आई, एन,वी, सी,
टोकियो,,
प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह ने आशा व्यक्त की है कि जापान के साथ आर्थिक सहभागिता समझौता शीघ्र ही अस्तित्व में आ जाएगा। सोमवार को जापान की राजधानी टोकियो में वहां के प्रमुख उद्योगपतियों के संगठन निप्पन कीदानरेन के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों से इस संबंध में चली आ रही बातचीत सफल रही है और शीघ्र ही दोनों देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और सुदृढ एवं प्रगाढ बनाने में प्रमुख भूमिका अदा करेगा। उन्होंने कहा कि इस समझौते के फलस्वरूप जापानी बाजार में भारतीय औषधि उद्योग के लिए नए अवसर पैदा होंगे और कुछ उच्चकोटि की अपेक्षाकृत कम लागत वाली जेनरिक दवाओं की जापान की बढती मांग को पूरा करने में इससे मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने भारत में मूलभूत संरचनाओं के विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए इस क्षेत्र में जापान के उद्योगपतियों के और कम्पनियों को भारत में और अधिक निवेश के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) में बुनियादी ढांचे के विकास पर 10 खरब अमरीकी डॉलर से भी अधिक राशि खर्च करने की योजना है। भारत में आर्थिक अधोसंरचना के विकास में जापान को और अधिक योगदान देने के लिए आमंत्रित करते हुए प्रधानमंत्री ने कोलकाता और दिल्ली मैट्रो परियोजनाओं के अतिरिक्त बंगलुरू और चेन्नई की प्रस्तावित मेट्रो परियोजनाओं में सहयोग के लिए जापान के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने इस अवसर पर जापान की सहायता से दिल्ली और मुम्बई के बीच माल परिवहन के लिए बनने वाले विशेष रेल मार्ग (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) का कृतज्ञतापूर्वक उल्लेख किया और कहा कि इस रेलमार्ग के बन जाने से भारत के माल परिवहन क्षेत्र का कायाकल्प हो जाएगा। प्रधामंत्री ने प्रस्तावित दिल्ली – मुम्बई औद्योगिक गलियारा के निर्माण में भी जापान के सहयोग का उल्लेख किया और कहा कि भारत के छह राज्यों के 1480 किलोमीटर क्षेत्र में उद्योगों की स्थापना को भारी बढावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री डॉ0 सिंह ने भारत में ऊर्जा की बढती मांग को पूरा करने में भी जापानी सहयोग के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि पर्यावरण हितैषी स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में जापान की विशेषज्ञता से भारत को पर्याप्त मदद मिलेगी। जापान के सहयोग से भारत की ऊर्जा की बढती मांग को पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जापान के सहयोग को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे जहां भारत को स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी, वहीं जापानी कम्पनियों को भी लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय क्षमताओं को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है। अमरीका और यूरोप के हमारे सहभागियों की भांति जापान भी हमारे आईटी सेवा क्षेत्र का लाभ उठा सकता है।
पिछले तीन वर्षों में भारत में जापान के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर संतोष व्यक्त करते हुए डॉ0 सिंह ने आशा जताई कि 2012 तक द्विपक्षीय व्यापार 20 अरब अमरीकी डॉलर के स्तर तक पहुंच जाएगा, परन्तु दोनों देशों की क्षमताओं और संभावनाओं को देखते हुए यह राशि अभी भी काफी कम है। भारत के आर्थिक विकास और प्रगति में जापान की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए डॉ0 मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देश साथ मिलकर वैश्विक स्थिरता, समृध्दि और विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
Even on the highest throne in the world, we are still sitting on our ass.
Whenever you hear the consensus of scientists agrees on something or other, reach for your wallet, because you’re being had.