पाक से वार्ता नही परिणाम चाहिए

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nawaz shareef{संजय कुमार आजाद**,,)
ईद-उल-फितर इस्लाम के माानने वालों के लिए अत्यन्त पाक महिना होता है। पूरे एक माह का रोजा और इबादत लोगों के दिनी और दुनियावी दोनो जीवन को सुधारता है।अमन और मोहब्बत का पैगाम देता है।किन्तु इस पाक रमजान महिने में इस्लामी देषों द्वारा स्वपोषित आतंक का जो सिलसिला चल रहा है वह ‘जिहाद’ के नाम पर इस्लाम को कलंकित कर रखा है। खासकर भारत का पड़ोसी और इस्लाम का झण्डावरदार पाकिस्तान में पाकिस्तान सरकार और उसकी कुख्यात सेना की मिली भगत से जो कुछ इस्लामी आतंकी कर रहा है वह भारत के साथ-साथ विष्व के लिये चिन्तनीय व निन्दनीय है। मुसलमानों के पवित्र माह रमजान में पिछले दिनों पाकिस्तान के नागरिक व सैन्य प्रषासन के गठजोड़ से नियंत्रण रेखा पर गष्त लगा रहे पांच भारतीय सैनिकों की शहादत माह-ए-रमजान और इस्लाम को कलंकित करता है। पाकिस्तान लाख कहे किन्तु उसका चाल, चरित्र और चेहरा से सिर्फ इस्लाम के उसुलों को कलंकित कर इस्लाम को आतंक का पयार्य बनाने का बीड़ा मात्र है। पाकिस्तान की इस्लाम विरोधी सैनिकों ने जम्मु-कष्मीर के पूॅंछ सेक्टर में कायरों की तरह घात लगाकर भारत के वीर सैनिकों के साथ जो घृणित, अमानवीय व क्रूर कुकर्म किया वह कोई स्वाभिमान शून्य सत्तालोलुप गुलाम सरकार हीं वर्दाष्त कर सकती है।हॉलाकि इस तरह की अमानवीय घटना पाकिस्तान की ओर से पहली बार हुआ हो ऐसा नहीं है।अनेको बार हुआ है पिछले आठ जनवरी को ही नियंत्रण रेखा के पास दो भारतीय सैनिको को शहीद कर एक का सर काट कर पाकिस्तान ले गये । पूरे देष में उवाल मचा हमारी सरकार का तोतारटन्त बयान आया ‘‘हमारी धैर्य की परीक्षा ना ले पाकिस्तान’’बस मामला रफा दफा हो गया । ‘कमजोर की लुगाई सबकी भौजाई’ ये भारत सरकार की नियती रही है तभी तो पाकिस्तान की शैतानी हरकत कम होने के बजाये बढ़ती गई।नियत्रंण रेखा पर वर्ष 2012 में कुल 93 बार और वर्ष 2013 में अबतक कुल 57 बार पाकिस्तान के द्वारा युद्धविराम का उल्घंन हुआ है।पाकिस्तानी फौज के द्वारा युद्धविराम का उल्घंन वास्तव में एक सोची समझी सैन्य व नागरिक प्रषासन की रणनीति है।युद्धविराम का उल्घंन घुसपैठ का जरिया है इसके आड़ में पाकिस्तान इस्लामी आतंकवादियों को सीमा पार से भारत में तबाही का मंजर कायम हो इसके लिये घुसपैठ कराता है।स्पष्ट है कि सीमापर सीजफायर का उल्घंन जितना बार हुआ उतने बार इस्लामी आतंकवादियों केा दर्रो, नालों या घाटियों के रास्तें भारत में भेजने का प्रयास हुआ है।हर सीजफायर के बाद हमारी सरकार और सेना अपना विरोध दर्ज कराती है और बदलें में पहले तो पाकिस्तानी इंकार करते जब सबूतों का जखीरा दिया जाता तो आष्वासनो की पुलिन्दा भारत सरकार को थ्मा दिया जाता कि आगे से ऐसी कारवाई पाक सेना द्वारा नही होगी क्योंकि पाकिस्तान की सरकार और सेना अमन और चैन का प्रवल पक्षधर है? किन्तु कुत्ते की पूॅछ कभी सीधी नही होती और पाकिस्तान के साथ यह उक्ति सौ फीसदी सही है। भारतवर्ष का दुर्भाग्य है कि सरकार किसी भी राजनीतिक दल की रही हो सबने विदेष मामलों में dr manmohan singhभारत के नागरिकों के साथ विष्वासघात किया है।भारतीय नागरिकों के जान की कीमत राजमार्ग पर मरे कुत्ते से भी बदतर आंका है।हमारे वीर सैनिक सीमा पर शहीद होते है और देष के ईमानदार,? रक्षामंत्री का वक्तव्य संसद में होता है-‘‘भारी हथियारों से लैस 20 आतंकियों ने हमला किया ।इनमें से कुछ ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहनी थी।‘‘यह वक्तव्य देष के साथ और देष की रक्षा में लगे वीर सैनिकों एवं शहीद सैनिकों के प्रति घिनौना मजाक नही ंतो और क्या है? देष के रक्षा मंत्री दुष्मन देष की भाषा में जबाव दे रह हो यह घृणित राजनीति भारत जैसे देष में ही सभंव है ।बाद में भारी विरोध के बाद अपने वक्तव्य में सवंधित रक्षामंत्री ने सुधारा किन्तु तबतक बहुत देर हो चुकी थी और आपने अतंरार्ष्टªीय मंचो पर पाकिस्तान को क्लीन चीट दे दी कि ऐसी घटना पाकिस्तान की सेना ने नहीं बल्कि वहां के इस्लामी आतंवादियों ने की है । हद तो तब हो गयी जब अपने को विष्व का रक्षक मानने वाला तक्षक अमेरिका कहता है कि-‘‘हम हमेषा नियत्रंण रेखा पर हिंसा को लेकर चिन्तित रहतें है।हम समझतें हैं कि भारत और पाकिस्तान की सरकार इन मसलों को लेकर संपर्क में है।अमेरिका दोनों देषों को संवाद के लिये प्रोत्साहित करता है।’’यह वही अमेरिका है जिसने विष्व को आतंवाद दिया उसके मुॅह से ऐसा शब्द मानवता को शर्मसार करती है।अपने एक नागरिक की बेहुरमति पर संबधित देष को जलील करने वाला अमेरिका के मुख से ऐसे शब्द विस्मयकारी लगते है।विष्व में मान-सम्मान एवं अधिकार सिर्फ अमेरिकी नागरिक को प्राप्त है शेष तो मानो इस पृथ्वाी पर उसके गुलाम है? अपने मुॅह मियां मिठू की कहावत को चरितार्थ करने वाला अमेरिका आखिर क्यों नही अपनी दादागिरी दिखाए, जब इसी देष के राष्ट्रद्रोही 65 सांसदो का गिरोह देष के अंदरूनी मामलों में दखल देने हेतु जयचन्द की भांति अमेरिका के तलबे चाटने को लालयित हो । इन जयचन्दी सांसदो के गिरोह के रहते भारत को अमेरिका क्या भूटान और नेपाल जैसा देष भी लतियाता रहेगा,?  इस विभत्स ह्दयविदारक घटना के बाद नरभक्षी पाकिस्तानी सरकार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कहता है-‘‘पाक भारत से अच्छे संबध चाहता है।दोनों देषों के बीच विष्वास बहाली के लिये बातचीत जरूरी है।’’ स्मरण रहें कि ये वही नवाज शरीफ है जो इस देष में स्वघोषित राष्ट्रवादी सरकार के रहते भारत में घुसपैठ कर करगिल युद्ध थोपा था।(हॉलांकि नवाजषरीफ हमेषा रोता रहा कि करगिल से मेरा कोई वास्ता नही) इसबार सितम्बर 2013 में भारत और पाक के प्रधानमत्रीयों का न्यूयार्क में मिलन होना है जहांॅ बातचीत भी होगे। कितनी हास्यस्पद विदेष नीति है अपने देष की ।हमारी सरकार जानती है कि आतंकवाद और घुसपैठ,जाली नोटो और नषे का कारोबारी एवं भारत में आतंक करने वाले आतंकवादीयों का आश्रयस्थल पाकिस्तान है।सरकार के पास सारे सबुत उपलब्ध है ।फिर भी हम उस भेड़िये के आगे गिड़गिड़ा रहें है,?कैसी बिडम्वना है इस देष की जिस अपराधी के उपर हमें तत्काल करवाई करनी चाहिए उसके हम हाथ जोड़े बातचीत करने को उत्सुक है। यह उत्सुकता कही शांति के नोबेल पुरस्कार के लिये तो नही है इस घृणित आषा में हम अपने अनमोल नागरिकों सैनिकों सहित मातृभूमि के साथ विष्वासघात कर रहें हैं।हम अपने आन बान शान मान सम्मान सब उन नरभक्षियों के आगे परोसकर अपनी पीठें थपथपा रहें हैं।याद रखें इतिहास कभी किसी घटना को नहीं भूलता भारत की गौरवषाली परम्परा में लगे ये दाग भारत माता के हीं वर सपूत एक दिन मिटाकर फिर नये स्वर्णिम इतिहास का निमार्ण करेगें इसमें रंचमात्र भी संदेह नही है क्योकि किसी ने भारत के संदर्भ में ठीक हीं कहा है-  कुछ बात है कि ऐसी मिटती नही हमारी, सदियों रहा है दुष्मन दौरें जमां हमारा।
पाकिस्तान का संरक्षक स्वयं भारत की अदूरदर्षी एवं राष्ट्रीय हित का तिलांजली देने वाली भारत सरकार और उसका तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवियों का गिरोह है। भारत सरकार कहती है कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद से त्रस्त है।आखिर क्यों और इसका उतरदायित्व कौन है? बोये पेड़ बबूल तो आम कहां से होय।भारत सरकार धृतराष्ट्र की भांति आंॅखों पर पटृी बांधे है तभी तो खुखांर इस्लामी तालिवानीयों का शरणस्थल पाकिस्तान है फिर उसका रोना पाकिस्मान को नही भारत सरकार को है? सैयद हाफिज, दाउद इब्राहिम, अल जवहिरी…. जैसे इस्लामी आतंकवादी उसी पाकिस्तान के सरजमीन पर विचरण कर रहा है जिसके विष से भारत सदैव पीड़ित रहा है। जो भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता पर पकिस्तान की सरकार,फौज और कुख्यात आई.एस.आई. के सहयोग से हमेषा हमला करता रहा है फिर भी भारत सरकार पाकिस्तान को ‘‘आचरण प्रमाण पत्र’’ प्रदान कर भारत माता के साथ विष्वासघात कर रही है। वास्तव में अभी-अभी हुए पाकिस्तान मे चुनाव पर ध्यान दे और उसका विष्लेषन करें तो मामला पर प्रकाष डाला जा सकता है।पाकिस्तान में नवाज शरीफ को सत्ता में लाना और उदारवादी दलों का सफाया करना वहां के आतंकवादी संगठनों का पूर्व नियोजित चाल था। इस खेल में सेना और कटृरपंथियोें के अलावे कुछ मुस्लिम देषों का भी मौन समर्थन प्राप्त था। अतः वर्तमान तथाकथित नवाज शराीफ की सरकार आतंकवादियों के प्रश्रय से निर्तित सरकार है इसमें कहीं कोई शक सुबहा नही होनी चाहिये।सेना आंतकियों के द्वारा भारत को अस्थिर कराएगी और नागरिक प्रषासन अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर दिखावे का विरोध करेगी।भारत सरकार नरभक्षी पाकिस्तान के झाांसे में हमेषा आ जाती है।देष के स्वाभिमान को ठोकर मारकर भारत सरकार पाक सेना और सरकार को गले लगाते जरा भी नही शर्माती वर्ना पिछले दिनों सीमा पर जिस कायराना कुकृत्य का अंजाम पाकिस्तानी सेना ने दिया उसके जबाव में वार्ता नही बल्कि कठोरतम करवाई की आवष्यकता थी बातचीत नही परिणाम की मांग थी।सितम्बर 2013 में न्यूयार्क में होनेबाली बैठक को हरहाल में रद्द कर देनी चाहिये थी।अभी हाल हीं में अमेरिका ने स्लोडन के मुद्दे पर पुतिन – ओवामा बैठक को रद्द कर दिया था। अमेरिका और रूस का मामला उतना संवेदनषील भी नही था किन्तु देष के आत्मसम्मान से बड़ा कुछ भी नही होता।भारत सरकार को इससे सबक लेनी चाहिये। कहा जाता है ठोकर लगने के बाद इन्सान सभल जाता हैताकि फिर उसे जिल्ल्त और जलालत नही झेलनी पड़े।किन्तु भारत सरकार की आत्मा या तो मर गयी या इस कदर गुलाम हो गयी है कि उसमें आत्मगौरव बचाने का माद्दा नही है तभी तो बह उस पाष्विक देष से दोस्ती की आषा में अपना सबकुछ दांव पर लगा बैठी है।नेहरू-जिन्ना के जिद्द से उत्पन वह राक्षसी मानसीकता का देष कभी भारत को प्रेम से मित्र के रूप में स्वीकार करेगा यह असंभव है ।रेत से तेल निकल आये इसकी संभावना को माना जा सकता है किन्तु प्रेम से पाकिस्तान मित्र बने या अपनी शैतानी हरकतों से बाज आये इसकी संभावना नही है।जब रमजान के पवित्र माह में यह इस्लामी देष पाकिस्तान इस्लाम के सिद्धान्तों को तार-तार कर रहा है तो उसके बाद इस देष से अमन की आषा करना बेमानी है।जिस तरह से श्रीराम अनुनय-विनय की भाषा में महासमुद्र से रास्ते की मांग करते रहे महासमुद्र अनसुना करता रहा ज्योंहीं शक्ति की भाषा का प्रयोग हुआ महसमुद्र शरणागत होकर रास्ता दिया।क्योंकि बिनू भय होई ना प्रीत और पाकिस्तान सिर्फ शक्ति की भाषा सुनता और समझता भी है।जबतक भारत सरकार इस पाष्विक देष पर राजनीतिक,आर्थिक, वैष्विक और सैन्य शक्ति का कठोरतम और निमर्मतापूर्वक प्रयोग नही करेगी तबतक एक तरफ शांति का वार्ता चलता रहेगा और दूसरी तरफ भारत माता के वीर सपूतों का मस्तक कटकर शांतिवार्ता के उसी टेबूल पर सजता रहेगा। अब भी समय है भारत सरकार कठोरतम कदम उठाकर अपने निकृष्ट,असंवेदनषील एवं पाष्विक प्रवृति वाले पड़ोसियों को स्पष्ट संदेष दे कि- शांति के हम प्रबल पक्षधर तो आतातायिायेंा के लिये सुनामी से कम नहीं है।

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sanjay-kumar-azad*संजय कुमार आजाद
पता : शीतल अपार्टमेंट,
निवारणपुर रांची
834002
मो- 09431162589
** लेखक- संजय कुमार आजाद, प्रदेश प्रमुख विश्व संवाद केन्द्र झारखंड एवं बिरसा हुंकार हिन्दी पाक्षिक के संपादक हैं।
**लेखक स्वतंत्र पत्रकार है
*लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं।

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