प्राणी उद्यान कानपुर – सब कुछ ठीक रहा तो हिरन सफारी होगा नायाब

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kanpur Hiran safari, तल हिरनों की संख्या 400 के करीब – मगर एवं अप्रवासी पक्षी भी हैं सफारी का हिस्सा  
आई एन वी सी ,
अनिल सिन्दूर ,
कानपुर,
 प्राणी उद्यान कानपुर में प्राकृतिक सम्पदा को नष्ट किए बिना लाइन सफारी की तर्ज पर ”हिरन सफारी“ तैयार हो रहा है, जो अपने आप में नायाब होगा। साथ ही पर्यावरण विदों एवं इकोसिस्टम पर शोधार्थियों के लिए शोध का एक बड़ा केन्द्र होगा। एशिया के सबसे बड़े प्राणी उद्यान कानपुर में 38 एकड़ का क्षेत्रफल वन सम्पदा से भरा है। इसी बात को दृष्टिगत रख प्राणी उद्यान प्रशासक ने निर्णय लिया कि प्राकृतिक छेड़छाड़ कि बिना क्यों न बड़ी तादाद में उपलब्ध हिरनों का प्रयोग हिरन सफारी का रूप दे कानपुर के प्राणी उद्यान को नायाब बनाया जाय। जब इस योजना को मूर्तरूप देने को प्रदेश शासन से मंजूरी मांगी गयी तो प्रदेश सरकार ने भी आनन फानन में हिरन सफारी की मंजूरी दे दी। हिरन सफारी को मूर्तरूप देने के लिए योजना के अनुसार सिर्फ जल को संरक्षित करने की जरूरत है। जिसके लिए अपेक्षा से कहीं कम धनराशि की आवश्यकता होगी। प्रदेश सरकार ने हर्र लगे ना फिटकरी रंग चोखा की कहावत को चिरतार्थ करते हुए अपने बजट में भी प्राणी उद्यान कानपुर को एक करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं जिसमें बच्चों के लिए ट्वॉय टेªन भी है। प्राणी उद्यान कानपुर के इस क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद अहसास ही नहीं होता कि कानपुर शहर के अन्दर हम विचरण कर रहे हैं। यह क्षेत्र पूरी तरह से प्राकृतिक वन क्षेत्र में है। 38 एकड़ के इस क्षेत्र में जगह जगह हिरनों के झुण्ड दिखाई देते हैं। हिरनों के परिवार जरा सी आहट पर अपने कुलाचें भरते बच्चों को दूसरे जानवरों से बचाने को व्याकुल हो जाते हैं। इस क्षेत्र में लगभग 40 मगर भी हैं जो इस क्षेत्र को और भी संजीदगी देते हैं। यह कहीं से लाये नहीं गए हैं, वर्षा के समय एक दो की संख्या में कहीं से बह कर आए इन मगरों की संख्या अब बढ़ कर 40 के करीब हो गयी है। प्राणी उद्यान निदेशक के. थामस मानते हैं कि इनकी संख्या जल्द ही कम करनी होगी। यह मगर पानी में तो रहते ही हैं जब इच्छा होती है जमीन पर अपनी बनायी हुई खोह में चले जाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र  खाद्य श्रंखला की दृष्टि से बेहद समृद्ध है क्यों कि यहां राष्ट्रीय पक्षी मोर, किंग कोबरा, अजगर सहित तमाम ऐसे जीव जन्तु हैं जो खाद्य श्रंखला का अह्म हिस्सा हैं।
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प्रवासी पक्षियों की तादाद तो इस क्षेत्र में बहुतायत है ही अप्रवासी पक्षियों की संख्या भी अपेक्षाकृत अधिक हैं। पानी के आस पास मछलियों की दावत उड़ाने को यह पक्षी कतार में बैठे दिखाई देते हैं। वहीं एक जरा सी आहट होने पर उड़कर पलक झपकते ही पेड़ों पर होते हैं। पक्षियों में ग्रे हिरोनस, कोयल, शिक्रा, इण्डिया रिंग डव, ग्रे प्रेटिज, एग्रिट लिटिल, पेन्टिड स्ट्रोक, आइवस ब्लैस, स्टोटिड डव, यलोलेग लेपलिंग, पिकोक, बुलबुल, इण्डियन रोलर, टेªलर वर्ड, किंग फिशर, होन बिल ग्रे, बुडपैकर, वैवलर, ग्रीनवीटर एवं रोजरिंग पैराहीट तथा अप्रवासी पक्षियों में लिटिल ग्रीड, कोम्बडक, बृमाइग्रेटिड पक्षियों में लिटिल ग्रीड, कोम्बडक, बृाह्मनी डक, बाइट नैकिड स्ट्रोक, ओरिओल, कोरमोरेन्ट एवं डार्टर आदि इस क्षेत्र में पायी जाती हैं। प्राणी उद्यान कानपुर के निदेशक के. थामस ने बताया कि बच्चों वाली ट्रेन के लिए धनराशि राज्य शासन ने आवंिटंत कर दी है। एक वर्ष के अन्दर हिरन सफारी जनता के लिए तैयार हो जाएगा।

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