पाक नेताओं को संजीवनी प्रदान करता है कश्मीर मुद्दा

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bilawal bhutto { तनवीर जाफ़री } हम कश्मीर को लेकर रहेंगे,कश्मीर हमारा है तथा हम कश्मीर को कभी नहीं छाड़ेंगे जैसी बेतुकी बातें पाकिस्तान के नेताओं के मुंह से अक्सर सुनी जाती रही हैं। मरहूम जुल्िफकार अली भुट्टो ने कहा था कि चाहे हमें कश्मीर को हासिल करने के लिए भारत से सौ साल तक क्यों न लडऩा पड़े परंतु हम कश्मीर हासिल करके ही दम लेंगे। बेचार भुट्टो को कश्मीर तो नसीब नहीं हुआ। परंतु पाक सेना ने उन्हें फांसी के तख्ते पर ज़रूर लटका दिया। उसी तरह बेनज़ीर भुट्टो समय-समय पर ‘राग कश्मीर’ अलापती रही हैं। वह भी पाकिस्तान के ही दूसरे कश्मीरपरस्त आतंकवादियों की भेंट चढ़ गईं। और अब एक बार फिर इसी खानदान के चश्मे चिराग आसिफ अली ज़रदारी व बेनज़ीर भुट्टो के पुत्र 26 वर्षीय बिलावल भुट्टो जऱदारी ने पाकिस्तान की अवाम में जोश भरने के लिए वही राग अलापा है। पिछले दिनों मुलतान में पूर्व पाक प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी के निवास पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर हमारा है और हम कश्मीर की एक-एक ईंच ज़मीन लेकर रहेंगे। वैसे तो पाकिस्तान के किसी भी नेता की ओर से जब भी ऐसा बयान आता था उसपर भारत की ओर से प्रतिक्रिया दी जाती थी। परंतु बिलावल भुट्टो के बयान पर तो केवल भारत की ओर से सरकार का पक्ष रखने वाली प्रतिक्रिया ही नहीं आई बल्कि भारत व पाक दोनों देशों में सोशल मीडिया पर बिलावल के इस बयन का खूब मज़ाक भी उड़ाय गया। उनके इस हास्यास्पद वक्तव्य के बाद उन्हें पप्पू के नाम से नवाज़ा जाने लगा है।

                        गौरतलब है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी)पाकिस्तान का ऐसा राजनैतिक संगठन है जिसे भारत के प्रति मैत्रीपूर्ण रवैया रखने की कोशिश करने वाला उदारवादी तथा धर्मनिरपेक्ष दल माना जाता है। श्रीमती इंदिरा गांधी तथा ज़ुल्िफकार अली भुट्टो के मध्य सौहाद्र्रपूर्ण संबंधों के परिणामस्वरूप ही दोनों देशों के बीच शिमला समझौता हुआ था। उसके पश्चात राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में पाकिस्तान में बेनज़ीर भुट्टो के प्रधानमंत्री का दौर रहा। जिस समय इन दोनों पड़ोसी देशों में राजीव गांधी व बेनज़ीर भुट्टो जैसे दो आकर्षक युवा प्रधानमंत्री थे उस समय एक भारतीय शायर ने राजीव गांधी को संबोधित करते हुए यह दो पंक्तियां कही थीं-

                        कैसी तकदीर तूने पाई है,तेरे हाथों में क्या लकीर है।
पहले कुर्सी मिली हुकूमत की, फिर पड़ोसन बेनज़ीर है।।
 

परंतु बिलावल ने भारत के साथ अपने ख़ानदानी मधुर संबंधों को दरकिनार करते हुए कश्मीर के संबंध में एक ऐसा बचकाना व अपरिपक्व बयान दिया है जिसने बिलावल की छवि भी भारतवासियों की नज़रों में वैसे ही नेताओं की सी बना दी है जिनकी राजनैतिक रोज़ी-रोटी व राजनैतिक अस्तित्व सबकुछ कश्मीर का राग अलापते रहने पर ही कायम है। यदि हम बिलावल भुट्टो ज़रदारी के जीवन पर नज़र डालें तों 26 वषर््ीय बिलावल अपनी जवानी की दहलीज़ पर पैर रखने से पहले ही अपनी मां का साया खो चुके थे। कम उम्र होने के कारण उन्हें उस समय पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का जि़म्मा नहीं सौंपा जा सका था। और उनकी जगह उनके पिता आसिफ अली ज़रदारी ने संभाली। वे पीपीपी के अध्यक्ष भी बने तथा बेनज़ीर ही हत्या के बाद उपजी सहानुभूति की लहर में वे राष्ट्रपति भी बन गए। इस दौर में बिलाबल भुट्टो ज़रदारी के कार्याकाल में विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार से इश्क फरमाने लगे थे। उनके व हिना रब्बानी के अंतरंग क्षणों की कई तस्वीरें भी सामने आईं। गोया ‘शहज़ादे’ के कदम बचपन में ही लडख़ड़ाने शुरु हो गए थे। परिणामस्वरूप पिता-पुत्र में इस विषय पर विवाद खड़ा हुआ और इसी नाराज़गी के फलस्वरूप बिलावल पाकिस्तान छोडक़र दुबई में जा बसे। अब वे 26 वर्ष के हो चुके हैं। सभी राजनैतिक घरानों की तरह ज़ाहिर है उन्हें भी अपने परिवार की राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ाना है। कुछ समय पूर्व उन्हें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का अध्यक्ष भी चुना जा चुका है। अब वे 2018 में होने वाले पाक नेशनल असेंबली के चुनाव में ताल ठोकना चाह रहे हैं। वे सिंध के लारकाना में राटेडोरे(एनए 207)जोकि बेनज़ीर भुट्टो की पारंपरिक सीट रही है इसी सीट से चुनाव लडऩा चाह रहे हैं। लिहाज़ा कश्मीर के संबंध में दिया गया उनका बयान राजनीति में उनके पदार्पण के परिपेक्ष्य में एक धमाका खेज़ बयान के रूप में देखा जा रहा है।

                        बिलावल के कश्मीर संबंधी वक्तव्य पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूदीन ने कहा है कि भारत बीती बातों के बजाए आगे बढ़ रहा है। परंतु आगे बढऩे का मतलब यह नहीं है कि उसकी सीमा में बदलाव किया जाए। भारत में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी सहित सभी राजनैतिक दलों ने बिलावल के ‘भारत से पूरा कश्मीर लेकर रहेंगे’ जैसे हास्यास्पद बयान पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। सबसे तीखी प्रतिक्रिया इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अध्यक्ष ई अहमद की ओर से आई है। उन्होंने कहा है कि कश्मीर भारत का अटूट हिस्सा है। समस्त भारतवासी कश्मीर की रक्षा के लिए तैयार हैं। भारत के 18 करोड़ मुसलमान कश्मीर की हिफाज़त के लिए अपनी जान की कुर्बानी तक देने को तैयार हैं। सवाल यह है कि 1971 में भारत से बंगला देश युद्ध के समय बुरी तरह अपने मुंह की खाने के बावजूद आख़्िार पाकिस्तानी नेता अब भी वक्त-बेवक्त कश्मीर का राग क्यों अलापते रहते हैं। क्या कश्मीर पर अपना अधिकार जताने जैसे बयान देने से पाकिस्तान अवाम की नज़रों में उनकी अच्छी छवि बनती है? या कश्मीर के कुछ अलगाववादी नेताओं को वे अपने कश्मीर संबंधी बयान के द्वारा यह जताने की कोशिश करते हैं कि तुम अपना संघर्ष जारी रखो हम तुम्हारे साथ हैं? या फिर 1971 के युद्ध के समय पाकिस्तान की ओर से हुए ऐतिहासिक सैन्य समर्पण का बदला लेने की गरज़ से वे कश्मीर को भारत से अलग करने जैसे नापाक इरादों का इज़हार करते रहते हैं? और ऐसी बातें करके वे पाकिस्तान की सेना को खुश करने का प्रयास करते हैं? जबकि हकीकत तो यह है कि भारत सरकार ने कश्माीर में धारा 370 लगाकर कश्मीरियों को इतने अधिकार,सुविधाएं तथा स्वायत्तता दे रखी है जो देश के अन्य राज्यों को भी हासिल नहीं है। पाकिस्तान के बिलावल जैसे अन्य नेता जो राग कश्मीर छेड़ते रहते हैं वे अपने अधिकार वाले क्षेत्र कश्मीर की तुलना भारतीय कश्मीर से यदि करें तो उन्हें स्वयं इस बात का अंदाज़ा हो जाएगा कि भारतीय कश्मीर के लोग कितनी सुख-सुविधाओं के साथ रहते व जीते हैं।

                        ताज़ातरीन उदाहरण कश्मीर में आई बाढ़ तथा उस बाढ़ में भारतीय सेना की भूमिका का है। किस प्रकार भारतीय सैनिकों ने कश्मीरी अवाम को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाई। और प्राकृतिक आपदा से उन्हें निजात दिलाने की कोशिश की। कितना अच्छा होता कि पाकिस्तान में बैठकर कश्मीर-कश्मीर की माला जपने वाले बिलावल जैसे नेता आपदा की इस घड़ी मे  खुद अपने संसाधनों के साथ कश्मीर पहुंचकर कश्मीरियों की मदद करने में जुट जाते? परंतु दरअसल यह सब तो पाकिस्तानी नेताओं की ज़ुबानी बयानबाजि़यां मात्र हैं जिनसे पाक नेताओं को बाज़ आना चाहिए। भारत व पाकिस्तान के मध्य के पिछले इतिहास को ध्यान में रखते हुए किसी प्रकार का तनावपूर्ण तथा अविश्वास भरा वातावरण पैदा करने की बजाए आगे बढऩे की बात सोचनी चाहिए। जो कश्मीर पाकिस्तान ने अपने कब्ज़े में कर रखा है पहले उस कश्मीर के विकास के विषय में तथा वहां के लोगों की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए। कश्मीर के राग ने न तो पहले पाकिस्तान को कुछ दिया है और न ही भविष्य में इसका अलाप करने से उसे कुछ मिलने वाला है। हां इतना ज़रूर है कि बार-बार कश्मीर मुद्दा उठाते रहने से दोनों देशों के बीच अविश्वास का वातावरण ज़रूर बनता है। और ऐसा माहौल दोनों देशों की जनता के हित में कतई नहीं है। लिहाज़ा बिलावल भुट्टो सहित पाकिस्तान के सभी कश्मीर के तथाकथित दावेदारों को चाहिए कि वे इस मुद्दे को उछालकर ‘संजीवनी’ प्राप्त करने के बजाए पाक अधिकृत कश्मीर की तरक्की तथा पाकिस्तानी अवाम की शांति व सुरक्षा खासतौर पर पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादियों से स्वयं अपनी सुरक्षा के विषय में सोचें तो ज़्यादा बेहतर होगा।

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Tanveer JafriTanveer Jafri

columnist and AuthorAuthor Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc. He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities  

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4 COMMENTS

  1. I do accept as true with all of the ideas you’ve presented in your post. They are really convincing and will certainly work. Nonetheless, the posts are very short for novices. Could you please prolong them a bit from subsequent time? Thank you for the post.

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