‘न तेल कम था, न हवा चली/फिर भी चिराग़ बुझ गया’

0
35
जयश्री राठोर,,

आई.एन.वी.सी,,
चंडीगढ़,,
साहित्यिक संस्था ‘मंथन’,़ के तत्वाधान में और ‘सर्वेंट पीपल्स सोसाइटी’, के सहयोग से अमर शहीद लाला लाजपत राय जी की याद में रविवार को त्रिभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन लाला लाजपत राय भवन, सैक्टर १५ में हुआ। इसमें मुख्यातिथि के रूप में औंकार चन्द, राष्ट्रीय चेयरमेन, ‘सर्वेंट पीपल्स सोसाइटी’ और समारोह की अध्यक्षता  साहित्यकार  कैलाश आहलूवालिया ने की। आयोजन का मंच संचालन शायर  सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने किया।   कार्यक्रम की शुरुआत में महान् शहीद लाला लाजपत जी को श्रदांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात औंकार चन्द  ने  लाला लाजपत राय के जीवन व उनकी शहादत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘‘लाला जी ने ‘साईमन कमीशन’ के विरोध में आंदोलन �ाड़ा कर आज़ादी की जंग में एक अहम् �ाूमिका अदा की व उनकी शहादत की बदौलत ही हम आज आज़ादी में साँस ले रहे हैं।’’ सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने कहा कि ‘‘हमें शहीदों के बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनकी शहादत व उनके जीवनमूल्यों से आने वाली पीढिय़ों को अवगत कराते रहना चाहिए।’’
जय गोपाल ‘अश्क’ ने कहा कि जिस दिन उनका जन्म हुआ था उसी दिन उनके पिताश्री को जंग-ए-आज़ादी में हिस्सा लेने के लिए ज़ेल जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने पहली नज़्म सन् 1945 में पंजाबी लिखी थी। वे निरंतर उर्दू व पंजाबी में नज़्में तो गज़़लें लिखते आ रहे हैं। ‘अश्क’ के नाम कई काव्य संग्रह, उपन्यास, भगवत गीता का पंजाबी में काव्यानुवाद है तो इसके अतिरिक्त उन्होंने अनके ग्रन्थों का पंजाबी में अनुवाद एवं सम्पादन किया है।  हाल ही में उन्हें पंजाबी भाषा में उत्कृष्ट साहित्य की रचना व भारतीय संस्कृति और पंजाबी सभ्याचार की नुमाइन्दा कविता के लिए भोपाल, मध्य प्रदेश में ‘सारस्वत सम्मान’ से अलंकृत किया गया। इसके अतिरिक्त भी उन्हें कई पुरस्कारों व सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है। शहीदों के प्रति समर्पित नज़्म में उन्होंन कहा, ‘‘उन्हानूँ टेकिये मत्थै, जिन्हातै मान वतना नूँ’। अमर शहीदों को समर्पित कवि सम्मेलन का आग़ाज़ शायर सुशील ‘हसरत’ नरेलवी के इस शे‘र से हुआ ‘‘शहादत पे शहीदों की हमें है नाज़ यारो/बदौलत उनकी है सर पर हमारे ताज यारो’’। तत्पश्चात शायर सरदारी लाल धवन ‘कमल’ ने गज़़ल ‘‘वतन पर जान देने का जिसे अन्दाज़ आता है/�़ाुदा उस आदमी को लाजपत राय बनाता है’’,  शायर अमरजीत ‘अमर’ ने पंजाबी गज़़ल ‘‘तू ज़माने नाल ऐना �ाुल गया एै’’, दीपक खेतरपाल ने कविता ‘न तेल कम था, न हवा चली/फिर भी चिराग़ बुझ गया’, कवि पवन बतरा ने ‘‘शहीदों को नमन् में चढ़ाए फूल कभी सूखते नहीं’,  शायर राहुल चौधरी ने ‘‘पहले की तरह अब लोग �ाुलकर नहीं मिलते’’, कवि आर0के0 भगत ने कविता, कवि सतनाम सिँह ने ‘‘आज प्रफुल्लित हूँ मैं ओ शक्ति के दाता’’, आर0 के0 मल्होत्रा ने ‘‘ये रास्ता कहाँ जाता है’’, अश्विनी कुमार ने ‘‘मिलावट पर अपनी कविता सुनाई तो कवि विजय कपूर ने ‘‘कोतवाली से शाम नगर जाते हुए होती थी कविता’’,  चमन शर्मा ‘चमन’ ने गज़़ल ‘‘मुकद्दर बाँचने वाले बहुत हैं/दिलों को टाँकने वाले बहुत हैं’’ व शायर सुलतान ‘अंजुम’ ने अपनी गज़़ल का मतला कुछ यूँ कहकर ‘‘तू हमें अम्न की फ़ाख़्ताएं ने दे/सराहदों की आफ़ताएं न दे’’ ख़्ाूब वाह-वाही बटोरी व इन सभी कवियों की रचनाओं ने भरपूर समां बाँधा एवं माहौल को ख़्ाुशगवार भी बनाए रखा।  इसके अतिरिक् तमुसव्विर फिरोज़पुरी, कौशल्या भाटिया व हरदेव सिँह ने भी रचना पाठ किया। समारोह के अध्यक्ष डॉ0 कैलाश आहलूवालिया ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘शहीदान की याद में रचनाएं पेश करके कवियों ने उन्हें सच्ची शब्दांजलि दी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here