पुरुषों की तुलना में महिलाओं में सीएडी का खतरा ज्यादा, लक्षण नहीं आते नजर

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आई एन वी सी न्यूज़  

नई  दिल्ली ,

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) दुनिया में दिल की बीमारी से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। इसी के साथ भारत में भी इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि, ट्रिपल वेसल कोरोनरी आर्टरी डिजीज (टीवीसीएडी) अभी युवाओं (45 साल से कम) में कम ही देखने को मिलता है लेकिन जीवनशैली की खराब आदतों के चलते यह बीमारी अब कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है।

नई दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख सलाहकार, डॉक्टर अनुपम गोयल ने बताया कि, “इस परिस्थिति में 2020 तक भारत में दिल के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा होगी। अधिकतर लोगों को लगता है कि सीएडी की बीमारी केवल पुरुषों को होती है इसलिए महिलाओं को केवल ब्रेस्ट कैंसर या गाइनी कैंसर को लेकर सतर्क होने की जरूरत है। जबकी विश्व स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है, जिसके चलते हर साल लगभग 50,000 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। बीमारी के बारे में जागरुकता में कमी होने के अलावा बीमारी की पहचान और इलाज न कराना भी मत्यु दर का एक प्रमुख कारण है।”

उम्र और पारिवारिक इतिहास के अलावा, इसके मुख्य कारणों में धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आदि शामिल हैं, जो इस बीमारी के जोखिम को 90% तक बढ़ाते हैं। डायबिटीज के लगभग 20% मरीज इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं।

डॉक्टर अनुपम गोयल ने आगे बताया कि, “महिलाएं हर साल अन्य कैंसरों की तुलना में दिल की बीमारी के कारण ज्यादा मरती हैं। यदि ब्रेस्ट कैंसर के कारण एक महिला की मृत्यु होती है तो दिल की बीमारी के कारण 6 महिलाओं की मौत हो जाती है। दुर्भाग्य से ज्यादा उम्र की महिलाओं की तुलना में कम उम्र की महिलाओं में सीएडी का खतरा ज्यादा होता है।”

इस बीमारी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके दौरान महिलाओं में किसी प्रकार का कोई लक्षण नहीं नजर आता है, जबकी सीने में दर्द पुरुषों में इस बीमारी का एक बड़ा लक्षण माना जाती है। यदि किसी को सांस की हल्की समस्या भी हो रही है, विशेषकर जीने चढ़ते-उतरते या तेज चलते वक्त, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। बिना कारण थकान, पेट के निचले हिस्से में दर्द, कंधों या पीठ में दर्द, हांथ और पैर में दर्द, अधिक पसीना आना या चक्कर आदि जैसी समस्याए महसूस हो रही हैं तो इन्हें अनदेखा बिल्कुल न करें। कोई ठोस लक्षण न नजर आने के कारण महिलाओं में दिल की बीमारी का निदान देर से होता है या हो ही नहीं पाता है, जिसके कारण बीमारी गंभीर होती जाती है। आमतौर पर 5 में से एक महिला किसी एक प्रकार के सीवीडी से पीड़ित होती है और हार्ट अटैक वाली एक-तिहाई महिलाएं 1 साल के अंदर ही दम तोड़ देती हैं।

इस बीमारी की रोकथाम के लिए और देश को सीएडी फ्री बनाने के लिए इस बीमारी की गंभीरता और इसके शुरुआती इलाज के बारे में लोगों को जागरुक करना बेहद जरूरी है।

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