प्रेमिकाएँ, क्राँति और आज़ादी

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— बृजमोहन स्वामी “बैरागी” की कविता  –

प्रेमिकाएँ, क्राँति और आज़ादी

हमारे लिए मरने वाले
सबसे बहादुर लोगों ने
अपने जन्मदिन
रूठी हुई प्रेमिकाओं की तरह
नही मनाये
या किसी दूसरी तरह भी नही मनाये
इस इंतज़ार में कि
हम सबका मत एक होगा,
पर हमारी सीमाओं तक
पहुंचते पहुंचते
विडम्बना इस कदर दम तोड़ गई
कि उन्होंने जो कहा
वह मैंने और आपने नहीं सुना।
मिसेल फोको समेत तमाम लोगों ने
अपने मोम जैसे हाथों से
कागजों पर खून से लिखे
मलाई की तरह बिलोये हुए शब्द
उससे बहुत अलग हमने पढा
या ज्यादा कहें
तो हमें ज़बर्दस्ती पढ़वाया गया
ताकि हम क्लास की सबसे आगे वाली बेंच पर बैठ सकें
और हर महीने हमारे गार्ज़ियन
ऑफिस में अकड़ अकड़ कर
प्रिंसिपल को महानताएं बता सकें।
आज़ादी कैसे मिली
किसको मिली
और कितनी मिली
ये बातें हमारे भीतर जाकर
बिलकुल भिन्न अर्थों में खिलखिलाई और यह आखरी से आखिरी बात
आप मेरे ऊपर थोपेंगे
कि मैंने कहा है।
ठीक इसी तरह
उन खून से भी लाल दस्तखतों
और इतिहास में दी गई
सबसे सफेद गवाहियों को
नही समझा हमने,
इसके बाद
चाय पीकर
उपनिषद के ऊपर कप रखे
गाने सुनकर
बाइबिल पर इयरफोन रखे
और दुनियां को बताना चाहते हैं
कि
हमने
आज़ादी का मतलब सीख लिया।

 

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लेखक परिचय

कवि बृजमोहन स्वामी ‘बैरागी’

हिंदी और राजस्थानी कवि व्  लेखक

(उपनाम – कवि बैरागी)

पता – बरवाळी, नोहर , हनुमानगढ़ जिला , राजस्थान (335504) सम्पर्क – birjosyami@gmail.com

कार्य क्षेत्र-  कहानीकार, नाटककार , फ़िल्म राइटर, रंगमंच कर्मी , और राजस्थानी भाषा मान्यता आंदोलन में सक्रिय योगदान

वर्तमान –  स्कूल अध्यापक, और जिला अध्यक्ष, राजस्थानी भाषा संगर्ष सेना (हनुमानगढ़ इकाई)









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