पहले आरक्षण बाद में वोट दें मुस्लिम *

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LLLLLLLLLLLLLLLLLLLLLL( वसीम अकरम त्यागी ** )
मुस्लिम आरक्षण से जुड़ा एक और अहम मुद्दा है. केंद्र सरकार मुसलमानों को शेड्यूल कास्ट (एससी) का दर्जा देने से बच रही है. जबकि सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट साफ-साफ बताती है कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक तौर पर देश के मुसलमानों की हालत दयनीय है. रंगनाथ मिश्र आयोग ने तो अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों में से ज़्यादातर लोगों की हालत हिंदू दलितों से भी बदतर है. आयोग ने संविधान से पैरा 3 हटाने की भी सिफारिश की है. दरअसल, संविधान के पैरा 3 में राष्ट्रपति के आदेश 1950 का उल्लेख है, जिसके मुताबिक़ हिंदू धर्म के अलावा किसी और धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अनुसूचित जाति का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. बाद में बौद्धों और सिक्खों को भी एससी का दर्जा दिया गया, लेकिन मुस्लिम, ईसाई, जैन और पारसी धर्म के लोगों को अनुसूचित जाति (एससी) का दर्जा नहीं मिल सकता. एससी का दर्जा मिलते ही पिछड़े मुसलमानों को अपने आप विधानसभाओं और संसद में भी आरक्षण मिल जाएगा. इसलिए उनकी मुख्य मांग है कि 1950 का प्रेसिडेंसियल ऑर्डर वापस लिया जाए. मुस्लिम आरक्षण का मसला केंद्र सरकार के लिए गले की हड्डी बन चुका है. रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशों के मुताबिक़, 15 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा, क्योंकि 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार करना पड़ेगी. दूसरी ओर ओबीसी कोटे में से आरक्षण देने की बात न तो कई राजनीतिक दल मानेंगे और न इस देश की सबसे बड़ी आबादी यानी ओबीसी. सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन तमाम पेंचों के बाद भी मुस्लिम अल्पसंख्यकों के विकास की चिंता किसे है ? ऐसा नहीं है कि रंगनाथ मिश्र आयोग की रिपोर्ट में स़िर्फ मुस्लिमों सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदायों (बौद्ध एवं सिक्ख) के पिछड़े लोगों को आरक्षण देने की वकालत की गई है, बल्कि आयोग ने अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए कई अन्य रास्ते भी बताए हैं. मसलन, उनके लिए ऋण, व्यापार एवं शिक्षा आदि की समुचित व्यवस्था कैसे की जा सकती है, इस संदर्भ में विशेष उपाय भी इस रिपोर्ट में बताए गए हैं, लेकिन इस सबकी चिंता किसी को नहीं है, सिवाय मुस्लिम आरक्षण के नाम पर राजनीति करने के. सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे की गंभीरता और इसके क्रियान्वयन के रास्ते में आने वाली समस्याओं का अंदाजा है. फिर भी असल मुद्दे अल्पसंख्यकों के विकास से उनका कोई लेना-देना नहीं है. एक ओर हम चाहते हैं कि भारत 10 प्रतिशत वार्षिक दर से विकास करे मगर ये क्या इन परिस्थितियों में संभव हो सकता है ? जब देश का दूसरा सबसे बड़ा तबका विकास की दौड़ में सबसे पीछे हो उसकी देश के विकास में भागीदारी, सरकारी नौकरियों, में सिविलि सर्विसेज में भागीदारी न के बराबर हो या हो ही नहीं ? एक तरफ हम विकास दर 10 प्रतिशत चाहते हैं दूसरी और आरक्षण जिसका चलन केवल भारत में ही है, दुनिया के किसी भी देश में आरक्षण नहीं है उसका लाभ केवल एक ही समुदाय को मिले, कैसी अजीब विडंबना है कि धर्म के नाम पर आरक्षण देने का विरोध करने वाले लोग ये क्यों भूल गये कि इसी देश और इसी संविधान में हिंदू दलितों, सिक्ख दलितों, (एससी) एंव एसटी समुदाय को आरक्षण धर्म के आधार पर ही दिया गया है, क्या इस तथ्य से इंकार किया जा सकता है कि एक हिंदू दलित यदी मुसलमान हो जाता है तो उससे वे सारी सहूलतें छीन लीं जाती हैं जो उसे दूसरे धर्म में मिल रही थीं, एक तरफ धर्म के आधार पर आरक्षण दिया जाता है दूसरी और धर्म के नाम पर आरक्षण का विरोध किया जाता है। अल्पसंख्यकों की मौजूदा स्थिती का आंकलन करने के लिये बने दोनों आयोग सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट क्रमशः छः और सात साल से सदन में धूल फांक रही है मगर उस पर कोई अमल करने के बजाय उल्टे सियासत हो रही है, संघ का मुखपत्र पांचजन्य तो इन रिपोर्टों को तुष्टीकरण की उपज बताता है, मगर देश का तकाजा क्या है ? राष्ट्र कैसे मजबूत हो सकता है ? इस पर सब मौन हैं, ऐसे में मुस्लिमों को आरक्षण मिल पाना एक टेढ़ी खीर लग रहा है, इसलिये मुस्लिमों को आगे आकर कथित सैक्यूलर पार्टियों से एक सवाल तो करना ही होगा कि उन्हें आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा है ? क्यों लंबे अरसे से इस गाजर को लटकाया जा रहा है ? उन्हें साफ लहजे में उन्हें वोट के बदले आरक्षण की मांग करनी होगी, वोट के बदले आरक्षण इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि आरक्षण केवल मुस्लिमों की ही नहीं बल्कि देश के विकास की भी जरूरत है।

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Wasim-Akram-Tyagi-111111111111111111* वसीम अकरम त्यागी की कलम से
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वसीम अकरम त्यागी
युवा पत्रकार
9927972718, 9716428646
journalistwasimakram@gmail.com

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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