आईएनवीसी ब्यूरो
तिरूवनंतपुरम (केरल). पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है कि वैज्ञानिकों को मानव जाति के भावी पर्यावास विस्तार के लिए पृथ्वी, चंद्रमा ओर मंगल को एकल आर्थिक परिसर के रूप में विचार करना शुरू कर देना चाहिए। वह 97वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस में ‘यह किया जा सकता है’ विषय पर भाषण दे रहे थे।
उन्होंने अपना भाषण इस सुझाव के साथ शुरू किया कि भारतीय वैज्ञानिकों को 2020 को सामाजिक-आर्थिक विकास वर्ष बनाने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने 2020 से 2050 तक भारतीय विज्ञान के परिवर्तन के बारे में अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और कहा कि 2050 का दृष्टिकोण गतिशील विकास हो।
उन्होंने कहा कि मूल्यों और संवेदनशीलता से ओतप्रोत वैश्विक ज्ञान समाज इस दृष्टिकोण का मेरूदंड होना चाहिए। उचित जल प्रबंधन, जैविक खेती के साथ संपोषणीय कृषि विकास, ऊर्जा उपयोग, जीवन प्रत्याशा बढ़ाने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं, ग्रीन हाउस गैस बजट में संतुलन आदि इस दृष्टिकोण के कुछ प्रमुख तत्व हैं।
डा. कलाम ने विश्वविद्यालयों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, परमाणु ऊर्जा विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद तथा उद्योग जगत के बीच तालमेल बढ़ाने पर बल दिया। विद्यालय एवं महाविद्यालयों में विज्ञान संबंधी अवसंरचना में सुधार, अकादमिक तथा शोध प्रदर्शन के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों में मौलिक बदलाव, मानव जरूरतों की चुनौतियों का समाधान कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर शीघ्र ध्यान दिये जाने की जरूरत है।