पत्रकारिता एक दायित्व

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आई एन वी सी न्यूज़ 
लखनऊ,
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में अखिल भारतीय पत्रकार संघ एवं संस्था रंग भारती द्वारा आयोजित हिन्दी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के हिन्दी प्रेमी पूर्व मुख्यमंत्री श्री शान्ता कुमार को ‘अमीर खुसरो रंग भारती सम्मान’ देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में पत्रकारों, श्री दिलीप अग्निहोत्री को ‘बाबू राव विष्णु पराड़कर रंग भारती सम्मान’, श्री रामेश्वर पाण्डेय को ‘लक्ष्मी नारायण गर्र्दे रंग भारती सम्मान’, श्री प्रभात रंजन दीन को ‘गणेश शंकर विद्यार्थी रंग भारती सम्मान’, श्री सद्गुरू शरण को ‘रामकृष्ण रघुनाथ खडिलकर रंग भारती सम्मान’ तथा श्री सुमन्त पाण्डेय को ‘अज्ञेय रंग भारती सम्मान’ देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम श्री आनन्द सिन्हा, श्री भास्कर दुबे, सुश्री शिल्पी सेन, श्री राजबहादुर सिंह, श्री प्रणय विक्रम सिंह, श्री शेखर पण्डित, श्री शिवशरण सिंह, श्री एस0एम0 पारी जैसे पत्रकारों को ‘हेरम्ब मिश्र सम्मान’ से तथा उत्तर प्रदेश विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री सुखदेव राजभर को ‘राजर्षि टण्डन सम्मान’ से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, मंत्री श्री ब्रजेश पाठक, पूर्व मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश श्री शान्ता कुमार, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह एवं संस्था रंग भारती के अध्यक्ष श्री श्याम कुमार सहित अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि संस्था रंग भारती के अध्यक्ष श्री श्याम कुमार द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रम 30 मई को होना था किन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण में सम्मिलित होने के कारण तिथि का परिवर्तन करना पड़ा। राज्यपाल ने सभी सम्मान प्राप्त पत्रकारों को शुभकामना देते हुये कहा कि उनकी कलम नई ऊंचाई हासिल करे। राज्यपाल ने कहा कि पत्रकारिता एक दायित्व है जिसका बहुत महत्व है। हिन्दी पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में गैर हिन्दी भाषी लोगों का बहुत योगदान है। समाचारों में सकारात्मक विचार हों। पत्रकारिता का उद्देश्य पूर्व में देश को आजादी दिलाने का था। आजादी के बाद देश में विकास कैसे हो, इस प्रकार का चित्र पत्रकारिता में बनना चाहिए। पत्रकार वास्तव में जनतंत्र के प्रहरी हैं। पत्रकार लोकतंत्र का चैथा स्तम्भ होने के नाते समाज का प्रबोधन करें। उन्होंने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने का उद्देश्य ही पत्रकारिता का संकल्प होना चाहिए।

श्री नाईक ने कहा कि 1955-56 में वे स्वयं भी पत्रकार के रूप में कार्य कर चुके हैं। हिन्दुस्थान समाचार में उन्होंने प्रेस नोट लिखने का कार्य किया है। उस समय साइक्लोस्टाईल या फोटोकापी जैसी सुविधा नहीं थी। इसलिये कार्बन कापी से काम चलता था। राजनीति में जब गया तो विभिन्न भाषाओं जैसे मराठी, गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी एवं उर्दू में प्रेस नोट तैयार करके अखबारों को स्वयं भेजा करते थे। विभिन्न भाषाओं में प्रेस नोट बनाने के कारण उनके समाचार प्रमुखता से छपते थे। अन्य राजनैतिक पार्टी वाले शिकायत करते तो समाचार सम्पादक कहते कि राम नाईक जैसे प्रेस नोट अनुवाद करके लाओ। उन्होंने कहा कि सकारात्मक घटनाओं को समाज के सामने लाने का दायित्व तथा देश निर्माण में योगदान पत्रकारों से अपेक्षित है।

विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने सभी सम्मानमूर्तियों को शुभकामनाएं देते हुये कहा कि भारत में अच्छे कार्य के लिये सम्मानित करने की प्राचीन परम्परा है। समय के साथ परिवर्तन के कारण सम्मान के मानक भिन्न हो सकते हैं। समाज में आंतरिक विधान को चलाते रहने का कर्तव्य श्रेष्ठजनों का है। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में सम्मान प्राप्त लोगों के कर्म और आशाओं को समाज की मान्यता मिलती है।

पूर्व मुख्यमंत्री श्री शान्ता कुमार ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता वास्तव में विचार की संवाहक और पोषक है। देश की राजनीति को प्रदूषण से बचाने की जरूरत है। राजनीति जीवन का अंग है पर  आज के समय में उसका विपरीत पक्ष भी देखा जा सकता है। हिन्दी पत्रकारिता को केवल रस्म न समझकर उसे उचित स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द की बात करते हुये कहा कि उनके शिकागो के भाषण ने भारत के प्रति विश्व का चिन्तन और मनन बदल दिया। पण्डित नेहरू ने स्वामी विवेकानन्द को स्वाधीनता संग्राम का ऐसा संस्थापक बताया था जिन्होंने देश को जगाया और आजादी की पृष्ठभूमि तैयार की। 

इस अवसर पर मंत्री श्री ब्रजेश पाठक एवं कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन एवं धन्यवाद ज्ञापन संस्था रंग भारती के अध्यक्ष श्री श्याम कुमार द्वारा दिया गया। श्री श्याम कुमार ने राज्यपाल को प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन भी सौपा। ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि देश का नाम केवल भारत ही होना चाहिए, एक देश का दो नाम यानि भारत और इण्डिया उचित नहीं है।



 

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