पाकिस्तान में अल्पसंख्यक असुरक्षित

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Quetta killings protestors with dead bodies तनवीर जाफरी*,,
पाकिस्तान के संस्थापक तथा पाक में कायदे आज़म के नाम से मशहूर मोहम्मद अली जिन्ना ने एक ऐसे पाकिस्तान की कल्पना की थी जो इस्लामी होने के साथ-साथ एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भी हो। यदि पाकिस्तान की स्थापना के बुनियादी सिद्धांतों को देखा जाए तो इसमें वहां रहनेे वाले सभी धर्मों के लोगों को पूरी सुरक्षा,संरक्षण व सहयोग देने की बात कही गई थी। परंतु धर्मान्धता एवं धार्मिक कट्टरता ने पाकिस्तान को आज इस मोड़ पर ला खड़ा किया है कि वह दुनिया के ऐसे देशों की सूची में सबसे ऊपर गिना जाने लगा है जहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोग स्वयं को पूरी तरह असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। अफसोस की बात तो यह है कि वहां अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध होने वाली हिंसक घटनाओं को रोक पाने में पाकिस्तान की पुलिस,सेना व सरकार सभी असहाय नज़र आ रहे हैं। और इनकी यह लाचारी अब केवल मजबूरी या लाचारी मात्र नहीं रह गई है बल्कि यह स्थिति अब दुनिया की नज़रों में संदेह पैदा करने लगी है। और यह संदेह इस बात का है कि क्या अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध आए दिन होने वाले हादसों को रोक पाने में पाकिस्तान की पुलिस,सेना और सरकार समर्थ नहीं है? या इन घटनाओं को रोकना नहीं चाहती? या फिर ऐसे हादसों को अंजाम देने वाले आतंकी संगठनों को इनकी सरपस्ती हासिल है?
पाकिस्तान में इस समय जिन अल्पसंख्क समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है उनमें मुख्य रूप से वहां रहने वाले शिया,अहमदिया,सिख,हिंदू व ईसाई समुदाय के लोग शामिल हैं। प्राय: भारत आने वाले हिंदू समुदाय के लोग भारत से पाकिस्तान अपने घरों को वापस जाना ही नहीं चाहते। कई ऐसी खबरें भी सुनने में आई हैं जिनसे यह पता चला है कि हिंदू समुदाय के कई लोगों से वहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। इसी प्रकार सिख व्यापारियों से जजि़या कर ज़बरदस्ती वसूलने की खबरें भी आ चुकी हैं। अल्पसंख्यकों के धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाने के समाचार भी आते रहते हैं। ऐसे ही अत्याचार की घटनाएं इसाई समुदाय के लोगों के साथ भी हो चुकी हैं। उनके गिरिजाघरों में तोडफ़ोड़ की जा चुकी है। उनकी बहन-बेटियों को बेइज़्ज़त किया जाता रहता है। पिछले दिनों एक ईसाई कन्या को ईश निंदा जैसे कानून में जानबूझ कर एक ढोंगी मौलवी  द्वारा फंसाने का मामला सामने आया। बाद में पता चला कि उस पाखंडी मौलवी ने खुद कुरान शरीफ के जले हुए टुकड़े उस ईसाई लडक़ी से कूड़े में फेंक कर आने को कहा था और खुद उसी मौलवी ने उस मासूम ईसाई बच्ची को कुरान शरीफ जलाने व उसकी तौहीन करने का जि़म्मेदार ठहराते हुए उसे ईशनिंदा का दोषी बताने का प्रयास किया। एक युवा मुस्लिम चश्मदीद ने उस ढोंगी मौलवी की हरकतों का पर्दाफाश किया। यदि वह युवक मौलवी के विरुद्ध गवाही देकर उसे बेनकाब न करता तो शायद वह बेगुनाह ईसाई बच्ची ईशनिंदा कानून की भेंट चढ़ जाती।
पाकिस्तान में अहमदिया व शिया समुदाय भी इस समय बड़े पैमाने पर साजि़श व सांप्रदायिक हिंसा के शिकार हो रहे हैं। अहमदिया व शिया दोनों ही समुदायों के लोग हालांकि स्वयं को मुसलमान कहतें हैं, दोनों ही अल्लाह,कुरान शरीफ व हज़रत मोहम्मद को अन्य मुसलमानों की तरह ही पूरा सम्मान देते हैं। परंतु वहाबी समुदाय इन्हें मुसलमान मानने से इंकार करता है। और सांप्रदायिक मतभेद अब इस नौबत तक आ पहुंचे हैं कि इन वहाबी विचारधारा के लोगों के संरक्षण में चलाए जाने वाले आतंकी संगठन जिनमें सिपाहे सहाबा व लश्करे झांगवी के नाम प्रमुख हैं,इन समुदायों के लोगों की सरेआम हत्याएं करते फिर रहे हैं। इनके धर्मस्थलों मस्जिदों, इमाम बारगाहों,दरगाहों आदि को निशाना बना रहे हैें। हद तो यह है कि अल्पसंख्यक के अतिरिक्त स्वयं बहुसंख्य समाज का एक बड़ा वर्ग जिसे बरेलवी विचारधारा का मुसलमान कहा जाता है या सूफीवाद का पैरोकार माना जाता है उस वर्ग के लोग भी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं। इन मुसलमानों की भी कई अत्यंत प्राचीन,प्रसिद्ध व पवित्र दरगाहें आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाई जा चुकी हैं। शिया समुदाय के लोग तो खासतौर पर इस समय इन कट्टरपंथी आतंकी संगठनों के निशाने पर हैं। शिया समुदाय के इमामबाड़ेे, हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में आयोजित की जाने वाली मजलिसें,अथवा मोहर्रम व चेहल्लुम के जुलूस आदि कोई भी धार्मिक आयोजन पूरे पाकिस्तान में कहीं भ्ी सुरक्षित नहीं हैं।
पिछले दिनों तो पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम इलाके क्वेटा में हज़ारा शिया समुदाय के लोगों के साथ जिस प्रकार की हिंसक वारदातें पेश आईं उन्हें देखकर तो ऐसा लगने लगा है कि गोया पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का रह पाना अब संभव ही नहीं है। ब्लूचिस्तान, स्वात घाटी जैसे क्षेत्रों में लश्करे झंागवी तथा सिपाहे सहाबा के आतंकी हज़ारों शिया समुदाय के लोगों को अब तक निशाना बना चुके हैं। इनमें औरतें और बच्चे भी शामिल हैं। इन आतंकी संगठनों पर यह केवल आरोप मात्र नहीं है बल्कि यह संगठन स्वयं इन घटनाओं की जि़म्मेदारी भी स्वीकार करते हैं। उदाहरण के तौर पर इसी वर्ष दस जनवरी को ब्लूचिस्तान की राजधानी क्वेटा के एक बिलियर्ड हॉल में जो धमाका हुआ जिसमें 120 लोग मारे गए। इसके पश्चात 16 फरवरी को क्वेटा के ही मुख्य बाज़ार में हुए हमले में 92 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी तथा दौ सौ लोग घायल हुए। इन हमलों की जि़म्मेदारी लश्करे झांगवी द्वारा स्वीकार की गई। 18 फरवरी को लाहौर में एक प्रसिद्ध समाजसेवी तथा नेत्र विशेषज्ञ डा० अली हैदर व उनके 11 वर्षीय पुत्र मुरतज़ा अली हैदर को इन्हीं संगठनों से जुड़े आतंकवादियों ने उनकी कार में गोली मार कर हलाक कर दिया। अकेले क्वेटा शहर में पिछले कुछ दिनों में लगभग 1200 शिया समुदाय के लोगों की हत्याएं की जा चुकी हैं। यहां शिया समुदाय की आबादी लगभग 20 प्रतिशत  है। हालंाकि इस क्षेत्र में शिया-सुन्नी समुदाय के लोग सदियों से मिलकर रहते आ रहे हैं तथा एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं की पूरी इज़्ज़त करते हैं। परंतु इस्लाम को अपनी जागीर समझने वाली वहाबी विचारधारा से सराबोर आतंकी संगठन शिया समुदाय सहित किसी भी दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय को पाकिस्तान में रहने नहीं देना चाहते।
पिछले दिनों पूरी दुनिया का ध्यान पाकिस्तान के क्वेटा शहर में रहने वाले हज़ारा शिया समुदाय के लोगों की ओर खासतौर पर उस समय आकर्षित हुआ जबकि आतंकी घटनाओं से प्रभावित व पीडि़त यह समुदाय दो बार अपने परिजनों की लाशों को लेकर सडक़ों पर बैठ गया और पांच दिनों तक उन्होंने उन 120 बेगुनाहों की लाशों को दफन नहीं किया। भयंकर सर्दी व इस सर्दी के दौरान होने वाली बारिश व ऐसे मौसम में औरतों, बुज़ुर्गों व बच्चों के साथ हज़ारों लागों का गमज़दा हालत में विरोध प्रदर्शन करते हुए सडक़ों पर बैठे रहना अपने-आप में स्वयं इस बात का सुबूत है कि इस समुदाय के लोग स्वयं को कितना भयभीत, असुरक्षित व मज़लूम महसूस कर रहे हैं। गौरतलब है कि 120 लाशों के साथ पांच दिन चले इस धरने में पाकिस्तान के कई वरिष्ठ मंत्री, नेता व सैन्य अधिकारी प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने आए। परंतु प्रदशर्नकारी उस समय तक इन लाशों को दफनाने के लिए राज़ी नहीं हुए जब तक कि प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ ने स्वयं वहां जा कर प्रदर्शनकारियों से मुलाकात नहीं की। प्रधानमंत्री परवेज़ अशरफ ने हज़ारा शिया समुदाय के लोगों को आतंकवादियों के विरुद्ध शीघ्र कार्रवाई करने तथा उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आश्वासन दिया।
दरअसल सिपाहे सहाबा व लश्करे झांगवी जैसे संगठन तालिबान,तहरीक-ए-तालिबान, जमात-उद-दावा व अलकाय़दा जैसे संगठनों की ही विचारधारा वाले संगठन हैं। स्वयं को सच्चा मुसलमान बताने वाले इन संगठनों के लोग आतंक, हिंसा व क्रूरता के बल पर ठीक उसी प्रकार से अपनी बात पूरी दुनिया से मनवाने का असफल प्रयास कर रहे हैं जैसे कि करबला में यज़ीद ने हज़रत इमाम हुसैन से अपनी बात मनवाने की नाकाम कोशिश की थी। और उसके बाद से लेकर अब तक मुस्लिम समुदाय से ही संबंध रखने वाले कई मुस्लिम शासकों ने उसकी पुनरावृति करने की कोशिश की। तात्कालिक परिणाम भले ही हज़रत इमाम हुसैन की शहादत के रूप में सामने आए हों या दूसरे आक्रमणकारी शासकों ने अपनी सत्ता के विस्तार के लालच में हज़ारों बेगुनाह लोगों की हत्याएं कर डाली हों परंतु इतिहास ने न तो यज़ीद को माफ किया न ही उस जैसे दूसरे क्रूर व आक्रमणकारी लुटेरे शासकों को। जिस प्रकार इतिहास में यज़ीद का नाम काले अक्षरों में लिखा जाता है, उसे व उससे प्रेरणा पाने वाले अन्य शासकों को लुटेरा, आक्रांता व क्रूर शासक गिना जाता है ठीक उसी प्रकार स्वयं को सच्चा मुसलमान बताने वाले तथा इस्लाम पर चलने का दावा करने के साथ-साथ गैर इस्लामी अमल करते हुए हज़ारों निर्दोषों की हत्याएं करने वालों की इन काली करतूतों को भी इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। इस समय ज़रूरत इस बात की है कि पूरी दुनिया इन बेलगाम होते जा रहे आतंकी विचारधारा रखने वाले लोगों व संगठनों पर गहरी नज़र रखे तथा यह भी देखे कि इन्हें आर्थिक सहायता किस मकसद के लिए और कहां से दी जा रही है। केवल दुनिया के सारे मुसलमान ही नहीं बल्कि सभी धर्मों व समुदायों के लोग इस कट्टरपंथी विचारधारा के विरुद्ध एकजुट हों अन्यथा यह विचारधारा एक दिन मानवता की सबसे बड़ी दुश्मन साबित हो सकती है।
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Tanveer Jafri**Tanveer Jafri ( columnist),(About the Author) Author Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

 

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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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