प्रजनन और सरोगेट माँ – अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होगा 24 और 25 मई को

0
26

आई एन वी सी,दिल्ली,International Conference on reproduction Fertility &  Surrogacy in AIIMS ,Dr. Hassan N Salaam from Egypt,Dr. Hassan N Salaam from Egypt,Dr. Shikha  Sharma,आई एन वी सी,
दिल्ली,
दुनिया की आबादी का १५  % बांझ है और माता – पिता बनने के लिए मदद की आवश्यकता है . हम पितृत्व के पथ पर चर्चा कर रहे हैं जिसका विषय है “प्रजनन और सरोगेट मां पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन “.जो २४ और २५ मई को दिल्ली के एम्स में होगा |

बहुत सारे कारण होते हैं जब एक औरत गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं हो पाती.  इस सबसे निजाद पाने के लिए ही आईवीएफ / टेस्ट ट्यूब बेबी की अवधारणा सामने आयी. इसमें एक महिला के अंडे उसके शरीर से बाहर ले लिये जाते हैं और  एक भ्रूण या एक बच्चे को बनाने के लिए अपने पति के शुक्राणुओं के साथ मिलाया दिया जाता है और ३ से ५ दिन तक प्रयोगशाला रख कर इसे वापस महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है (यदि महिला  सामान्य है तो ) वरना किसी अन्य महिला के गर्भाशय (सरोगेट ) में रखा जाता है. एक महिला सरोगेट की मदद तब लेती है जब उसका गर्भाशय कई बिमारी से ग्रसित होता है या उसके  गर्भाशय में तपेदिक है  (जो कि भारत में आम रोग है ) और वह गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं हो सकती .

विशेषज्ञ डॉक्टर रीना बक्शी के अनुसार हमने माता – पिता और सरोगेट माँ के जीवन के  परिवर्तन को बहुत बारीकी से देखा है. सरोगेसी में अधिकतर सारा रुपया पैसा सरोगेट माँ के रख रखाव, स्वास्थ्य और पोषण में ही खर्च हो जाता है.  जिससे उसके जीवन के ९ महीने बहुत अच्छे से बीते क्योंकि उसे एक नये जीवन को जन्म देना होता है. अब सारी दुनिया सरोगेसी के लिए भारत में आती है क्योंकि एक तो यहाँ अमरीका की तुलना में पैसा भी काफी कम लगता है दूसरा सबसे बड़ा कारण है यहाँ कि महिलायें सिगरेट, शराब और अन्य दूसरे प्रकार का नशा कम करती है

” पितृत्व के पथ” ICRFS २०१४ कांफ्रेंस के माध्यम से हम डॉक्टरों , सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और मीडिया के लोगों को इस लिए एक साथ लेकर आये हैं  जिससे प्रजनन के लिए संसद में पेश होने के लिए वर्तमान ए आर टी बिल पर बहस हो सके. दूसरे डॉक्टरों आईवीएफ की सफलता दर ( दुनिया की वर्तमान में 40 % ) में वृद्धि करने के बारें में सोच .

तीसरा कारण है  लागत. आईवीएफ की लागत हम कैसे कम करे मिस्र के डा. हसन एन सलाम बतायेगे कि कैसे वो मिस्र में न्यूनतम लागत १००० डॉलर में आई वी एफ करते हैं | चौथे, हम ‘पितृत्व के पथ’ पर चलने के लिए जनता को शिक्षित करना चाहते हैं. ” फर्टिलिटी कॉन्क्लेव” में हम लोगों को शिक्षित करेगे कि माँ बनने के लिए २१ से २४ साल की आयु ही सर्व श्रेष्ठ है. लेखिका एवम विशेषज्ञ डॉ. शिखा शर्मा शराब और धूम्रपान का शुक्राणुओं पर  प्रभावों के बारे में भी बात करेगी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here