancer
Prostet cancer ka ayurvedic ilaj